कोरबा,07 नवंबर ।एमबीबीएस के प्रथम वर्ष के छात्र प्राइवेट काॅलेज की अपेक्षा मेडिकल काॅलेज में कम खर्च में पढ़ाई पूरी कर लेंगे। दरअसल एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी करने के लिए छात्राें काे निजी मेडिकल काॅलेज में 5 लाख रुपए से ज्यादा का खर्च उठाना पड़ता है, वहीं सरकारी काॅलेज में यह फीस बहुत ही कम पड़ती है। निजी काॅलेज में जहां एक साल का खर्च 5 लाख रुपए से अधिक है, वही सरकारी में 50 हजार रुपए देना पड़ता है। काेरबा मेडिकल काॅलेज में एमबीबीएस के प्रथम वर्ष में 100 सीट के लिए एडमिशन की प्रक्रिया शुरू हाे गई है।
यहां भी 40 हजार रुपए ट्यूशन फीस व 10 हजार रुपए अन्य फीस ली जा रही है, जिसमें हॉस्टल खर्च जुड़ा हुआ है। काॅलेज में सेंट्रल काेटा से 3 छात्राें ने पहले ही एडमिशन लिया है, वहीं स्टेट काेटा में सीट मिलने के बाद शनिवार के बाद रविवार काे भी छुट्टी के दिन काॅलेज में एडमिशन प्रक्रिया जारी रही। डीन डाॅ. अविनाश मेश्राम और संयुक्त संचालक डाॅ. गाेपाल कंवर की मौजूदगी में छात्राें के दस्तावेजों की स्क्रूटनी और एडमिशन की प्रक्रिया पूरी की जाती रही। सुबह से लेकर देर शाम तक चली प्रक्रिया के दाैरान चयनित 18 छात्र पहुंचे, जिन्हाेंने एडमिशन लिया।
8 नवंबर तक स्क्रूटनी 9 तक हाेगा एडमिशन
चिकित्सा शिक्षा विभाग के संचालक द्वारा जारी गाइडलाइन के तहत स्टेट काेटे के पहले राउंड के चयनित छात्राें काे उन्हें जिन काॅलेज में सीट आबंटित की गई है वहां 8 नवंबर तक पहुंचकर दस्तावेजों की स्क्रूटनी करानी हाेगी। वहीं 9 नवंबर तक एडमिशन लेना हाेगा। उक्त अवधि तक एडमिशन नहीं लेने पर वे अगले राउंड के लिए चले जाएंगे।
परिवार के साथ पहुंचे भोजन के लिए भटके
रविवार काे काेरबा मेडिकल काॅलेज में एडमिशन लेने वाले छात्र प्रदेश के अलग-अलग जिलाें से थे, जाे परिजन के साथ पहुंचे थे। काॅलेज नया हाेने के कारण कैंपस में अभी कैंटीन की सुविधा नहीं है। आसपास क्षेत्र में भी हाेटल नहीं है। इसलिए वे दाेपहर में भाेजन के लिए परेशान नजर आए। दस्तावेजों की फाेटाेकाॅपी कराने के लिए भी उन्हें भटकना पड़ा।
[metaslider id="347522"]