रायपुर, 5 नवंबर।छत्तीसगढ़ में आदिवासियों के आरक्षण रद्द होने के मुद्दे को लेकर राज्यपाल अनुसुइया उइके ने शुक्रवार देर शाम को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को पत्र लिखा है। उन्होंने पत्र के माध्यम से जनजातियों की आरक्षण बहाली के लिए राज्य सरकार द्वारा किए गए प्रयासों की जानकारी मांगी है। इसकी जानकारी तत्काल दी जाए।उन्होंने यह भी कहा है कि राज्य सरकार विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर विधेयक पारित कराए या अध्यादेश के माध्यम से समस्या का समाधान शीघ्र करें।
राज्यपाल ने बघेल को लिखे पत्र में कहा है कि इस मुद्दे का जल्द से जल्द निराकरण किया जाए। जनजातीय समाज के राजनीतिक एवं गैर राजनीतिक संगठन, अधिकारी व कर्मचारी संगठनों द्वारा प्रदर्शन कर आरक्षण बहाली की मांग की जा रही है। इस स्थिति से जनजातीय समाज में असंतोष है। कानून व्यवस्था की स्थिति निर्मित हो रही है।जनजातीय बाहुल्य प्रदेश होने के कारण बतौर राज्यपाल जनजातीय हितों का संरक्षण करना मेरी जिम्मेदारी है।
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उल्लेखनीय है कि बिलासपुर हाईकोर्ट ने दो महीने पहले एक आदेश दिया था। जिसके बाद आदिवासियों का आरक्षण 32 प्रतिशत से घटकर 20 प्रतिशत हो गया है। इसके कारण प्रदेश में शासकीय विभागों की भर्तियों पर रोक लग गई है।इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आदिवासी समाज के प्रतिनिधियों से मुलाकात के बाद उनसे कहा है कि वे आरक्षण का अध्ययन दल तमिलनाडू, कर्नाटक व महाराष्ट्र का दौरा करेगा। समाज का प्रतिनिधि मंडल भी दूसरे राज्यों की आरक्षण व्यवस्था की स्टडी करेगा ताकि, अधिकारियों के अध्ययन दल से कोई बात छूट जाए तो वे इसे सामने ला सकें।
ज्ञात हो कि पिछले दिनों भाजपा प्रवक्ता देवलाल ठाकुर ने हाल ही में राज्यपाल से मुलाकात कर आरक्षण की स्थिति स्पष्ट की थी। उन्होंने बताया था कि हाईकोर्ट ने 58 प्रतिशत के आदेश को गलत करार दिया है। ऐसे में अब शासन को नई आरक्षण व्यवस्था लागू करनी है। किस जाति को कितने प्रतिशत आरक्षण देना है, यह शासन तय करें। वर्तमान में आरक्षण शून्य है। ऐसे में कोई भी भर्ती नहीं हो सकती है।
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