कोल इंडिया एक बार फिर बंद पड़ी भूमिगत खदानों को चालू करने के प्लान पर काम कर रही है। भूमिगत खदान के कोयले की क्वालिटी ओपेनकास्ट माइंस की तुलना में काफी बेहतर होती है। इसका मूल्य भी कोयला कंपनियों को अधिक मिलता है। कोल इंडिया तकनीकी निदेशक वी. वीरा रेड्डी ने कोयला कंपनियों के तकनीकी निदेशकों के साथ बैठक कर भूमिगत खदानों को चालू करने की योजना की समीक्षा की। उन्होंने इस माह के अंत तक रिपोर्ट कोल इंडिया भेजने के लिए कहा है।
जानकारी के अनुसार, कंपनी ने भूमिगत खदान से 2029-30 तक सौ मिलियन टन कोयला उत्पादन करने का लक्ष्य रखा है। फिलहाल 40 से 45 मिलियन टन कोयले का ही उत्पादन हो रहा है।
जमीन और पर्यावरण संबंधित समस्याओं की वजह से अंडरग्राउंड माइनिंग पर दिया जा रहा जोर
अंडरग्राउंड माइनिंग की ओर दोबारा कदम बढ़ाने की एक बड़ी वजह जमीन और पर्यावरण से संबंधित समस्याएं भी हैं। इन दोनों स्थितियों को देखते हुए कोल इंडिया ने दोबारा भूमिगत खदानों से कोयला उत्पादन तेज करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इस संबंध में कोयला मंत्रालय ने लंबे समय से बंद पड़ी भूमिगत खदानों को चालू करने की संभावना परखने का निर्देश दिया है।
कंपनी के अनुसार, भूमिगत खदानों से पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव अपेक्षाकृत कम पड़ेगा। अभी वैश्विक स्तर पर कोयले की कीमत भी बढ़ी हुई है। इसलिए आकलन है कि बंद भूमिगत खदानों से खनन कार्य व्यापारिक दृष्टिकोण से लाभप्रद हो सकता है। देश में ऐसे 20 भूमिगत खदान चिह्नित किए गए हैं, जिन्हें दोबारा चालू करने पर गौर किया जा रहा है। इनमें धनबाद में बीसीसीएल की चार खदानें मधुबन, लोहापट्टी, अमलाबाद एवं खरखरी भी शामिल है। यहां निजी क्षेत्र के साथ मिलकर खनन कार्य करने की दिशा में पहल की जा रही है। अगर खदानें चालू हुईं तो केंद्र और राज्य सरकार को राजस्व भी मिलेगा।
कई तरह की परेशानियों से मिल जाएगी मुक्ति
वित्तीय वर्ष 2021-22 में कोल इंडिया ने भूमिगत खदान से 2.56 करोड़ टन कोयले का उत्पादन किया है। 2029-30 तक भूमिगत खदान से कोयला का उत्पादन सौ मिलियन टन करने का लक्ष्य है। इसके लिए हर संभावना को टटोला जा रहा है। अगर बंद भूमिगत खदान में उत्पादन शुरू होता है तो जमीन का कोई संकट नहीं रहेगा। कई तरह की कागजी प्रक्रिया से भी मुक्ति मिल जाएगी। कुछ भूमिगत खदानों में निजी क्षेत्र के साथ मिलकर खनन कार्य करने की दिशा में प्रयास भी शुरू किए गए हैं।
कई तरह की परेशानियों से मिल जाएगी मुक्ति
वित्तीय वर्ष 2021-22 में कोल इंडिया ने भूमिगत खदान से 2.56 करोड़ टन कोयले का उत्पादन किया है। 2029-30 तक भूमिगत खदान से कोयला का उत्पादन सौ मिलियन टन करने का लक्ष्य है। इसके लिए हर संभावना को टटोला जा रहा है। अगर बंद भूमिगत खदान में उत्पादन शुरू होता है तो जमीन का कोई संकट नहीं रहेगा। कई तरह की कागजी प्रक्रिया से भी मुक्ति मिल जाएगी। कुछ भूमिगत खदानों में निजी क्षेत्र के साथ मिलकर खनन कार्य करने की दिशा में प्रयास भी शुरू किए गए हैं।
कई तरह की परेशानियों से मिल जाएगी मुक्ति
वित्तीय वर्ष 2021-22 में कोल इंडिया ने भूमिगत खदान से 2.56 करोड़ टन कोयले का उत्पादन किया है। 2029-30 तक भूमिगत खदान से कोयला का उत्पादन सौ मिलियन टन करने का लक्ष्य है। इसके लिए हर संभावना को टटोला जा रहा है। अगर बंद भूमिगत खदान में उत्पादन शुरू होता है तो जमीन का कोई संकट नहीं रहेगा। कई तरह की कागजी प्रक्रिया से भी मुक्ति मिल जाएगी। कुछ भूमिगत खदानों में निजी क्षेत्र के साथ मिलकर खनन कार्य करने की दिशा में प्रयास भी शुरू किए गए हैं।
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