कोरबा में सर्वाधिक उपज वाले रामपुर विधानसभा क्षेत्र के दोनों प्रस्ताव पेंडिंग, सत्तारूढ़ विधायक के क्षेत्र से दो नवीन उपार्जन केंद्रों की मिली स्वीकृति ,प्रस्तावित 9 केंद्रों में से 2 को मिली स्वीकृति,7 को निराशा ,धान बेचने जाने फिर परेशान होंगे किसान
कोरबा, ,14 नवंबर। आदिवासी बाहुल्य कोरबा जिले में आखिर जिसका डर था वही हुआ। धान खरीदी अभियान में भी जमकर सियासत हो रही। जो सत्ता में हैं सिर्फ उनकी व उनके प्रस्ताव पर स्वीकृति की मुहर लग रही। शेष प्रस्ताव अगर जायज भी हैं तो भी टोकरी में डाले जा रहे। जी हां शुक्रवार को खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग मंत्रालय द्वारा खरीफ विपणन वर्ष 2022 -23 के लिए नवीन उपार्जन केंद्र खोलने जारी की गई आदेश से कुछ यही प्रतीत हो रहा। पूरे प्रदेश में 28 नवीन उपार्जन केंद्रों को स्वीकृति मिली है जिसमें कोरबा से प्रस्तावित 9 में से महज दो केंद्र ही शामिल हैं। ये दोनों केंद्र कम उपज वाले व सत्तारूढ़ विधायक के प्रस्तावित व क्षेत्रों से हैं ,रामपुर विधानसभा के दोनों सर्वाधिक उपज वाले प्रस्तावित केंद्रों की अनदेखी कर दी गई। जिससे एक बार फिर दर्जनों गांव के सैकड़ों किसानों को समर्थन मूल्य पर धान बेचने लंबा फासला तय करना पड़ेगा।
यहां बताना होगा कि प्रदेश में इस साल 1 नवंबर से धान खरीदी अभियान का आगाज हो गया है ।समर्थन मूल्य पर पंजीकृत किसानों से धान खरीदे जा रहे हैं। हर साल शासन किसानों की सुविधाओं को प्राथमिकता में रखकर धान खरीदी करती है। इन सुविधाओं में सबसे प्रमुख धान उपार्जन (खरीदी) केंद्र होते हैं। शासन का पिछले कुछ वर्षों से उपार्जन केंद्रों की संख्या बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित रहा है ,ताकि किसानों को धान बेचने लंबा फासला तय कर समय व धन का नुकसान न उठाना पड़े। इसी परिप्रेक्ष्य में हर साल कार्यालय उप पंजीयक एवं सहकारी बैंक के माध्यम से समितियों से प्रस्ताव मंगाती है । जिसे धान खरीदी शुरू होने से पूर्व मापदंडों में परखकर नवीन उपार्जन केंद्रों की स्वीकृति दी जाती है। जहां खरीदी के लिए भवन ,सुव्यवस्थित फड़ ,कर्मचारी ,खरीदी उपकरण से लेकर तमाम माकूल इंतजाम किए जाते हैं। किसानों को धान बेचने लंबा फासला तय न करना पड़े इसलिए इस साल 9 उपार्जन केंद्रों का प्रस्ताव भेजा गया था। इनमें 5 समिति स्तर से प्रस्तावित थे ,जिनमें रामपुर विधानसभा क्षेत्र से कोरकोमा समिति से चचिया,श्यांग समिति से लेमरू कटघोरा विधानसभा क्षेत्र से अखरापाली -भिलाईबाजार समिति से मुढाली ,उतरदा समिति से बोईदा एवं पाली तानाखार क्षेत्र से पाली समिति से बक्साही नवीन उपार्जन केंद्र के रूप में प्रस्तावित था। वहीं शासन स्तर से विधायकों की अनुशंसा पर सीधे 4 उपार्जन केंद्रों का प्रस्ताव भेजा गया था। ये सभी पाली -तानाखार विधासभा क्षेत्र से प्रस्तावित थे इनमें लाफा समिति से पोटापानी ,पोंडी समिति से बतरा ,चैतमा से रजकम्मा ,एवं बिंझरा से तानाखार शामिल है। इस तरह जिले से कुल 9 केंद्रों का प्रस्ताव भेजा जा चुका था । जिनमें पाली तानाखार विधासभा क्षेत्र से बिंझरा समिति से तानाखार व उतरदा से बोईदा को नवीन उपार्जन केंद्र की स्वीकृति मिली है।रामपुर विधानसभा क्षेत्र के दोनों नवीन उपार्जन केंद्रों के प्रस्ताव को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया । अब तक एक भी केंद्र को मंजूरी नहीं मिली। बहरहाल अब दो नवीन उपार्जन केंद्रों के साथ जिले के 41 समितियों की उपार्जन केंद्रों की संख्या 55 से बढ़कर 57 हो गई है। नवीन केंद्रों में भी चालू खरीफ विपणन वर्ष से धान खरीदी होगी। लिहाजा सम्बंधित विभाग आवश्यक तैयारियों में जुट जाएगा।
रामपुर विधानसभा क्षेत्र के चचिया और लेमरू में इसलिए है नवीन उपार्जन केंद्र की दरकार
रामपुर विधानसभा से दो नवीन उपार्जन केंद्र प्रस्तावित थे। इनमें कोरकोमा समिति से चचिया तो श्यांग समिति से लेमरू प्रस्तावित थे। दोनों ही प्रस्तावित केंद्र सर्वाधिक उपज वाले व समिति से लंबे फासला वाले केंद्र हैं। कोरकोमा से चचिया में उपार्जन केंद्र बनाने पिछले कई वर्षों से मांग की जा रही है व प्रस्ताव भेजे रहे। कोरकोमा से चचिया की दूसरी 18 किलोमीटर है। चचिया क्षेत्र से कुदमुरा ,गेरांव ,चचिया ,तौलीपाली, धौराभांठा , पसरखेत,बताती एवं मदनपुर कुल 8 गांव के 607 पंजीकृत किसान हर साल घने जंगलों के बीच धान बेचने हर साल कोरकोमा आते हैं।गत वर्ष इस क्षेत्र के 792 किसानों ने 23 हजार 600 क्विंटल धान कोरकोमा में बेचा था। चचिया में बोनी रकबा 932.939 हेक्टेयर है। वहीं श्यांग से लेमरू की दूरी भी तकरीबन 30 किलोमीटर है ,इस वनांचल क्षेत्र में सड़कों की दुर्दशा जगजाहिर है साथ ही हाथी भालू सहित अन्य जंगली जानवरों का भय बना रहता है। यहां भी उपार्जन केंद्र खुलने से दर्जनों गांव के 250 से अधिक किसानों समय व धन की बचत होगी। उन्होंने वाहन किराया कर जान जोखिम में डालकर धान बेचने नहीं जाना पड़ेगा। ऐसे अत्यंत आवश्यक केंद्रों के प्रस्ताव को सिर्फ इसलिए नजरअंदाज करना कि वहाँ विपक्ष के विधायक हैं समझ से परे है। आने वाले वक्त में इसको लेकर जनाक्रोश या विरोध की स्थिति उत्पन्न हो तो कोई हैरानी नहीं होगी।
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