RAIPUR : परण और गत के जरिए सुलगना बैनर्जी ने कत्थक ने विभिन्न रूपों को किया प्रदर्शित

रायपुर ,24 नवंबर।अग्रसेन महाविद्यालय में गुरुवार को देश की सुपरिचित कत्थक कलाकार एमएस सुलगना बैनर्जी ने कत्थक की भावपूर्ण प्रस्तुति दी। नई दिल्ली स्थित इंटरनेशनल रूरल कल्चरल सेंटर तथा रायपुर की संस्था जनशिक्षण संस्थान के सहयोग से आयोजित इस कार्यक्रम में आमंत्रित कत्थक कलाकार के साथ गायन और हारमोनियम पर आनंद गुप्ता तथा तबले पर दीनानाथ मिश्र ने सांगत की। अपनी प्रस्तुति में गायन के संगतकार दीनानाथ मिश्र ने कृष्ण की लीलाओं पर केन्द्रित पारंपरिक भजन भी सुनाया।

सुलगना बैनर्जी ने मंगलाचरण के साथ नृत्य का आरम्भ किया इसके पश्चात् उन्होंने तालबद्ध बोल के साथ आमद पेश किया तथा परण और गत के जरिये अपनी नृत्य कला के विभिन्न रूपों को प्रदर्शित किया। महाविद्यालय के प्राध्यापकों और विद्यार्थियों ने इस प्रस्तुति की सराहना की। सुलगना बैनर्जी ने अपनी प्रस्तुति के दौरान कत्थक की पृष्ठभूमि की चर्चा करते हुए बताया कि प्राचीनकाल से भारत में कत्थक नृत्य चलन में रहा। बाद में मुगल दरबार में यह नृत्य एक अभिनय शैली के रूप में स्थापित हुआ। समय के साथ  इसके बनारस, जयपुर, रायगढ़ और लखनऊ घराने से इस नृत्य की भाव-भंगिमा तथा प्रस्तुति की शैली में और भी विस्तार आता गया। इस प्रस्तुति की सराहना करते हुए महाविद्यालय के डायरेक्टर डॉ वी के अग्रवाल ने कहा कि शिक्षण संस्थानों में पारम्परिक कलाओं के प्रदर्शन से युवाओं को अपनी संस्कृति से रुबरु होने का मौका मिलता है। प्राचार्य डॉ युलेन्द्र कुमार राजपूत ने कहा कि इस तरह की प्रस्तुति से महाविद्यालय में रचनात्मक वातावरण पैदा होता है। एडमिनिस्ट्रेटर अमित अग्रवाल ने कहा कि भारत की प्राचीन कलाओं के प्रदर्शन से महाविद्यालय के विद्यार्थियों को भी इनसे जुड़ने की प्रेरणा मिलेगी। कार्यक्रम का संयोजन समाजकार्य संकाय की प्राध्यापक प्रो रूचि शर्मा ने किया। आभार प्रदर्शन वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ डॉली पाण्डेय ने किया।

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