कोरबा, 12अक्टूबर । बारूद एवं पटाखा भंडारण व विक्रय के लिए कड़े नियम कानून होने के बावजूद शहर समेत जिले में इनकी धज्जिायां उड़ रही हैं। कई ऐसे व्यापारी हैं, जिन्होंने अपने गोदाम, रिहायशी इलाकों में पटाखों का भंडारण शहर की घनी आबादी के बीच स्थित मकानों में किया है। पुलिस व प्रशासन को इनके खिलाफ कार्रवाई करने की फुर्सत ही नहीं मिल रही है।
जिले में करीब दर्जनभर स्थायी पटाखा लाइसेंसी हैं, जो साल भर बारूद एवं पटाखों का कारोबार करते हैं। इनमें से कुछ व्यापारी ऐसे हैं जो हमेशा अपने घर में बड़ी मात्रा में पटाखा रखे रहते हैं। इनके अलावा दीपावली के मद्देनजर हर साल शहर में कुछ दिनों के लिए पटाखा दुकान लगाने के लिए अस्थायी लाइसेंस भी लेते हैं। दीपावली पर्व में इन सारे व्यवसायियों ने पटाखों का भारी मात्रा में स्टाक जमा कर लिया है, पर लाइसेंस में उल्लेखित क्षमता और शर्तों के अनुसार इनका वेरिफिकेशन करने प्रशासन को समय नहीं मिल रहा है। जिला मुख्यालय में ही स्टेशन रोड से कोरबा तक आधा दर्जन स्थायी लाइसेंसधारी हैं, जिनके आसपास होटल, इलेक्ट्रानिक दुकान और रेस्टारेंट संचालित है। जिनके पास स्थाई लाइसेंस हैं, वे नियम-कानून को धता बताते हुए घनी बस्ती के भीतर ही पटाखा स्टोर कर रखे हैं। मेन मार्केट के अंदर छोटे-छोटे गोदामों में विस्फोटक पदार्थ भरा पड़ा है। सुरक्षा के लिए न तो रेत है और न ही फायर ब्रिगेड की व्यवस्था। जिला मुख्यालय के अलावा बालको, कटघोरा, दीपका, आदि सहित अन्य नगरों में भी यही हाल है। आबादी के बीच गोदाम होने से हर पल हादसे का भय बना रहता है। गलियों में ढेरो दुकानें हैं। ऐसे में हल्की सी चिंगारी से पूरा शहर तबाह हो जाएगा। मेन मार्केट में यदि कोई अप्रिय स्थिति हो जाए तो गलियों के संकरी होने के कारण पालिका का अग्निशमन वाहन भी नहीं घुस सकता। विस्फोट होने पर पुलिस-प्रशासन दोनों जिम्मेदार होंगें। इस साल अब तक बिना लाइसेंस व ज्यादा मात्रा में पटाखा रखने वालों पर प्रशासन व पुलिस की टीम पटाखा दुकान में कार्रवाई करना तो दूर निरीक्षण करने तक नहीं पहुंचे हैं।
घरों और दुकानों में कर रखे हैं भंडारण
शहर के घनी आबादी में धड़ल्ले से पटाखा का कारोबार चल रहा है। जबकि इनको शहर के बाहर का लाइसेंस दिया जाता है। गोदामों में पटाखों का भंडारण करना बताया है, पर स्थिति इसके विपरीत है। अधिकांश बड़े व्यापारियों के पटाखे शहर के भीतर ही पड़े हैं। फुटकर अस्थायी व्यवसायियों ने भी अपनी सुविधानुसार खाली मकानों या अपने ही घरों के कमरों में पटाखों का स्टाक कर रखा है, जहां सुरक्षा के कोई ठोस इंतजाम नहीं हैं। ऐसे में एक हादसा कई लोगों की जान को मुसीबत में डाल सकता है।
नियमानुसार इनको लाइसेंस नवीनीकरण करने से पहले गोदाम की जांच के लिए एसडीएम स्तर के अधिकारी को मौके पर जाना चाहिए। लेकिन किसी को इसकी फुर्सत नहीं है। अब तक किसी ने भी इसकी जरूरत नहीं समझी। लाइसेंस शर्तों में स्टाक सीमा, भंडारण स्थल, सुरक्षा इंतजाम का उल्लेख रहता है, पर व्यवसायी इनका पालन कर रहे हैं या नहीं, यह देखने की फुर्सत प्रशासन को अब तक नहीं मिली है
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