धनतेरस के साथ पांच दिनों तक चलने वाले दीपोत्सव पर्व का आरम्भ हो चुका है. धनतेरस के दूसरे दिन नरक चतुर्दशी यानी छोटी दिवाली मनाई जाती है. नरक चतुर्दशी के दिन भगवान श्रीकृष्ण की पूजा की जाती है।मान्यताओं के मुताबिक, इस दिन भगवान विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण ने नरकासुर का वध किया था और उसकी कैद से लगभग 16 हजार महिलाओं को आजाद कराकर उनकी रक्षा की थी। इसलिए दिवाली के एक दिन पहले नरक चतुर्दशी मनाई जाती है। इस पर्व में शाम के समय घर के द्वार पर यम देव के नाम का दीया जलाया जाता है।
कहा जाता है कि यम देव के नाम का दीपक जलाने से परिवार के सदस्यों की अकाल मृत्यु नहीं होती है। खास बात यह है कि यम देव के नाम का दीपक घर के बुजुर्ग को चलाना चाहिए। प्रत्येक वर्ष शाम के समय घर के बुजुर्ग द्वार पर दीपक जलाते हैं। लेकिन ऐसा करने के पीछे की वजह क्या है? चलिए जानते हैं नरक चतुर्दशी के दिन बुजुर्ग को क्यों जलाना चाहिए दीपक?
छोटी दिवाली में दीया जलाने की परंपरा
नरक चतुर्दशी की शाम में घर के द्वार पर दीपक जलाने की परंपरा है। इसे बहुत शुभ माना जाता है। कहते हैं कि घर के सबसे बुजुर्ग व्यक्ति को छोटी दिवाली की शाम एक दीया जलाना चाहिए और पूरे घर में दीपक जलाकर घुमाना चाहिए। दीपक को घुमाते हुए बुजुर्ग घर के बाहर आ जाते हैं और कहीं दूर रख देते हैं।
क्या कहते हैं इस दीपक को?
छोटी दिवाली के इस दीपक को यम का दीया कहते हैं। यह दीपक यम देव के नाम का होता है, जिनकी इस दिन पूजा से अकाल मृत्यु को टाला जा सकता है।
क्या है यम के दीया की पौराणिक कथा?
यम देव के नाम का दीया जलाने की खास वजह है। पौराणिक कथा के मुताबिक, यम देव ने अपने दूतों को अकाल मृत्यु से बचने का तरीका बताया था। उन्होंने कहा था कि जो व्यक्ति कार्तिक मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को शाम के समय दीप प्रज्वलित करेगा, उसे अकाल मृत्यु का भय नहीं रहेगा।
यम का दीया जलाने का नियम
दीपक जलाकर पूरे घर में घुमाने के बाद बाहर कहीं दूर रख दें। माना जाता है कि इससे सभी बुराइयां घर से बाहर चली जाती हैं। सरसों का तेल का दीपक जलाएं और पुराना दीया इस्तेमाल करें।
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