खरसिया ,30 अक्टूबर। आस्था का महापर्व छठ के चार दिवसीय इस अनुष्ठान के तीसरे दिन भगवान भास्कर को संध्या में पहला अर्घ्य अर्पित किया गया। मान्यता है कि शाम के समय सूर्य देवता अपनी अर्धांगिनी देवी प्रत्युषा के साथ समय बिताते हैं। यही कारण है कि छठ पूजा में शाम को डूबते हुए सूर्य को अर्ध्य दिया जाता है।
रंगीन मछलियों के लिए प्रसिद्ध भगत तालाब पर मानो आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा। सैकड़ों की संख्या में छठव्रतियों ने भगवान भास्कर को पहला अर्घ्य प्रदान किया। छठ के महापर्व में कार्तिक शुक्ल षष्ठी तिथि को व्रती महिलाओं ने उपवास रखा और शाम को नदी या तालाब में जाकर डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया। ये अर्घ्य एक बांस के सूप में फल, ठेकुआ प्रसाद, ईख, नारियल आदि रखकर दिया जाता है। इसके बाद कार्तिक शुक्ल सप्तमी की सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देते हैं। इस दिन छठ व्रत संपन्न हो जाता है और व्रती महिलाएं व्रत का पारण करती है।
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