महाकाल को कहते हैं उज्जैन का राजा, कोई भी राजा यहां रात भर नहीं टिक सका, जानें महाकाल मंदिर से जुड़ी ये खास बातें

उज्जैन का महाकालेश्वर मंदिर जो सभी ज्योतिष सभी 12 ज्योतिर्लिंगों में तीसरा बेहद खास ज्योतिर्लिंग है। महाकाल को उज्जैन का राजा भी कहा जाता है। धार्मिक मान्यता है कि किसी भी शुभ काम को करने से पहले महाकाल का आशीर्वाद लेना बेहद जरूरी है। शिप्रा नदी के तट पर स्थित उज्जैन को मंदिरों का शहर भी कहा जाता है। 

 1.12 ज्योतिर्लिंगों में उज्जैन का महाकाल मंदिर एकमात्र ऐसा ज्योतिर्लिंग है जो दक्षिण मुखी है। दक्षिण दिशा को स्वामी यमराज है। जिसे काल का स्वामी भी कहा जाता है इसलिए इस ज्योतिर्लिंग को महाकाल मंदिर भी कहते हैं।

 2. प्रत्येक सोमवार को निर्वाणी अखाड़ा के साधु-संतों के द्वारा महाकाल मंदिर में भस्म आरती की जाती है। पहले भगवान महाकाल का ठंडे जल से स्नान कराया जाता है जिसके पश्चात उनका पंचामृत से अभिषेक किया जाता है। पीपल के पत्ते, गोबर के बने कंडे ,बेर के पेड़ की पत्तियां और पलाश को जलाकर भस्म तैयार किया जाता है जिससे भगवान महाकाल की आरती की जाती है।

 3. उज्जैन के महाकाल ज्योतिर्लिंग के कुछ ही दूरी पर देवी सती के 51 शक्तिपीठों में से एक हरसिद्धि माता का मंदिर है। ज्योतिर्लिंग और शक्ति पीठ के इतने करीब होने से वजह से इस मंदिर का महत्व और भी बढ़ जाता है।

 4. महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर हजारों वर्ष पुराना है कहा जाता है कि मंदिर परिसर का विस्तार राजा विक्रमादित्य ने अपने शासनकाल में करवाया था। 

 5. महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग तीन भागों में विभाजित है निचले खंड में महाकालेश्वर ,मध्य खंड में ओंकारेश्वर और ऊपरी खंड में श्री नागचंद्रेश्वर मंदिर स्थित है। श्रीनागचंद्रेश्वर शिवलिंग के दर्शन केवल नाग पंचमी के दिन होते हैं। इस दिन भक्त दूर-दूर से नागचंद्रेश्वर शिवलिंग के दर्शन करने आते हैं।


 6. महाकाल को उज्जैन का राजा भी कहा जाता है धार्मिक मान्यताओं के अनुसार विक्रमादित्य के शासन के बाद यहां कोई भी राजा रात भर नहीं रहा। कहा जाता है कि जिस व्यक्ति ने भी यह दुस्साहस किया है वह घिर कर मारा गया इसलिए आज तक कोई भी मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री उज्जैन में रात नहीं बिताते।

7. आकाशे तारकेलिंगम् ,पाताले हटकेश्वरम्। मृत्युलोके च महाकालम् त्रयलिंगम् नमोस्तुते।।
 शिव जी के इस मंत्र के मुताबिक संसार में तीन ही लोक हैं। आकाश, पाताल और मृत्यु। आकाश लोक का स्वामी है तारकलिंग, पाताल का हाटकेश्वर और मृत्युलोक का स्वामी महाकाल को कहा गया है।

8. हर साल सावन के महीने में महाकाल की सवारी निकाली जाती है। कहा जाता है कि इस दिन भगवान महाकाल उज्जैन का भ्रमण करने के लिए पालकी में सवार होकर नगर भ्रमण को निकलते है। महाकाल पालकी में शिप्रा नदी के तट से यात्रा शुरू करने के बाद उज्जैन भ्रमण कर वापस मंदिर में आ लौट आते हैं।

9.  महाकाल के गर्भ गृह में माता पार्वती, भगवान गणेश और कार्तिकेय की प्रतिमाएं विराजमान है। 

10. भगवान श्री कृष्ण और उनके बड़े  भाई बलराम ने उज्जैन में स्थित ऋषि सांदीपनि के आश्रम में शिक्षा ग्रहण की थी। जहां कृष्ण की मित्रता सुदामा से हुई। महाकाल मंदिर के दर्शन करने के लिए आने वाले भक्तजन ऋषि सांदीपनि के आश्रम के दर्शन जरूर करते हैं।

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