बायोप्लॉक विधि से होगा मछली पालन, पपीता बनेगा रायपुर की पहचान

रायपुर,12 नवम्बर I रायपुर जिले के सभी सक्रिय गौठानों में पशुओं की स्वास्थ्य जांच के लिए शिविर लगाये जाएंगे। इन शिविरों में पशुओं को आवश्यकता अनुसार बीमार होने पर दवाईयां दी जाएगी। इसके साथ ही टीकाकरण भी किया जाएगा। जिले में जल्द ही बायोप्लॉक विधि से महिला समूहों द्वारा मछली पालन की शुरूआत भी चिन्हांकित गौठानों में की जाएगी। इसके लिए खनिज न्यास निधि से महिला समूहों को आर्थिक सहायता भी मिलेगी। कलेक्टर डॉ. सर्वेश्वर भुरे ने आज सुबह कलेक्टोरेट सभाकक्ष में कृषि और उसके सहयोगी विभागों पशुपालन, उद्यानिकी, मछली पालन और सहकारी बैंक के अधिकारियों की बैठक में शासकीय योजनाओं और कार्यक्रमों की समीक्षा की।

उन्होंने खेती-किसानी से जुड़ी योजनाओं से अधिक से अधिक किसानों को लाभान्वित करने के निर्देंश अधिकारियों को दिए। कलेक्टर ने रबी मौसम में किसानों को पर्याप्त मात्रा में बीज, खाद्, दवाईयां उपलब्ध कराने के निर्देंश दिए। बैठक में जिला पंचायत के सी.ई.ओ. आकाश छिकारा सहित कृषि विभाग के उप संचालक आर.के. कश्यप और सभी संबंधित विभागों के जिला स्तरीय अधिकारी भी मौजूद रहे। वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट के तहत जिले में होगी पपीते की खेती- एक जिला एक उत्पाद कार्यक्रम के तहत रायपुर जिले में लगभग तीन सौ हेक्टेयर रकबे में हाईब्रिड पपीते की खेती की जाएगी।

इसके लिए उपयुक्त कलस्टर और किसानों का समूह चिन्हांकित करने के निर्देंश कलेक्टर डॉ. भुरे ने आज बैठक में उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों को दिए। पपीते के खेती के लिए हाईब्रिड पौधे किसानों को दिए जाएंगे। खेती के लिए जरूरी तैयारियों, खाद्, दवा, सिचांई आदि की व्यवस्था के लिए भी किसानों को शासकीय तौर पर मदद् दी जाएगी। कलेक्टर ने अभी से ही पपीते का औसत उत्पादन अनुमानित कर उसके लिए विस्तृत बाजार और बेचने की व्यवस्था आदि की भी तैयारी शुरू करने के निर्देंश अधिकारियों को दिए। कलेक्टर डॉ. भुरे ने जिले में उद्यानिकी फसलों का रकबा बढ़ाने के लिए भी किसानों को प्रेरित करने को कहा।

बैठक में कलेक्टर ने गौठानों में सामुदायिक बाड़ियां लगाने के साथ दूध उत्पादन के लिए पशुधन विकास विभाग के अधिकारियों को विशेष प्रयास करने के निर्देंश दिए। कलेक्टर ने मछली पालन एवं पशुपालन के लिए कृषि ऋण देने की प्रक्रिया को सरल करते हुए अधिक से अधिक किसानों को लोन उपलब्ध कराने के निर्देंश सहकारी बैंक के अधिकारियों को दिए। डॉ. भुरे ने मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए केज कल्चर गतिविधियों में तेजी लाने साथ ही केज स्थापना के लिए बड़े जलाशयों और तालाबों में 5 प्रतिशत रकबा आरक्षित रखने के निर्देंश भी दिए।

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