नई दिल्ली ,20 अक्टूबर। पूर्व केंद्रीय कानून मंत्री अश्विनी कुमार ने बुधवार को वर्तमान कानून मंत्री किरण रिजिजू का समर्थन करते हुए कहा कि अब कोलेजियम प्रणाली के जरिये जजों की नियुक्ति पर बहस का समय आ गया है। रिजिजू ने मंगलवार को कोलेजियम प्रणाली को अपारदर्शी बताते हुए कहा था कि सिर्फ भारतीय चयन प्रणाली ऐसी है जहां जज ही जज को नियुक्त करते हैं।
अश्विनी कुमार ने कहा, ‘न्यायिक नियुक्तियों के मामले में कोलेजियम प्रणाली पर आपत्ति जताने वाला कानून मंत्री का बयान कोई आश्चर्य की बात नहीं है। उनके विचार अनुभव और देश में इस विषय पर व्यापक राजनीतिक सहमति के अनुरूप हैं।’ उन्होंने कहा, ‘कोलेजियम प्रणाली राष्ट्रीय चार्टर के प्रासंगिक अनुच्छेद में व्यक्त संविधान के मकसद से असंगत न्यायिक व्याख्या है।’
पूर्व कानून मंत्री ने कहा कि नियुक्ति प्रणाली में बदलावों के लिए संसद से पारित कानून को रद करके सुप्रीम कोर्ट एक मायने में अपने ही मामले में एक जज बन गया। उन्होंने कहा, ‘उसने न्यायिक नियुक्तियों के तरीके को न्यायपालिका की स्वतंत्रता को जोड़कर ऐसा किया। इसका प्रमाण इस तथ्य से मिलता है कि कोलेजियम प्रणाली के निर्माण से पहले तत्कालीन सरकारों द्वारा बेहतरीन योग्यता और स्वतंत्रत सोच के न्यायाधीशों की नियुक्ति की जाती थी।’
अश्विनी कुमार ने कहा कि चुनौती जजों के रूप में त्रुटिहीन बौद्धिक क्षमता व व्यक्तिगत सत्यनिष्ठा वाले व्यक्तियों की नियुक्ति सुनिश्चित करने की है। उन्होंने कहा कि संविधान में यह नहीं कहा गया है कि यह काम कार्यपालिका नहीं कर सकती या वर्तमान स्वरूप वाली कोलेजियम प्रणाली ही सिर्फ न्यायिक स्वतंत्रता सुनिश्चित कर सकती है।
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