मेरठ में काले जादू व अंधविश्वास की प्रक्रिया के चलते पक्षियों के व्यापार पर वन विभाग ने शिकंजा कस दिया है। धनतेरस से दीपावली तक जिलेभर में पांच टीमें लगाकार बस अड्डों से लेकर रेलवे स्टेशनों पर चेकिंग और विभिन्न इलाकों में छापेमारी करेंगी। डीएफओ राजेश कुमार ने मोबाइल नंबर जारी कर दिए हैं, ताकि आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की जा सके।
डीएफओ का कहना है कि पक्षी रखने या उसे पकड़ने या उनको रखकर पूजा करने का हमारे धार्मिक ग्रंथों में कोई उल्लेख नहीं है। वन्य जीवों के अवैध व्यापार एवं शिकार की संभावनाओं को देखते हुए उप प्रभागीय वनाधिकारी मेरठ के नेतृत्व में एक टीम का गठन किया गया है, जबकि पांचों रेंज में एक-एक टीम को सक्रिय कर दिया। उन्होंने बताया कि इंटरनेशनल यूनियन फॉर कन्जर्वेशन ऑफ नेचर द्वारा इसे जोखिम, लुप्तप्राय प्रजाति के रूप में चिह्नित किया गया है।
उल्लू, वन्य जीव (संरक्षण) अधिनियम 1972 में निहित प्रावधानों के अंतर्गत अनुसूची-1 में संरक्षित वन्य जीव के रूप में दर्ज है। डीएफओ ने जिलेभर के नागरिकों से अपील की है कि वह अंधविश्वास में न फसें। पशु पक्षियों पर अत्याचार न होने दें। वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 के प्राविधानों के तहत वन्य जीवों का व्यापार करना, अवैध रूप से बंधक बनाकर रखना, वन्य जीवों पर अत्याचार करना प्रतिबंधित है। इसके उल्लंघन पर न्यूनतम तीन से सात वर्ष कारावास का प्रावधान है।
इन मोबाइल नंबरों पर दें सूचना
उप प्रभागीय वनाधिकारी, मेरठ : 7011910635
क्षेत्रीय वन अधिकारी मेरठ : 7078088105
वैयक्तिक सहायक, कार्यालय प्रभागीय निदेशक मेरठ : 7055015554
प्रशासनिक अधिकारी, कार्यालय प्रभागीय निदेशक मेरठ : 9412366320
बता दें कि दिवाली पर देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है। ऐसे में लोग देवी लक्ष्मी के वाहन उल्लू को दिवाली के लिए पकड़कर उनकी भी पूजा करते हैं. अंधविश्वास के चक्कर में उल्लू की पूजा काल रात्री पर ज्यादा होती है। इसी कारण इस साल वन विभाग सख्त है और पक्षियों को पकड़ने वालों के खिलाफ कार्रावई करते हुए सात साल की जेल भेजेगा।
[metaslider id="347522"]