बालको के अली दंपती की मक्का से “उमरा यात्रा” कर स्वदेश वापसी

कोरबा,15 अक्टूबर। बालकोनगर स्थित भदरापारा निवासी मोहम्मद अली ने पत्नी जैबुन निशा के साथ 15 दिनों की उमरा (मिनी हज) यात्रा से 14 अक्टूबर को स्वदेश वापसी की। मुंबई स्थित अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पोर्ट पर अली दंपती का परिजनों ने ज़ोरदार इस्तक़बाल किया।

उमरा से वापसी पर मोहम्मद अली ने बताया कि अल्लाह के घर पहुंचकर उनके द्वारा परिवार, तमाम रिश्तेदार, जान पहचान के लोगों की खुशहाली और अच्छी सेहत के लिए दुआ की गई है। श्री अली ने बताया कि जिले, राज्य, मुल्क की तरक़्क़ी और अमन चैन कायम रहे, इसके लिए भी दुआ की गई है। उमरा, हज की तरह अरब में स्थित मक्का- मदीना की तीर्थयात्रा है। उमरा को हज का संक्षिप्त रूप कहा जाता है। उमरा के तहत एहराम बांधना, तवाफ़ करना, काबा शरीफ की परिक्रमा, सफा- मरवा की दौड़, मदीना शरीफ की यात्रा आदि शामिल है। उमरा मुसलमामनों को ईमान ताजा करने और खुदा से गुनाहों की माफी तलब का मौका होता है। कहा जाता है कि उमरा करनेवाला गुनाहों से पाक हो जाता है।

सऊदी अरब से बाहर के यात्रियों को स्पेशल उमराह वीजा की जरूरत होती है। ये वीजा एक महीने तक मान्य रहता है। उमरा स्वैच्छिक और सुन्नत है जबकि हज शारीरिक और आर्थिक रूप से मजबूत मुसलमानों पर फर्ज है। हज इस्लामी कैलेंडर के आखिरी महीने की 8-13 तारीख के बीच किया जाता है जबकि उमरा के लिए समय की बाध्यता नहीं है। कभी भी मक्का में जाकर किया जा सकता है। उमरा तेजी से किया जानेवाला आध्यात्मिक अमल है। जबकि हज कई दिनों तक चलनेवाली लंबी प्रक्रिया का नाम है। दुनिया में हज के मौके पर सबसे ज्यादा भीड़ इकट्ठा होती है।

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