रायपुर। छत्तीसगढ़ में हुए नागरिक आपूर्ति निगम-नान और चिटफंड घोटाले पर विवाद जारी है। इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हिमाचल प्रदेश चुनाव को लेकर दिये एक बयान पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बयान की गुगली डाली है। उन्होंने कहा, 2014 से 2018 तक छत्तीसगढ़ और केंद्र में भाजपा की ही सरकार थी। लेकिन उसमें न तो चिटफंड घोटाले की जांच हुई और न ही नान घोटाले की। मैं सहयोग को तैयार हूं आप दोनों मामलों की ED-प्रवर्तन निदेशालय से जांच कराइए।
दरअसल हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में एक जनसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, कांग्रेस पार्टी अगर हिमाचल प्रदेश की सत्ता में बैठ गई तो वे दिल्ली में मुझे हिमाचल के लिए काम नहीं करने देगी। जवाब में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री ने चिटफंड और नान का मामला उठा दिया। उन्होंने लिखा, “प्रधानमंत्री जी! 2014-2018 तक छत्तीसगढ़ में भी भाजपा की सरकार थी, केंद्र में भी भाजपा की सरकार थी लेकिन ना ही चिटफंड घोटाले की जांच हुई, ना नान घोटाले की। मैं तो सहयोग करने को तैयार हूं, आप दोनों जांच ED से करवाइए। डॉ. रमन सिंह जी ने आपका साथ नहीं दिया लेकिन मैं दूंगा।’
मुख्यमंत्री यहीं नहीं रुके। उन्होंने लिखा, “भाजपा के मुख्यमंत्री पता नहीं आपका सहयोग क्यों नहीं करते। हमारा पूरा सहयोग 2024 तक आपको मिलेगा। आप छत्तीसगढ़ में भाजपा काल में हुए घोटालों की जांच शुरू करवाइए। हिमाचल में कांग्रेस सरकार बनते ही आपको जयराम जी और नड्डा जी की सिर फुटव्वल से मुक्ति मिलेगी, हिमाचल को कुशासन से।’ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी कांग्रेस के चुनाव प्रचार के लिए हिमाचल प्रदेश के प्रवास पर हैं। वहीं प्रधानमंत्री भी वहां ताबड़तोड़ रैलियां कर रहे हैं। हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में 12 नवंबर को मतदान होना है।
एक दिन पहले ही ED को पत्र लिखा था
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 8 नवंबर को ही प्रवर्तन निदेशालय-ED के निदेशक को दो अलग-अलग पत्र लिखा था। पहले पत्र में उन्होंने नान घोटाले की जांच की मांग की थी। उनका कहना था, भाजपा शासन के समय जांच अधिकारी ने आरोपियों के पास से मिली लेन-देन की डायरी में से सीएम सर और सीएम मैडम के नाम से जुड़े मामले को दबा दिया। कई आरोपियों को क्लीनचिट दे दी गई। जबकि इस घोटाले की रकम को कई जगह खपाने के तथ्य हैं। वहीं चिटफंड घोटाले में तत्कालीन मुख्यमंत्री, उनका परिवार और कई मंत्री फर्जी कंपनियों के स्टार प्रचारक बने हुए थे। उसमें मनी लॉन्ड्रिंग भी हुई है।
रमन सिंह ने आरोपों को बौखलाहट बताया
इधर पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने नान घोटाले और चिटफंड घोटाले के आरोपों को खारिज करने की कोशिश की है। उन्होंने कहा, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल विपक्ष में थे तब भी यही आरोप लगाते रहे। अब जिम्मेदार पद पर बैठे हैं, तब भी उनको मेरा ही चेहरा दिखता है। वे बेबुनियाद आरोप लगा रहे हैं। रमन सिंह ने दावा किया कि चिटफंड मामले में छत्तीसगढ़ पुलिस उनके बेटे अभिषेक सिंह सहित सभी स्टार प्रचारकों को क्लीनचिट दे चुकी है। वहीं आय से अधिक संपत्ति मामले में आयकर विभाग शपथपत्र पर न्यायालय को बता चुके है कि चुनाव आयोग को दिए उनके हलफनामें में दर्शाई आय और उनकी संपत्ति में कुछ भी गड़बड़ नहीं है। डॉ. रमन सिंह ने यह भी कहा, चार साल से छत्तीसगढ़ पुलिस की एसआईटी नान मामले की जांच आखिर क्यों नहीं कर पाई।
क्या है यह यह नान घोटाला ?
दरअसल छत्तीसगढ़ में नागरिक आपूर्ति निगम के जरिए सार्वजनिक वितरण प्रणाली का संचालन होता है। एंटी करप्शन और आर्थिक अपराध ब्यूरो ने 12 फरवरी 2015 को नागरिक आपूर्ति निगम के मुख्यालय सहित अधिकारियों-कर्मचारियों के 28 ठिकानों पर एक साथ छापा मारा था। वहां से करोड़ों रुपए की नकदी, कथित भ्रष्टाचार से संबंधित कई दस्तावेज, डायरी, कम्प्यूटर की हार्ड डिस्क समेत कई दस्तावेज मिले। आरोप था, राइस मिलों से लाखों क्विंटल घटिया चावल लिया गया और इसके बदले करोड़ों रुपये की रिश्वत ली गई। चावल के भंडारण और परिवहन में भी भ्रष्टाचार किया गया। शुरुआत में शिवशंकर भट्ट सहित 27 लोगों के खिलाफ मामला चला। बाद में निगम के तत्कालीन अध्यक्ष और एमडी का नाम भी आरोपियों की सूची में शामिल हो गया। हालांकि तत्कालीन सरकार ने उन पर मुकदमा चलाने की अनुमति तब दी, जब यह तय हो गया कि राजनीतिक सत्ता बदलने वाली है।
सरकार बदली तो जांच अधिकारी ही नप गये
2018 के विधानसभा चुनाव के बाद छत्तीसगढ़ में सत्ता बदल गई। 17 दिसम्बर 2018 को कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष भूपेश बघेल ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। उसके कुछ ही दिनों बाद नान घोटाले की जांच के लिए एक SIT का गठन किया गया। इस दौरान सामने आया कि नान घोटाले की जांच के दौरान एसीबी के मुखिया मुकेश गुप्ता और एसपी रजनेश सिंह ने फर्जी दस्तावेज किए हैं। अवैध रूप से अफसरों-नेताओं के फोन टेप किए गए हैं। इस आरोप के आधार पर सरकार ने मुकेश गुप्ता और रजनेश सिंह को निलंबित कर दिया। उनके खिलाफ एफआईआर हुआ। उसके बाद से गिरफ्तारी की आशंका में दोनों अधिकारी भूमिगत हो गए। तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक एसआईटी के खिलाफ कोर्ट गए और स्टे ले आए। मुकेश गुप्ता ने सर्वोच्च न्यायालय से कार्रवाई पर स्टे लगवाने में कामयाब हो गए। लेकिन उनके खिलाफ राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में केस किया है।
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