चीते की तरह तेजी से दौड़ेगा भारत

भारत को अगले 25 साल में समृद्ध और विकसित देश बनाने के सपने को साकार करने के लिए मोदी सरकार ऐतिहासिक कदम उठा रही है। तीव्र, समान विकास के साथ देश में आमूलचूल बदलाव लाने का लक्ष्य है और इसे हासिल किया जाएगा। वास्तव में, यह परिवर्तन आठ साल पहले शासन में मूलभूत बदलावों के साथ ही शुरू हो गया था, जिसने आम आदमी को सशक्त और विशेष होने का अहसास कराया है। इसके साथ ही भारत दुनिया में एक भरोसेमंद भागीदार के रूप में उभरा, जिसके साथ हर देश बड़ी उत्सुकता से जुड़ना चाहता है। नई लॉजिस्टिक्स नीति भारत के गौरव को बढ़ाने की दिशा में नवीनतम पहल है। लॉजिस्टिक्स में 5 ‘आर’ महत्वपूर्ण होते हैं। राइट यानी सही उत्पाद पाना, सही स्थिति में, सही जगह, सही समय पर और सही ग्राहक को मिलना।

नई नीति में यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया गया है कि सभीआर’ सही हों। यह छोटे किसान, एमएसएमई, बड़ी फैक्ट्रियों और आम आदमी के हित में होगा। यह अर्थव्यवस्था के इंजन को कुछ इस तरह से गति देगा कि करोड़ों नौकरियां पैदा होंगी, समृद्ध महानगरीय क्षेत्रों और ग्रामीण इलाकों के बीच असमानताओं को खत्म करने में मदद मिलेगी, माल और लोगों की आवाजाही में तेजी आएगी और दक्षता बढ़ने से भारी बचत होगी। यह नीति लॉजिस्टिक्स खर्च को अनुमानित रूप से जीडीपी के 13-14 प्रतिशत से घटाकर इकाई  अंक के स्तर पर ले आएगी। यह बचत बहुत बड़ी है। 3 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था में पांच प्रतिशत-प्वाइंट की बचत 150 अरब डॉलर के लाभ के बराबर है, जो भारत के संपूर्ण आउटसोर्सिंग उद्योग के अनुमानित मूल्य के बराबर है।

इस उपहार से सबसे बड़ा लाभ छोटे किसानों और बड़ी संख्या में एमएसएमई को होगा क्योंकि कम मूल्य के सामानों का परिवहन खर्च अपेक्षाकृत बहुत अधिक होता है जबकि रत्नों और गहनों जैसे कीमती सामानों की खेप तो हवाई मार्ग से ले जाने पर भी लाभदायक हो सकती है। परंपरागत रूप से, छोटे किसान अक्सर फलों और सब्जियों को औने-पौने भाव पर बेच देते हैं क्योंकि खराब होने वाली वस्तुओं में सड़न शुरू होने से पहले इसे खरीदार तक पहुंचना जरूरी होता है। बेहतर लॉजिस्टिक्स के साथ, ऐसी चीजों को शीघ्र ही लंबी दूरी तक भेजा जा सकता है जिससे इसे नए बाजार मिलेंगे। बेहतर लॉजिस्टिक्स से आपूर्ति में काफी सुधार होगा और लागत में कमी आएगी। इसका मतलब यह हुआ कि कृषि उपज के खेत से थाली तक के सफर में, पूरा अर्थशास्त्र सुखद रूप से बदल सकता है। इससे किसानों को ज्यादा पैसा मिलेगा और खरीदार को सस्ता खाना मिल सकेगा।

प्रत्येक उपभोक्ता की संपूर्ण खरीदारी के संबंध में अलग-अलग स्तर पर भी ऐसा ही होगा क्योंकि जिस चीज का भी उत्पादन होता है, विनिर्माण या निर्माण होता है उसके मूल्य के कम या ज्यादा होने में लॉजिस्टिक्स खर्च एक महत्वपूर्ण घटक होता है। नई लॉजिस्टिक्स नीति मोदी सरकार की दूसरी प्रमुख पहलों, विशेष रूप से पीएम गतिशक्ति के साथ सामंजस्य स्थापित करती है, यह परिवर्तनकारी पहल डिजिटल रूप से सक्षम प्रणालियों के साथ बुनियादी ढांचा निर्माण की योजना से लेकर कार्यान्वयन को बढ़ावा देती है। डिजिटल सिस्टम से साइलो खत्म होते हैं और डेटा का खजाना एवं कई परतों में जानकारी उपलब्ध हो पाती है। इससे बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की योजना बनाने वालों और कार्यान्वयन के लिए जिम्मेदार लोगों को वन भूमि, रक्षा भूमि, बिजली लाइनों के साथ ही कई अन्य मसलों के बारे में पहले से ही डेटा उपलब्ध हो जाता है जिससे अचानक कुछ ऐसा सामने न आए कि परियोजनाओं में देरी हो।

पीएम गतिशक्ति और नई लॉजिस्टिक्स नीति भी प्रधानमंत्री मोदी के संपूर्ण सरकार के दृष्टिकोण का उदाहरण है, जो शासन में साइलो (विभागों के बीच समन्वय का अभाव) से छुटकारा दिलाता है। उच्च गुणवत्ता वाली ग्रामीण सड़कों और एक्सप्रेसवे के निर्माण, कंटेनर के वापस आने के समय में सुधार, तेज एवं सुरक्षित रेलवे और समर्पित माल ढुलाई गलियारे जैसी पहलों के साथ ये नीतियां विश्वस्तरीय डिजिटल तकनीक के साथ विश्वस्तरीय बुनियादी ढांचा सुनिश्चित करेंगी, जिससे विकसित देशों की तरह उत्पादकों, वितरकों और खुदरा ग्राहकों को उच्च गुणवत्ता वाली सेवा मिले। ये नीतियां उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादों के उत्पादन, निर्यात में वृद्धि, दुनिया के साथ व्यापारिक जुड़ाव बढ़ाने, वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनने और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में एक बड़ी भूमिका निभाने के लिए प्रमुख पहलों में योगदान करती हैं। इन सभी पहलों के लिए बेहतर लॉजिस्टिक्स की जरूरत होती है।

यह ध्यान में रखना महत्वपूर्ण है कि जो भी देश समृद्ध हुए हैं वहां तेज आर्थिक विकास और रोजगार सृजन के लिए वैश्विक व्यापार और निर्यात प्रमुख साधन रहे हैं। भारत ने रत्न और आभूषण, चमड़ा और हस्तशिल्प जैसे श्रम प्रधान क्षेत्रों के लिए विकसित बाजारों के दरवाजे खोलने के लिए व्यापार समझौतों का उपयोग करने की रणनीति अपनाई है। बेहतर लॉजिस्टिक्स से निर्यातकों को बहुत अधिक लाभ होता है क्योंकि उनका सामान ज्यादा प्रतिस्पर्धी हो जाएगा और खरीदारों को तेजी से एवं निश्चित समय में पहुंचाया जा सकता है।

जैसा, प्रधानमंत्री मोदी ने समीक्षा में पाया कि निर्यातकों को माल ट्रैक और ट्रेस करने के लिए शिपिंग बिल नंबर, रेलवे कंसाइनमेंट नंबर, ई-वे बिल नंबर आदि रखने होते हैं। उन्हें कई अधिकारियों के पास भी जाना पड़ता है। उनकी मदद के लिए एकीकृत लॉजिस्टिक्स इंटरफेस प्लेटफॉर्म शुरू किया गया है। इसके अलावा, लॉजिस्टिक्स नीति के तहत ईज ऑफ लॉजिस्टिक्स सर्विसेज या ईलॉग्स नाम से एक डिजिटल प्लेटफॉर्म भी सामने आने वाली किसी भी समस्या को हल करने में मदद करेगा। मोदी सरकार के आठ शानदार वर्षों में भारत में लॉजिस्टिक्स में पहले से काफी सुधार हुआ है। कोविड महामारी के चरम पर होने के दौरान देश ने दवाएं, ऑक्सीजन और खाद्यान्न पहुंचाया। डिजिटल इंडिया जैसी दूरदर्शी पहलों ने भारत को महामारी के चरम पर होने के दौरान घर से काम करने की आवश्यकता के अनुकूल बनाने में मदद की।

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बुनियादी ढांचे और लॉजिस्टिक्स अब भारत को एक विकसित देश बनाने के लिए जरूरी लंबी छलांग लगाने के लिए तैयार हैं। निश्चित ही, नीति बनाने मात्र से यह काम नहीं हो सकता है लेकिन जैसा प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है कि ‘नीति+प्रदर्शन = प्रगति’ हासिल होगी। नई नीति की घोषणा उस दिन की गई जिस दिन चीते भारत की धरती पर लौट आए। पृथ्वी पर सबसे तेज चलने वाले जानवर के आगमन ने परिवहन के लिए एक बड़ा संदेश दिया। लॉजिस्टिक्स के लिए अपने संदेश में प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा, ‘मुझे उम्मीद है कि आप चीते की रफ्तार से माल पहुंचाएंगे। शानदार ट्रैक रिकॉर्ड और प्रदर्शन के आधार पर भारत निश्चित रूप से एक विकसित देश बनने के लिए चीते की तरह आगे बढ़ेगा।

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