KORBA:कटघोरा वन मंडल में ढाई सौ पेड़ों को काटकर ले ली गई बलि, वन विभाग को नहीं लगी भनक…खानापूर्ति करने के नाम पर महज तीन ग्रामीणों को किया गया गिरफ्तार, तस्करों पर कार्यवाही नहीं

कोरबा,18 नवंबर । कटघोरा वन मंडल में ना ही वन्य प्राणी सुरक्षित है और नहीं जंगल…भला आप सोच रहे होंगे कि ऐसा क्यों तो हम आपको बता दें कि पिछले दिनों कुछ ग्रामीणों ने मिलकर एक बेबी एलीफेंट को जहरीला पदार्थ खिलाकर मौत के घाट उतार दिया था और वन विभाग की आंखों में धूल झोंक ते हुए उसका कफन दफन भी कर दिया गया था। 2 दिन के बाद वन विभाग को इसकी भनक लगी थी। इससे सहज अंदाजा लगाया जा सकता है वन विभाग अपने कार्य के लिए कितना संजीदा है। वहीं अब दूसरी ओर कटघोरा वन मंडल के जटगा रेंज में पाली में निवास करने वाले एक व्यक्ति के इशारे पर जंगल में ग्रामीण कुल्हाड़ी लेकर लगातार पेड़ों की बलि लेते रहे।

पिछले कई दिनों से यह कारनामा चलता रहा।  ढाई सौ पेड़ों को मौत के घाट उतार तब यह बात वन विभाग के कानों तक पहुंची। आनन-फानन में वन विभाग के अधिकारी-कर्मचारियों की टीम गांव पहुंची और तीन ग्रामीणों को गिरफ्तार किया है। जबकि पूरे जंगल में कटी हुई लकड़िया अभी भी पड़ी हुई है। इससे सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि जंगल के रक्षक कितने अपने कार्य के प्रति संजीदा हैं। पूरे ढाई सौ पेड़ों की जान चली गई लेकिन वन विभाग के अधिकारी कर्मचारी बड़े आराम से सोते रहे। यदि वे अपने कार्य के प्रति संजीदा होते तो इतने पेड़ों की बलि नहीं हो पाती। वन विभाग अब खानापूर्ति करने के नाम पर महज तीन ग्रामीणों को गिरफ्तार जरूर कर लिया है। लेकिन जिस तरह से वन विभाग की टीम कह रही है कि क्षेत्र बनाने के लिए ग्रामीणों पेड़ों की कटाई की है और महज कुछ दिनों के भीतर यह बात गले नहीं उतर रही है। विभाग के अधिकारी अभी भी इस मामले में खानापूर्ति कर रहे हैं

और मामले को लगातार दबाने का प्रयास कर रहे हैं। मामले की उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए और जो भी इस मामले में दोषी हैं उनके खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए ताकि जंगल की सुरक्षा बेहतर तरीके से हो सके। यही जंगल हैं जिनके माध्यम से हमें प्राणवायु मिलता है लेकिन वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी से लेकर निचले कर्मचारी तक काम के नाम पर महज खानापूर्ति ही कर रहे हैं। यदि सुरक्षा के प्रति और ईमानदारी से ड्यूटी करते तो यह स्थिति नहीं होती। इससे पहले भी कटघोरा वन मंडल में लकड़ी तस्करी के कई मामले सामने आ चुके हैं, तो वहीं कई वन्य प्राणियों की मौत भी हो चुकी है। विभाग के अधिकारियों को इसे संज्ञान में लेकर कड़ी से कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए और बेहतर अधिकारी कर्मचारियों की क्षेत्र में तैनाती करनी चाहिए।

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