सेवा व राष्ट्र निर्माण में खरतरगच्छ समाज का बड़ा योगदानः ओम बिरला

कोटा ,16अक्टूबर। जैन समाज के खरतरगच्छ संघ की स्थापना के 1000 वर्ष (विक्रम संवत् 1080-2080) पूर्ण होने पर राजस्थान के कोटा नगर में शनिवार को खरतरगच्छाचार्य जिनपीयूषसागर सूरिश्वर महाराज आदि ठाणा 13 के मार्गदर्शन व निश्रा में ‘खरतरगच्छ सहस्त्राब्दी महोत्सव समिति के बैनर तले अखिल भारतीय स्तर पर खरतरगच्छ सहस्त्राब्दी गौरव वर्ष का शुभारंभ खरतर सहस्त्राब्दी महोत्सव के ‘सिंहनाद’ के रूप में आगाज हुआ। नगर विकास न्यास कोटा के श्रीनाथपुरम स्थित ऑडिटोरियम में आयोजित कार्यक्रम में अतिथियों ने विशेष पोस्टल कवर, फिल्म पोस्टर, लोगो व विवरणिका आदि का विमोचन किया। इस दौरान फिल्म का टीजर व समाज की वेबसाइट भी लॉन्च की गई।

इस मौके पर लोकसभा अध्यक्ष ओमकृष्ण बिरला मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। अध्यक्षता खरतरगच्छ महासंघ के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष पदमचन्द नाहटा कोलकाता की। खनन एवं गोपालन मंत्री प्रमोद जैन भाया, पोस्ट मास्टर जनरल दक्षिण क्षेत्र अजमेर कर्नल सुशील कुमारजी, खरतरगच्छ सहस्त्राब्दी समारोह समिति के राष्ट्रीय संयोजक ललित नाहटा, कोटा दक्षिण विधायक संदीप शर्मा, खादी ग्रामोद्योग बोर्ड के उपाध्यक्ष पंकज मेहता आदि विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। शुरुआत आयोजन समिति से जुड़े पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं ने अतिथियों का बहुमान किया।

इस अवसर पर लोकसभा अध्यक्ष ओमकृष्ण बिरला ने संबोधित करते हुए कहा कि जैन दर्शन की विस्तार से विवेचना की और कहा कि समाज देश की सेवा कर रहा है, गौ वध, पशु वध, की परम्परा को खत्म करने का कार्य जैन समाज ने 19वीं, 20वीं शताब्दी से ही किया, तभी पशु बलि को बंद किया जा सका। उन्होंने कहा कि जैन साधुओं की तप, तपस्या, साधना का विचार जो आया, उनका वात्सल्य देखने से ही व्यक्ति को नई राह मिली। आध्यात्मिक ज्ञान से जीवन बदलने का काम हुआ है। इसके कारण ही 21वीं शताब्दी में भौतिक नहीं आध्यात्म से ही हम दुनिया का नेतृत्व करेंगे। उन्होंने जैन समाज के इतिहास पर भी अपने विचार व्यक्त किए और कहा कि दुनिया में कहीं भी जाओ जैन समाज के अहिंसा, सात्विक भोजन का विचार विधमान है। खरतरगच्छ समाज का सेवा व राष्ट्र निर्माण में बड़ा योगदान है। उन्होंने कहा कि खरतरगच्छ संघ के आचार्यों, संतों व मनीषियों ने जैन धर्म के सिद्धांतों के प्रचार-प्रसार से राष्ट्र के सामाजिक सांस्कृतिक परिवेश को समृद्ध किया है। समाज हित व सकारात्मक परिवर्तन में खरतरगच्छ अनुयायियों की अग्रणी भूमिका सदैव हमारे लिए प्रेरणा का स्रोत है। आचार्य जिनेश्वर सूरी ने अपने ज्ञान और तप समाज में नई चेतना का सृजन किया है। यही वजह है कि आज आचार्य के सन्मार्ग का अनुसरण करने वाले उनके सच्चे अनुयायियों के रूप में खरतरगच्छ संघ की एक विशिष्ट पहचान है।

समारोह को संबोधित करते हुए आचार्य जिनपीयूषसागर सूरिश्वर महाराज ने कहा कि एक हजार साल पहले जब भगवान महावीर की श्रमण परम्परा में शिथिलाचार ने अपनी जड़े मजबूत कर ली और श्रमण मूल आचार मार्ग का त्याग कर भौतिक सुविधा में रचपच गए और चौत्यवासी, मठाधीश बन गए उस समय गुजरात के पाटण में दुर्लभसेन राजा के दरबार में जिनेश्वर सुरी ने चौत्यवासियों को शास्त्रार्थ कर पराचित किया तब दुर्लभराज द्वारा जिनेश्वरसूरि को खरतर विरुद की उपाधि से सम्मानित किया गया था। उन्होंने शास्त्रार्थ के माध्यम से यह उपलब्धि हासिल की थी। खरतर विरुद की उपाधि प्राप्त होने के साथ ही खरतरगच्छ संघ का प्रादुर्भाव हो गया। यह सबसे जीवंत समुदाय है। आज एक हजार साल पूरे होने की उपलब्धि पर समस्त संघ को गर्व की अनुभूति हो रही है। इस दौरान मुनि सम्यकरत्न सागर एवं शौर्यरत्न सागर महाराज ने भी उद्गार व्यक्त किए। मुनि शौर्यरत्न सागर ने कहा कि भारत जब भी विश्व गुरु बनेगा तो आध्यात्मिक धारा के द्वारा ही बनेगा।

स्वागत उद्बोधन जैन श्वेताम्बर पेढ़ी के अध्यक्ष लोकेन्द्र डांगी ने दिया। समारोह को संबोधित करते हुए विशिष्ट अतिथि प्रमोद जैन ‘भाया’ ने अपने उद्बोधन में सहस्राब्दी महोत्सव की सफलता की कामना करते हुए कहा की जीव दया, मानव सेवा एवं जिन सेवा के लिए वह स्वयं हमेशा समर्पित रहे हैं और रहेंगे। कोटा दक्षिण के विधायक संदीप शर्मा ने कहा कि जैन समाज व साधुओं ने अपने संयम, तप से सम्पूर्ण समाज को दिशा देने का काम किया है। खादी ग्रामोद्योग बोर्ड के उपाध्यक्ष पंकज मेहता ने संतों के सान्निध्य को कोटा का सौभाग्य बताया। समिति के राष्ट्रीय संयोजक ललित नाहटा ने कहा कि खरतरगच्छ द्वारा देश को अनुपम साहित्य, कला, गोशाला, शिक्षा, चिकित्सा व प्राकृतिक आपदा में ज़बरदस्त सेवा आदि से भरपूर योगदान दिया है। समारोह अध्यक्ष व खरतरगच्छ महासंघ के पूर्व अध्यक्ष पदमचन्द नाहटा ने अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में कोटा के व बाहर से पधारे सभी खरतरगच्छ अनुयायियों को अपने अपने स्थानों पर बड़े भव्य रूप में मनाने का आह्वान किया।

ऋषभ-जिनेश्वर पेढ़ी के नरेन्द्र पारख ने सहस्राब्दी के निमित्त पालीताणा में 55000 वर्ग फुट में बन रहे भव्य जिनालय, उपाश्रय, धर्मशाला आदि की जानकारी दी। इसी कड़ी में 8 नवम्बर कार्तिक पूर्णिमा के दिन इसी विशाल भूखण्ड पर शक्रस्तव महाभिषेक का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें संगीत कैवनशाह, मुम्बई व संचालन राहुलभाई, मुम्बई द्वारा किया जायेगा।

महोत्सव समिति के महामंत्री सुपारसचंद गोलछा ने वर्ष 2023 में होने वाले कार्यक्रमों की विस्तृत जानकारी दी। सहस्त्राब्दी महोत्सव के तहत वर्ष पर्यंत कार्यक्रम आयोजित होंगे। सहस्त्राब्दी महोत्सव का त्रिदिवसीय मुख्य समारोह 25 से 27 दिसम्बर 2023 को तीर्थाधिराज शत्रुंजय महातीर्थ में होगा। वर्ष 2023 में शत्रुंजय तीर्थ पर परम पूज्य खरतरगच्छाचार्य जिनपीयूषसागर सूरीश्वर म.सा. आदि शताधिक साधु-साध्वीवृंद का चातुर्मास होगा। इसी के अन्तर्गत 1000 आराधकों का भव्य उपधान तप एवं 1000 आराधकों की नव्वाणु यात्रा व 1500 आराधकों की पर्युषण पर्व की आराधना करने की व्यवस्था की जा रही है। सहस्त्राब्दी महोत्सव का मुख्य महामहोत्सव समारोह 25 से 27 दिसम्बर 2023 में तीर्थाधिराज शत्रुंजय महातीर्थ पर आयोजित होगा।

25 दिसम्बर, 2023 को वीर माता-पिता को खरतर रत्न, स्वद्रव्य से जिनालय, दादावाड़ी निर्माण करवाने वाले, नव्वाणु यात्रा, उपधान तप करवाने वाले, छःरी पालित संघ इत्यादि निकलवाने महानुभावों को खरतर महामना एवं अपने प्रतिभा व कौशल से विभिन्न राजनैतिक, धार्मिक, सामाजिक व शैक्षणिक क्षेत्रों विशेष सेवाऐं देकर व विशेष कार्य करने वालों का खरतर भूषण से सम्मानित किए जाने का सम्मान समारोह, 26 दिसम्बर को हजारों श्रद्धालुओं के साथ शत्रुंजय गिरीराज की पहाड़ यात्रा व खरतरवसही टूंक के प्रांगण में शक्रस्तव महाभिषेक अनुष्ठान, 27 दिसम्बर को मुख्य समारोह रहेगा। 20 दिसम्बर, 2023 से विशाल प्रदर्शनी का आयोजन किया जायेगा जिसमें खरतरगच्छ का इतिहास, अमूल्य धरोहर, कलाकृतियाँ आदि को  प्रदर्शित की जायेगा। वर्षभर में अनेकों प्रतियोगिताओं, जीवदया अभियान, जप-तप अनुष्ठान, खरतर गौरवयात्रा आदि अनेकविध कार्यक्रमों का आयोजन होगा।

इस अवसर पर जीएमए प्लाजा अध्यक्ष राकेश जैन, एडिशनल एसपी भगवत सिंह  हिंगड़, ओसवाल समाज कोटा के अध्यक्ष नरेन्द्र लोढ़ा, सरोज कोचर बीकानेर सहित महाराष्ट्र, गुजरात, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, राजस्थान, पश्चिम बंगाल समेत अनेक स्थानों से आए श्रावक व आमजन उपस्थित रहे। कार्यक्रम का सफल संचालन डा. जॉली भण्डारी ने किया। इस कार्यक्रम में देश पर के 200 से अधिक स्थानों से संघों के प्रतिनिधि सम्मिलित हुए।

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