खरसिया ,30 अक्टूबर। कोरोना महामारी की समाप्ति के बाद पहली बार छठ पूजा महापर्व रविवार को शाम 4 बजे खरसिया के प्रसिद्ध सिद्धेश्वर महादेव मंदिर भगत तालाब में मनाया जाएगा। वहीं सोमवार को सुबह 5 बजे से उगते सूर्य तक पूजा अर्चना व अघ्र्य दिया जाएगा।
छठ पूजा समिति के संरक्षक राधेश्याम शर्मा ने बताया कि शनिवार को खरना छठ व्रत रखा गया। जिसमें महिलाओं ने पूरे दिन निर्जला व्रत रखकर शाम को खीर-रोटी खाकर अपना उपवास तोड़ा। वहीं रविवार को सुबह फिर से निर्जला व्रत रखकर शाम को भगत तालाब स्थित छठ घाट में डूबते सूर्य को अघ्र्य दिया जाएगा और सोमवार को सुबह उगते सूर्य को अघ्र्य देने के बाद पूजा का समापन होगा।
सूर्यदेव ही हैं छठी मैया :
सूर्यदेव को षष्ठी तिथि के दिन मैया अर्थात देवी के रूप में पूजा जाता है। मान्यता है कि पुरातन काल में परशुराम के पिता जमदग्नि ऋषि ने देखा कि सूर्य की तपन बहुत तेज है। परशुराम की मां रेणुका तुलसी पूजा कर रही थीं, जो पसीने से तरबतर हो गईं। उन्हें पसीने से तरबतर देख जमदग्नि ऋषि को सूर्य पर क्रोध आ गया और उन्होंने सूर्य को श्राप देते हुए कहा कि तुम भी एक दिन के लिए ही सही पर स्त्री बनोगे, तब तुम्हें स्त्रियों का कष्ट ज्ञात होगा। तभी से मान्यता है कि सूर्यदेव छठ मैया के रूप में पूजे जाते हैं।
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