कोरबा जिले में 6 महीने की गर्भवती महिला ने वक्त पर सही इलाज नहीं मिलने से दम तोड़ दिया। महिला को सरकारी अव्यवस्था का खामियाजा उठाना पड़ा। मृतका के पिता ने मौत को संदिग्ध बताया है। पुलिस ने शुक्रवार को केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। मामला दीपका थाना क्षेत्र के ग्राम गोबरघोरा का है।
6 महीने की गर्भवती महिला उमा को सांस लेने में दिक्कत होने पर पति पुष्पेंद्र कश्यप उसे लेकर दीपका के सरकारी हॉस्पिटल गया, लेकिन वहां डॉक्टरों ने सुविधा नहीं होने का हवाला देकर उसे अपने निजी क्लीनिक में बुला लिया। सबसे बड़ी बात तो ये है कि सरकारी अस्पताल में उमा की जांच भी नहीं की गई थी। इधर निजी क्लीनिक में डॉक्टर देर से पहुंचा, तब तक गर्भवती महिला की हालत काफी खराब हो चुकी थी।
जब डॉक्टर ने वहां पहुंचने पर उमा को चेक किया, तो उसने अपने हाथ खड़े कर दिए। डॉक्टर ने उसे जिला अस्पताल रेफर कर दिया। लेकिन वहां जांच के बाद डॉक्टरों ने गर्भवती महिला को मृत घोषित कर दिया। पीड़ित पति पुष्पेंद्र कश्यप ने डॉक्टर पर उसकी पत्नी और गर्भ में पल रहे बच्चे की मौत का जिम्मेदार बताया है। उसने बताया कि वो एक निजी कंपनी में काम करता है और दीपका बस्ती में किराए के मकान में रहता है। उसने उमा से इसी साल फरवरी में प्रेम विवाह किया था और अब वो 6 महीने की गर्भवती थी, लेकिन सरकारी सिस्टम ने उसकी और उसके अजन्मे बच्चे की जान ले ली।
इधर घटना की जानकारी होने पर मृतका उमा के पिता गुलाब कशेर भी कोरबा पहुंचे। उन्होंने मौत पर संदेह जताया है। उनके मुताबिक प्रेम विवाह करने के बाद से दोनों परिवारों के बीच संबंध नहीं के बराबर थे। शादी करने के बाद उनकी बेटी का परिवार में आना-जाना नहीं था। उन्होंने कहा कि उनकी बेटी की मौत की जांच कराई जाए, ताकि सच का पता चल सके। जिला अस्पताल चौकी प्रभारी रविंद्र जनार्दन ने बताया कि जिला अस्पताल से मिले मेमो के आधार पर पंचनामा कार्रवाई की गई है। पुलिस मामले की केस डायरी दीपका थाने में भेजेगी, ताकि जांच आगे बढ़ सके।
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