कोरबा 12 नवंबर 2022/ मुख्य न्यायाधीश छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय एवं मुख्य संरक्षक छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण न्यायमूर्ति अरुप कुमार गोस्वामी, न्यायमूर्ति गौतम भादुडी न्यायाधीश छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय एवं कार्यपालक अध्यक्ष राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण बिलासपुर एवं अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण एवं जिला न्यायाधीश कोरबा श्री डीएल कटकवार के निर्देश एवं राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के मार्गदर्शन में कोरबा में 12 नवंबर 2022 को नेशनल लोक अदालत का आयोजन किया गया। जिले में तालुका स्तर पर तालुका कटघोरा, करतला एवं पाली सहित संपूर्ण जिले में सभी न्यायालयों में नेशनल लोक अदालत का आयोजन किया गया। जिसमें राजीनामा योग आपसी समझौते एवं सुलह के माध्यम से प्रकरणों को निराकृत किए जाने का प्रयास किया गया। जिले में स्थित जिला न्यायालय में विभिन्न दांडीक चेक बाउंस अपराधिक प्रकरण छोटे मामले पुलिस चालान एवं सिविल प्रकृति के 5000 लंबित प्रकरणों कि आज सुनवाई की गई। जिसमें कोर्ट में लंबित प्रकरणों में 500 से अधिक प्रकरणों का निराकरण किया गया। एवं प्री लिटिगेशन स्तर के प्रकरणों 2566 से अधिक प्रकरणों को चिन्हित किया गया था। जिसमें बिजली बिल किराया संबंधित संपत्ति कर नामंत्रण इत्यादि के सभी प्रकार संबंधित है। प्री लिटिगेशन के 100 एवं कोर्ट में लंबित 500 से अधिक प्रकरणों के निराकरण किए जाने की संभावना है।
बेसहारा महिला एवं बच्चों का सहारा बना नेशनल लोक अदालत : जिला सत्र न्यायालय में लंबित प्रकरण में वृद्ध आवेदिका के मृतक पुत्र की मृत्यु 2018 में सडक दुर्घटना में हो गई थी, जिससे मृतक की आवेदिका वृद्ध माता एवं मृतक के नाबालिक बच्चो के भविष्य पर अंधकार छा गया था, ऐसे में आवेदिका एवं मृतक की आवेदिका माता एवं नाबालिक बच्चों के द्वारा माननीय न्यायालय के समक्ष क्षतिपूर्ति बाबत् आवेदन प्रस्तुत किए, उक्त प्रकरण में हाईब्रीड नेशनल लोक अदालत में संयुक्त रूप से समझौता कर आवेदन पत्र प्रस्तुत किया, जिसमें उनके द्वारा 13,00,000/- रूपये (तेरह लाख रूपये) बिना किसी डर-दबाव के राजीनामा किया। इस प्रकार बेसहारा मृतक के आवेदिका वृ़द्ध माता एवं मृतक के नाबलिग बच्चों को जीवन जीने का एक सहारा नेशनल लोक अदालत ने प्रदान किया।
वृद्ध दंपती को 17 वर्ष पश्चात लोक अदालत के माध्यम से मिला पुनः दांपत्य: आज के वर्तमान परिवेश में दाम्पत्य जीवन की डोर कमजोर हो चली है, वृद्ध प्रतिवादी के द्वारा अपने बुढापे में सहारे की खोज में प्रतिवादिनी से चूडी विवाह किया। जिससे उनको एक पुत्री की प्राप्ती हुई। शादी के पश्चात् प्रतिवादिनी के द्वारा आवेदक को उसके वृद्धावस्था, शारीरिक अस्वस्थता को लेकर मानसिक एवं शारीरिक रूप से प्रताडित करने लगी। तथा वद्ध आवेदक की नौकरी हडप लेने की धमकी देने लगी तथा घर छोडकर अपनी पुत्री के साथ अपने मायके चली आई। ऐसे में आवेदक के द्वारा माननीय न्यायालय में प्रविवादिनी के साथ विवाह को विच्छेदित करने हेतु धारा 13 हिन्दू विवाह अधिनियम के अंतर्गत वाद पेश किया। आज आयोजित हाईब्रीड नेशनल लोक अदालत में माननीय न्यायालय के द्वारा प्रतिवादी एवं प्रतिवादिनी को साथ रह कर आपसी सामंजस्य के साथ जीवन जीने की समझाईश दी गई। जिससे आवेदक एंव अनावेदिका ने समझाईश को स्वीकार कर अपने दोनों नाबालिग बच्चियों के भविष्य हेतु राजीनामा के आधार पर सुखपूर्वक एवं खुशहाल जीवन यापन हेतु बिना डर एवं दबाव के समझौता किया। इस प्रकार नेशनल लोक अदालत ने बच्चियों को माता-पिता का दुलार प्रदान करने एवं सुखमय जीवन यापन करने में सहायता प्रदान की।
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