रायपुर, 13 नवम्बर । निमोनिया की समस्या छोटे बच्चों में ज्यादा देखने को मिलती है। लेकिन निमोनिया किसी भी उम्र में हो सकता है। निमोनिया फेफड़े का इंफेक्शन हैं। इसमें फेफड़ों में पानी, मवाद भरने से सांस लेने में दिक्कत, या कफ की समस्या होती हैं। समय रहते इसका इलाज जरूरी है नहीं तो यह रोग गंभीर रूप धारण कर लेता है। किन्तु समय रहते इलाज मिल जाने पर यह रोग ठीक हो जाता है।
जिला अस्पताल पंडरी के सिविल सर्जन डा. पीके गुप्ता ने बताया, निमोनिया सांस से जुड़ी एक गंभीर समस्या है, जिसमें फेफड़ों में इंफेक्शन हो जाता है। निमोनिया होने पर लंग्स में सूजन आ जाती है और कई बार पानी भी भर जाता है। निमोनिया वायरस, बैक्टीरिया और कवक सहित कई संक्रामक वाहकों की वजह से होता है। जिला अस्पताल पंडरी में भी विश्व निमोनिया दिवस पर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा।“
निमोनिया के लक्षण
आमतौर पर सर्दी, जुकाम से होती है। जब फेफड़ों में संक्रमण तेजी से बढ़ने लगता है, तेज बुखार के साथ सांस लेने में तकलीफ होती है। सीने में दर्द की शिकायत होती है। कम उम्र के बच्चों को बुखार नहीं आता लेकिन खांसी और सांस लेने में परेशानी होती है।
निमोनिया से बचाव
जन्म के बाद टीकाकरण के माध्यम से निमोनिया को रोका जा सकता है। इससे बचाव के लिए शिशुओं बच्चों और वयस्कों को टीके भी लगाए जाते हैं। निमोनिया से बचाव के लिए दूसरे तरीकों में धूम्रपान से दूरी, साफ सफाई रखने, मास्क पहनने, पौष्टिक आहार लेने, व्यायाम, योग के माध्यम से निमोनिया से बचा जा सकता है।
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