डेस्क। एलन मस्क (Elon Musk) के टि्वटर (Twitter) के अधिग्रहण के बीच छह वर्ष पुरानी माइक्रो ब्लागिंग साइट मैस्टोडन (Mastodon) एक बार फिर चर्चा में है। ट्विटर खरीदने के बाद मस्क ने ब्लू टिक यूजर्स से आठ डालर प्रतिमाह शुल्क वसूलने की बात कही है। भारतीय मुद्रा में यह लगभग 650 रुपये महीना है। इसके अलावा कई अन्य सेवाओं के लिए भी ट्विटर के उपयोगकर्ताओं को पैसा देना पड़ सकता है। इस कारण कई हस्तियों ने ट्विटर की न केवल आलोचना की है, बल्कि इसे छोड़ने का भी एलान कर दिया। इस बीच मैस्टोडन को एक विकल्प के तौर पर देखा जा रहा है। बीते कुछ समय की गतिविधियां भी कुछ एसा ही संकेत कर रही हैं। इससे लगातार नए लोग जुड़ रहे हैं। आइए, समझें क्या है यह एप और कैसे काम करता है।
किसी एक के पास नहीं है Mastodon की कमान
मैस्टोडन को ट्विटर की तर्ज पर माइक्रो ब्लागिंग साइट के तौर पर विकसित किया गया है। एक विशिष्ट बात यह है कि फिलहाल इसकी कमान किसी कंपनी के हाथ में न होकर, अलग-अलग ग्रुप और निजी लोगों के हाथ में है। यानी यह विकेंद्रीकृत एप है। किसी एक का नियंत्रण इसके कामकाज में नहीं है। अभी इसमें विज्ञापन शामिल नहीं हैं। इसके संचालन के लिए राशि क्राउडफंडिंग के जरिये जुटाई जा रही है।
Mastodon यहूदी मूल के जर्मन साफ्टवेयर डेवलपर ने बनाया
मैस्टोडन को एक जर्मन साफ्टवेयर डेवलपर यूगेन रोचको ने विकसित किया है। वह इसके सीईओ भी हैं। रोचको का जन्म रूसी मूल के एक यहूदी परिवार में हुआ। वह 11 वर्ष की उम्र में जर्मनी पहुंच गए थे। कंप्यूटर साइंस में विशेषज्ञता हासिल करने के बाद उन्होंने वर्ष 2016 में मैस्टोडन एप लांच किया। सोमवार को ही रोचको ने एक पोस्ट में कहा है कि चार लाख अस्सी हजार से अधिक नए यूजर मैस्टोडन के साथ बीते 27 अक्टूबर से जुड़े हैं। इसी तिथि को एलन मस्क ने ट्विटर को खरीदा था।
Twitter की तरह काम करता है Mastodon
ये इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म ट्विटर की तरह ही काम करता है। मैस्टोडन पर भी आप किसी दूसरे यूजर को टैग करने के साथ अपनी चीजें साझा कर सकते हैं। साथ ही अन्य अकाउंट्स को भी फालो कर सकते हैं। मैस्टोडन के पोस्ट को “ट्वीट” के बजाय “टाट्स” कहा जाता है। इसमें टि्वटर की तुलना में दोगुने अक्षर (500) लिखे जा सकते हैं। आपका इस पर नियंत्रण होगा कि आपकी पोस्ट को कौन देख सकता है। उन लोगों को भी देखा जा सकता है, जिनका आप पोस्ट में उल्लेख करते हैं। इसमें लोगों को सर्वर ज्वाइन करने को कहा जाता है। सर्वर एक पसंदगी वाले लोगों के समूह की तरह होता है। यूजर किसी अन्य सर्वर के यूजर को फालो कर सकते हैं औऱ कभी भी अपना सर्वर बदल सकते हैं। इस संघीय स्वरूप के कारण इसे फेडिवर्स भी कहा जाता है।
Google पर बढ़ गई Mastodon की सर्च
ट्विटर में बदलावों का होना मैस्टोडन के लिए काफी फायदेमंद रहा है। गूगल पर इसकी सर्च बढ़ गई है। रोचको के अनुसार 27 अक्टूबर से इस प्लेटफार्म पर नए यूजर की संख्या बढ़ने लगी है। औसतन 60-80 नए यूजर की वृद्धि हो रही है। यह एक ओपन सोर्स इंटरनेट मीडिया नेटवर्क है और खुद के ट्विटर के विकल्प के रूप में प्रस्तुत करता है।
Koo भी कर रहा तैयारी
भारतीय इंटरनेट मीडिया एप कू भी बदले परिदृश्य में खुद को ट्विटर के विकल्प के रूप में तैयार कर रहा है। अभी यह एप भारत की क्षेत्रीय भाषाओं में उपलब्ध है, लेकिन अब अंग्रेजी में इसे लाने की तैयारी है। एप के सह संस्थापक मयंक बिडवटका ने कहा है कि हमारा प्रोडक्ट विश्व स्तरीय है। इंटरनेट मीडिया संसार में हो रहे ताजा बदलावों के कारण हमें अंग्रेजी भाषी यूजर के लिए भी कू उपलब्ध कराने का यह सही अवसर लग रहा है। हम एप के फीचर निश्शुल्क दे रहे हैं। तीन वर्ष पहले लांच हुए कू पर एक करोड़ मासिक एक्टिव य़ूजर हैं और पांच करोड़ से अधिक बार यह एप डाउनलोड किया गया है।
[metaslider id="347522"]