दिवाली से पहले लाखों कर्मचारी मायूस, वित्त विभाग से अब तक जारी नहीं हुआ आदेश

रायपुर। दिवाली को एक दिन शेष है, लेकिन लाखों कर्मचारियों के चहरे पर मायूसी है।  प्रदेश के करीब 5 लाख अधिकारी कर्मचारी बिना वेतन के त्योहार मनाने मजबूर हैं। सभी को दिवाली से पहले वेतन मिलने की उम्मीद थी। लेकिन वित्त विभाग से आदेश जारी नहीं हुआ। सूत्रों का कहना है कि पे आर्डर की फाइल चार दिनों से वित्त मंत्री और सचिव के बीच झूल रही है। हर महीने की 1 तारीख को कर्मचारियों को वेतन दिया जाता है। वेतन,माह के अंतिम दिनों में अवकाशों को देखते हुए 28 से 31के बीच आनलाइन ट्रांसफर कर दिया जाता। सरकार ने एरियर्स भी दिया है तो नगद के बजाय एकाउंट में जमा कर दिया है। ऐसे में सेविंग से ही दीपावली  मनानी पड़ेगी। इसे लेकर कर्मचारी संगठनों और विपक्षी दल भाजपा ने सरकार को आड़े हाथों लिया है।

सबसे बड़े संगठन फेडरेशन के संयोजक कमल वर्मा ने कहा कि 22 वर्षों में पहली बार ऐसा हुआ है। इससे अधिकारी कर्मचारियों के बीच गलत संदेश जा रहा है। पे-बिल तो हर माह की28 तारीख को बन जाता है केवल वित्त विभाग को 4 दिन पहले पेमेंट का आर्डर करना था,वह भी नहीं हुआ। भाजपा प्रदेश महामंत्री केदार कश्यप ने कहा है कि ऋण में डूबे प्रदेश में जनता से लेकर कर्मचारी तक बेहाल है।दीपावली  को 2 दिन बचे हैं और छत्तीसगढ़ सरकार की नाकामी की वजह से राज्य के कर्मचारियों और अधिकारियों को अब तक वेतन नहीं मिल पाया है , इस वजह से प्रदेश भर में कर्मचारियों में नाराजगी और मायूसी है ।  

कश्यप ने कहा कि देश के सबसे बड़े त्योहार दीपावली के लिए सभी तरफ उत्साह का माहौल है , लेकिन छत्तीसगढ़ सहित बस्तर संभाग में अभी तक कर्मचारियों को वेतन नहीं मिला है त्योहार के समय वेतन न मिलने से कर्मचारियों के परिवार पर आर्थिक संकट आ पड़ा है ।  कश्यप ने कहा कि सरकार जल्द से जल्द कर्मचारियों का वेतन जमा कर ताकि सभी लोग खुशी खुशी त्योहार मना सकें । केदार ने कहा है कि भूपेश सरकार ने छत्तीसगढ़ कर्मचारियों को लगभग 5500 करोड़ रुपये के लाभ से वंचित किया है ! वर्ष 2019  से कर्मचारियों को केन्द्र द्वारा घोषित महंगाई भत्ता  नहीं दिया गया।

कर्मचारियों के आंदोलन के बाद जब महँगाई भत्ता 5 प्रतिशत बढ़ा कर दिया गया तो इससे पूर्व के तीन साल का महंगाई भत्ता से उन्हें वंचित कर दिया ! भाजपा की सरकार में में इस राशि को  GPF में जमा कर दिया जाता था , जो कि रिटायरमेंट के समय कर्मचारियों को एक बढ़ी राशि के रूप में काम आता था ! इसी प्रकार आवास भाड़ा भत्ता सातवें वेतनमान अनुसार मिलना चाहिए, परंतु छत्तीसगढ़ सरकार ने यहाँ पे भी कर्मचारियों का गला दबाया है और प्रति मास तीन हज़ार रूपये का नुक़सान कर लगभग कर्मचारियों का डेढ़ हज़ार करोड़ रुपया का नुक़सान किया है ! इसका सबसे ज़्यादा नुक़सान पेंशनधारियों को हो रहा है , जो अपनी आवाज़ उठाने असमर्थ है !

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