नई दिल्ली। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने राजस्थान के कुछ जिलों में स्टांप पेपर पर लड़कियों को बेचे जाने के बारे में आयी एक खबर पर स्वत: संज्ञान लिया है। आयोग ने मीडिया में आयी खबर पर राजस्थान के मुख्य सचिव को नोटिस जारी कर रिपोर्ट मांगी है। साथ ही पूछा है कि अगर ऐसा है तो उसे रोकने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं और दोषियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई है।
आयोग ने डीजीपी से विस्तृत रिपोर्ट देने को कहा
मानवाधिकार उल्लंघन और जाति पंचायतों के बारे में भी आयोग ने राज्य सरकार से जवाब मांगा है। एनएचआरसी ने पिछले दिनों मीडिया में आयी खबर पर संज्ञान लेते हुए कहा कि यदि कर्ज न उतार पाने पर लड़कियों को बेचने संबंधी खबर सही है तो यह मानवाधिकार का गंभीर उल्लंघन है। राजस्थान सरकार को नोटिस जारी करते हुए आयोग ने विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। साथ ही आयोग ने राजस्थान के डीजीपी को भी नोटिस जारी किया है। डीजीपी से भी आयोग ने विस्तृत रिपोर्ट देने को कहा है जिसमें यह बताना होगा कि इसमें संलिप्त अपराधियों के खिलाफ क्या क्रिमिनल कार्रवाई की गई है। एफआइआर दर्ज होने और आरोपपत्र दाखिल होने आदि की स्थिति भी बताने को कहा है।
आयोग ने मुख्य सचिव और डीजीपी से चार सप्ताह में रिपोर्ट मांगी है। इसके अलावा आयोग ने अपने विशेष प्रतिवेदक उमेश कुमार शर्मा को राजस्थान के भीलवाड़ा समेत संबंधित जिलों और प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करके व्यापक रिपोर्ट देने को कहा है। आयोग ने शर्मा को तीन महीने में दौरा करके ऐसी घटनाओं के बारे में रिपोर्ट देने को कहा है। दो दिन पहले ऐसी खबर आयी थी जिसमें कहा गया था कि राजस्थान के करीब आधा दर्जन जिलों में स्टांप पेपर पर लड़कियों को बेचा जाता है।
रिपोर्ट के मुताबिक कर्ज न चुकाने पर दलाल स्टांप पेपर पर लड़कियों को बेचते हैं। लड़कियों को गुलाम बना दिया जाता है। रिपोर्ट में कुछ पीड़िताओं के बयान भी दिये गए थे, जिनमें कर्ज न चुकाने पर लड़कियों को बेचे जाने की बात कही गयी थी। इसमें आठ से 18 साल की लड़कियों को नीलामी कर बेचा जा रहा है। इन लड़कियों को राजस्थान से यूपी, मप्र, मुंबई, दिल्ली और विदेश तक भेजा जा रहा है।
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