रायपुर। मुम्बई के हेल्थ कौसिलर डॉ. दिलीप नलगे ने कहा कि शारीरिक, मानसिक और अत्मिक सन्तुलन बनाए रखकर स्वस्थ तन, प्रसन्न मन और सुखी जीवन बनाया जा सकता है। इसके साथ-साथ उचित आहार, नियमित व्यायाम और सही नींद भी जरूरी है।डॉ. नलगे प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय द्वारा शान्ति सरोवर में आयोजित कर लो स्वास्थ्य मुट्ठी में कार्यक्रम के तीसरे दिन स्वस्थ जीवनशैली विषय पर बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि सुबह से लेकर रात्रि में सोने तक हम जो भी कार्य करते हैं, वह हमारी जीवनशैली कहलाता है। इसे दिनचर्या भी कह सकते हैं। सही जीवनशैली स्वास्थ्य को अच्छा बनाती है जबकि गलत जीवनशैली बीमारी की तरफ ले जाती है।
उन्होंने बतलाया कि स्वस्थ का शाब्दिक अर्थ होता है स्व में स्थित होना। स्व अर्थात हमारी वास्तविक पहचान कि मैं शरीर को नियंत्रित करने वाली चैतन्य शक्ति आत्मा हूँ। आत्मा को जानकर उस स्वरूप में स्थित होने से आत्मा के नैसर्गिक गुण-प्रेम, सुख, शान्ति, आनन्द, पवित्रता और शक्ति का अनुभव होने लगता है। राजयोग से आत्मा और परमात्मा की स्मृति द्वारा तन और मन दोनों स्वच्छ हो जाते हैं। व्यर्थ विचारों से बचने के लिए आत्मिक स्थिति का अभ्यास करना मददगार सिद्घ होता है।
डॉ. दिलीप नलगे ने कहा कि मन और शरीर का गहरा सम्बन्ध है। मानसिक सन्तुष्टि और खुशी के अभाव में अनेक रोग पनपते हैं। मन में किसी बात को दबाकर न रखें। रचनात्मक कार्यों से जुड़ें। इससे खुशी मिलेगी। बीती बातों को याद करके दु:खी न होवें। वर्तमान में जीना स्वस्थ रहने का सबसे बेहतर तरीका है।डॉ. नलगे ने भोजन में रेशेदार खाद्य पदार्थों को शामिल करने पर जोर देते हुए कहा कि फल, सलाद, चोकर सहित आटा और अंकुरित मूंग, गेहूँ आदि का ज्यादा से ज्यादा उपयोग करें। भोजन कम चर्बी वाला और अधिक रेशेदार होना चाहिए। सारे दिन में एक व्यक्ति को तीन सौ से लेकर पाँच सौ ग्राम मौसमी फल जरूर खाना चाहिए। चूँकि फल जल्दी पच जाता है अत: फल को खाली पेट खाएं उसे भोजन के साथ कभी नहीं खाना चाहिए।
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