20 सूत्रीय मांगों को लेकर किसान सभा ने खदान बंद की घोषणा की थी
गेवरा (कोरबा), 17 सितम्बर । छत्तीसगढ़ किसान सभा और भू विस्थापित रोजगार एकता संघ ने बरसों पुराने भूमि अधिग्रहण के बदले लंबित रोजगार प्रकरण, मुआवजा, पूर्व में अधिग्रहित जमीन की वापसी, प्रभावित गांवों के बेरोजगारों को खदान में काम देने,शासकीय भूमि पे कबीजों को रोजगार-बसावट एवं मुआवजा, महिलाओं को स्वरोजगार, पुनर्वास गांव में बसे भू विस्थापितों को काबिज भूमि का पट्टा देने आदि 20 सूत्रीय मांगो को लेकर पचासों गांवों के भू विस्थापित किसानों ने कोल इंडिया के मेगा प्रोजेक्ट एसईसीएल के गेवरा खदान में कोयला और मिट्टी खनन का कार्य बंद करा दिया।
आंदोलनकारियों को रोकने के लिए कुसमुंडा और गेवरा खदान में बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया था लेकिन कुसमुंडा में चकमा देते हुए गेवरा खदान में पुलिस के साथ धक्का मुक्की कर खदान घुसने में भू विस्थापित सफल हुए खदान घुसते ही भूविस्थापितों ने कोयला और मिट्टी के खनन कार्य को पूर्ण रूप से बंद करा दिया गया।
खदान बंद कर रहे प्रभावितों में महिलाओं की संख्या बहुत ज्यादा थी और भू विस्थापितों ने खदान परिसर में ही खाना बनाना शुरू कर दिया है। जिससे एसईसीएल के अधिकारियों के हाथ पैर फूलने लगे। एसईसीएल के आश्वासन से थके भूविस्थापितों ने अब आर-पार की लड़ाई लड़ने का मन बना लिया है। खदान बंद करने वालों में विजयनगर,नरईबोध, गंगानगर, मड़वाढोढा, भठोरा, भिलाईबाजार, रलिया, बरभांठा, गेवरा बस्ती, बरेली, भैसमाखार, मनगांव, रिसदी, खोडरी, सुराकछार बस्ती, जरहाजेल, दुरपा, बरपाली, बरकुटा, बिंझरा, पंडरीपानी, कोसमंदा, खम्हरिया, बरमपुर, दुल्लापुर, सोनपुरी, जटराज, पाली पड़निया, पुरैना, कुचैना, मलगांव, ढुरैना,दादरपारा एवं अन्य गांव के भूविस्थापित किसान शामिल थे।
उल्लेखनीय है कि रोजगार और पुनर्वास समेत 20 सूत्रीय मांगों पर छत्तीसगढ़ किसान सभा और रोजगार एकता संघ ने 17 नवंबर को कुसमुंडा गेवरा खदान बंद करने की घोषणा की थी इस आंदोलन को सफल बनाने के लिए पिछले 10 दिनों से चल रहे गांव गांव में अभियान के नतीजे में बड़ी संख्या में भू विस्थापित किसान महिलाओं ने धान कटाई को छोड़कर अपने अधिकार को पाने के लिए खदान को बंद कराने के लिए सड़कों पर उतरे।
किसान सभा के जिला सचिव प्रशांत झा ने कहा कि 40-50 वर्ष पहले कोयला उत्खनन के लिए किसानों की हजारों एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया गया था, लेकिन इसके बाद भी किसी सरकार ने,जिला प्रशासन और खुद एसईसीएल ने विस्थापित परिवारों की कभी सुध नहीं ली।आज भी हजारों भू विस्थापित किसान जमीन के बदले रोजगार और बसावट के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
किसान सभा ने ऐलान किया है कि उनका आंदोलन लगातार जारी रहेगा और आंदोलन तभी खत्म होगा, जब एसईसीएल प्रबंधन रोजगार, मुआवजा, बसावट के सवाल पर उनके पक्ष में निर्णायक फैसला करेगा।
पुराने लंबित रोजगार, बसावट, पुनर्वास गांव में पट्टा, किसानों की जमीन वापसी एवं अन्य समस्याओं को लेकर विस्थापित ग्रामीण एसईसीएल पर धोखाधड़ी करने का आरोप लगा रहे हैं। किसान सभा के जवाहर सिंह कंवर, दीपक साहू, जय कौशिक, रोजगार एकता संघ के दामोदर श्याम, रेशम, रघु, सुमेन्द्र सिंह, दीना के साथ प्रभावित गांवों के भू विस्थापित बहतरीन बाई(पूर्व सरपंच), राहुल जायसवाल,बसंत चौहन, शिवदयाल कंवर, सुभद्रा कंवर, बीर सिंह कंवर,बसंत,कांति,प्रमिला,संजय यादव ने आंदोलन का नेतृत्व किया।
एसईसीएल प्रबंधन ने मांगों पर विचार करते हुए कहा कि पुराने अर्जन में जिनका आवेदन या नामांकन जमा नहीं हुआ है ऐसे भू विस्थापित 30 नवंबर तक एरिया ऑफिस में जमीन के बदले रोजगार के लिए आवेदन कर सकते हैं। साथ ही पुराने अर्जन मामले में रोजगार देने की प्रक्रिया में तेजी लाई जायगी और जिनका फाइल बिलासपुर में है उन्हें 30 नवंबर तक रोजगार देने की प्रक्रिया पूरी की जाएगी। नरईबोध में जब तक शासकीय भूमि पे कबीजो के बसावट और मुआवजा तय नहीं होगा तब तक किसी प्रकार की नापी नहीं होगी, छोटे खातेदारों को रोजगार देने के संबंध में एसईसीएल को पुनः विचार के लिए कटघोरा एसडीएम ने पत्र लिखने की बात कही, आउट सोर्सिंग कंपनियों में प्रभावितों को पहले रोजगार देने की बात प्रबंधन ने कही। 20 सूत्रीय मांगों पर सकारात्मक चर्चा के बाद आंदोलन समाप्त हुआ।
खदान बंद की प्रमुख मांगे:-
1) पूर्व में अधिग्रहित गांव के पुराने लंबित रोजगार प्रकरणों का तत्काल निराकरण कर सभी भू विस्थापितों को रोजगार प्रदान किया जाये।
2) जिन किसानों की जमीन अधिग्रहण की गई है और कि जा रही है उन सभी छोटे बड़े खातेदारों को रोजगार प्रदान किया जाये।
3) शासकीय भूमि पर कबीजों को भी परिसंपत्तियों का पूर्ण मुआवजा एवं परिवार के एक सदस्य को रोजगार प्रदान किया जाये।
4) कोल इंडिया द्वारा पूर्व में अधिग्रहित किये गये जमीनों को मूल किसानों को वापस किया जाये।
5) आंशिक अधिग्रहण पर रोक लगाई जाये एवं गांव के किसानों की जमीनों का पूर्ण अधिग्रहण किया जाये।
6) एसईसीएल में आऊट सोर्सिंग से होने वाले कार्यों में भू विस्थापितों एवं प्रभावित गांव के बेरोजगारों को 100% रोजगार में रखा जाये।
7) प्रभावित गांव के बेरोजगारों को खदान में होने वाले कार्यों का प्रशिक्षण देकर रोजगार दिया जाये।
8) प्रभावित एवं पुनर्वास गांव की महिलाओं को स्वरोजगार योजना के तहत रोजगार उपलब्ध कराया जाये।
9) पुनर्वास गांव में कबीज भू विस्थापित परिवार को पूर्ण काबिज भूमि का पट्टा दिया जाये।
10) पुनर्वास गांव गंगानगर में तोड़े गए मकानों, शोचालायो का क्षतिपूर्ति मुआवजा तत्काल दिया जाये।
11) डिप्लेयरिंग प्रभावित गांव में किसानों को हुये नुकसान का क्षतिपूर्ति मुआवजा प्रदान किया जाये।
12) बांकी माईन्स की बंद खदान के पानी को मड़वाढोंढा,बांकी बस्ती,पुरैना और आस पास के खेतों की सिंचाई और तीनों गांव के तालाबों को भरने की व्यवस्था की जाये।
13) पुनर्वास सभी गांव को पूर्ण विकसित मॉडल गांव बनाया जाये और सभी मूलभूत सुविधाएं पानी बिजली निःशुल्क उपलब्ध कराया जाये।
14) भू विस्थापित परिवार के बच्चों को निशुल्क शिक्षा एवं स्कूल बसों में फ्री पास उपलब्ध कराया जाये।
15) भू विस्थापित परिवारों के सभी सदस्यों को निशुल्क स्वास्थ्य सुविधा प्रदान किया जाये।
16) एसईसीएल के सभी क्षेत्रों में स्कूल बसों की संख्या बढ़ाई जाए।
17) रोजगार के लिए पूर्व में प्रशासन द्वारा जारी सत्यापन के आधार पर रोजगार प्रदान किया जाये।
18) पुराने लंबित रोजगार प्रकरण में जिन भू विस्थापितों का सत्यापन नहीं हुआ है उनका शिविर लगाकर सत्यापन कराया जाये।
19) कुसमुंडा परियोजना के विस्तार के कारण ग्राम खोडरी में किसानों का फसल नुकसान का क्षतिपूर्ति मुआवजा दिया जाये।
20) जिन किसानों के जमीन एसईसीएल में अधिग्रहण हुआ है उन्हें जब तक रोजगार, मुआवजा एवं अन्य सुविधा प्रदान नहीं की जाती तब तक भू विस्थापित किसान के जमीन पर किसी प्रकार का खनन कार्य नहीं किया जाये।
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