Rajnandgaon : मुख्यमंत्री ने पैरादान करने वाले किसानों को किया सम्मानित…

राजनांदगांव 19 नवम्बर | मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने जिले के विभिन्न विधानसभा में भेंट मुलाकात कार्यक्रम के दौरान कृषकों एवं आम जनता को पराली जलाने से पर्यावरण में होने वाले दुष्प्रभाव के बारें में जानकारी दी। उन्होंने कृषकों से अपील करते हुए का कि किसान गौठानों में पशुओं के चारे के लिए पैरा को जलाने के बजाय पैरा का दान करें। जिससे धरती की उपजाऊ क्षमता को बचाया जा सकेगा। साथ ही पशुओं के लिए भोजन की व्यवस्था हो सकेगी।मुख्यमंत्री ने गौठानों में वृहद पैमाने पर पैरादान के लिए किसानों को प्रोत्साहित करने कृषि विभाग, पशुपालन विभाग एवं ग्राम सचिवों को कहा। मुख्यमंत्री श्री बघेल ने बताया कि दिल्ली, हरियाणा व पंजाब राज्य में पराली जलाने से उत्पन्न जहरीली गैस से वहां के स्थानीय नागरिकों में विभिन्न प्रकार की बीमारियां देखने को मिल रही है।

मुख्यमंत्री श्री बघेल ने राजनांदगांव विकासखंड के ग्राम घुमका के कृष नोहेन्द्र सिन्हा एवं नवीन लुनिया ने घुमका राजनांदगांव विकासखंड के ग्राम घुमका के लोहेन्द्र सिन्हा, नवीन लुनीया, डोंगरगढ़ विकासखंड के बेलगांव के भुपेन्द्र लिलहारे, ग्राम कोलिहापुरी के जगदेव राम वर्मा, छुरिया विकासखंड के ग्राम बोईरडीह से श्रीमती पुर्णिमा पाल, चन्दूलाल साहू, मनसुख राम साहू, श्रीभग्गू राम गोड़, ग्राम होलेकसा से तुलाराम साहू एवं ग्राम कल्लूटोला से मानसिंग यादव को दो- दो ट्राली पैरादान करने के लिए साल भेंट कर सम्मानित किया।कलेक्टर डोमन सिंह के मार्गदर्शन में जिले में पैरादान के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। जिले में पराली जलाने की प्रथा को तोडऩे के लिए अनेक कार्यक्रम चलाए जा रहे है। उप संचालक कृषि जीएस धुर्वे ने बताया गया कि पराली जलाने से गैसों से श्वास लेने की समस्या, आंखों में जलन व गले की समस्या प्रमुख है। साथ ही मृदा में कार्बनिक पदार्थ की क्षति, जमीन में पाये जाने वाले लाभकारी सूक्ष्म जीवाणुओं का सफाया तथा मुख्य एवं सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी होती है।

उन्होंने बताया कि पराली जलाने की समस्या के रोकथाम के लिए जिले के हार्वेस्टर मालिकों की बैठक आयोजित कर हार्वेस्टर से कटाई करने वाले कृषकों की सूची तैयार करने के निर्देश दिया गया है। जिससे हार्वेस्टर की कटाई के बाद पैरादान के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया जा सके तथा धान के टूठ को वेस्टडिकंपोजर के माध्यम से गलाकर खेतों में जैविक खाद बनाने के लिए प्रशिक्षण व जागरूकता कार्यक्रम चलाया जाएगा।

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