अंबिकापुर,15 अक्टूबर। शासकीय विज्ञान महाविद्यालय, अंबिकापुर में विश्व भर में मनाए जा रहे मानसिक स्वास्थ्य सप्ताह के अंतर्गत शुक्रवार को मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता कार्यक्रम मनाया गया। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि डॉ संध्या पाण्डेय, विशेषज्ञ चिकित्सक, आयुष विंग,अंबिकापुर ने उक्त विषय पर अपना वक्तव्य दिया तथा आयुर्वेद विधि द्वारा मानसिक स्वास्थ्य के संबंध में उपचार हेतु विद्यार्थियों को अवगत कराया।
कार्यक्रम की विधिवत शुरूआत के पूर्व महाविद्यालयीन विद्यार्थियों द्वारा राज्य गीत की प्रस्तुति दी गई। कार्यक्रम का संचालन करते हुए महाविद्यालय के सहायक प्राध्यापक डॉ नीलाभ कुमार ने विद्यार्थियों में होने वाले तनाव को दूर करने के लिए विद्यार्थियों के साथ इंपैथी को विकसित करने की जरूरत बताई। साथ में वर्तमान समय जिसे ग्लोबोटिक्स (ग्लोबलाईजेशन+रोबोटिक्स) कहा जा सकता है, इसमें विद्यार्थियों के सामने आने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए इंपैथी को महत्वपूर्ण बताया।
मुख्य अतिथि डॉ संध्या पाण्डेय द्वारा अपने एकल वक्तव्य के दौरान मानसिक स्वास्थ्य क्या है? इसमें आनेवाली खराबियों से कैसे निपटा जा सकता है-के संबंध में दी गई जानकारी से हुई । मानसिक स्वास्थ्य के आधारभूत गुणों पर विस्तार से विचार करते हुए डॉ पाण्डेय ने व्यवहारवाद, जैविक,मनोगतिक,संज्ञानात्मक तथा मानवतावादी लक्षणों पर प्रकाश डाला। डॉ पाण्डेय ने हैटफील्ड व कुप्पू स्वामी द्वारा मानसिक स्वास्थ्य के संबंध में दी गई परिभाषा से विद्यार्थियों को अवगत कराया । उन्होंने बताया कि मानसिक तौर पर स्वस्थ व्यक्ति में भावनाएँ, महत्वाकांक्षायें, आत्मबोध, धैर्य, आत्मसम्मान की सजगता, शक्ति व योग्यता का ज्ञान बेहतर होता है। डॉ पाण्डेय ने बुद्धि, धृति व स्मृति में अंतर को भी बड़े विस्तार से विद्यार्थियों के सामने रखा। उन्होंने विद्यार्थियों में आत्मबोध व आत्मविश्वास की भावना को भी बेहतर करते रहने की बात कही। डॉ पाण्डेय ने मानसिक रोगियों में पुरूषों की तुलना में महिलाओं का कम होना भी बताया। मानसिक अस्वस्थता का कारण मानसिक विकृति,न्यूरोलॉजिस्टिक डिसऑर्डर है,जिसे उपयुक्त और पर्याप्त दवा से ठीक किया जा सकता है। 2004 ई में गठित NRHM जो कि मानसिक स्वास्थ्य संबंधी योजना है,जिसके अंतर्गत मानसिक रोगियों का उपचार,पुनर्वास, सकारात्मक मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देना तथा मानसिक स्वास्थ्य केंद्र बनाना है। डॉ पाण्डेय ने इस बात पर बल दिया कि बहुत से मानसिक रोगियों को इस बात का पता नहीं होता कि वह बीमार भी है। ऐसी स्थिति में जरूरत इस बात की है कि मानसिक रोगों के कुछ भी लक्षण दिखाई दे,तो तुरंत चिकित्सकीय परामर्श लिया जाना चाहिए। धन्यवाद ज्ञापन महाविद्यालय की सहायक प्राध्यापक मधूलिका कुजूर ने किया। विद्यार्थियों की सराहनीय उपस्थिति और उनकी जिज्ञासाओं ने कार्यक्रम को रोचक बनाया।
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