रायपुर ,08अक्टूबर। आदिवासी लोक कला अकादमी, छत्तीसगढ़ संस्कृति परिषद रायपुर की ओर से 10 से 18 अक्टूबर तक राजधानी रायपुर में रजवार चित्रकला शिविर होगा। शिविर का आयोजन महंत घासीदास संग्रहालय की कला वीथिका में किया जाएगा, जिसमें प्रदेश के दस सिद्धहस्त कलाकार शामिल होंगे और दस दिनों तक विशिष्ट चित्रों को बनाते हुए कला साधना करेंगे।
छत्तीसगढ़ की पहचान को रेखांकित करने वाले इस विशिष्ट चित्रकला शैली के दस कलाकार पहली बार इतने दिनों के लिए एक साथ कला विथिका में एकत्र होंगे। शिविर में जिन दस कलाकारों को शामिल किया जा रहा है, वे हैं- बुधनी राजवाड़े, पंडित राम, सहोदरी बाई, रामकरण राम, भगत राम, कुदरराम, अमित कुमार, संदीप कुमार, पार्वती और बेलपती शामिल है।
इस शिविर में बने चित्रों को 18 अक्टूबर को एक प्रदर्शनी के माध्यम से लोगों के लिए प्रदर्शित भी किया जाएगा। यह पहला अवसर होगा जब रजवार चित्रों की प्रदर्शनी कला दीर्घा में की जाएगी। राजधानी में रजवार चित्रों की प्रदर्शनी के बाद चित्रों की प्रदर्शनी छत्तीसगढ़ के अन्य शहरों और प्रदेश के बाहर भी आयोजित की जाएगी।
आदिवासी लोककला अकादमी के अध्यक्ष नवल शुक्ल का कहना है कि :
छत्तीसगढ़ की इस विशिष्ट चित्रकला शैली को पहचान, प्रोत्साहन और सम्मान देने की पहल आदिवासी लोक कला अकादमी द्वारा की गई है। ऐसी गतिविधियां छत्तीसगढ़ के अन्य आदिवासी और लोक कला रूपों पर आगे भी करते रहने की योजना है ताकि प्रदेश के जनजातीय और लोक कला रूपों को समुचित प्रतिष्ठा मिल सके।
क्या है रजवार चित्रकारी :
रजवार चित्रकारी भित्ति चित्रकारी की एक विशिष्ट शैली है, जो छत्तीसगढ़ के सरगुजा अंचल में विशेष रूप से प्रचलित है। यह एक ऐसी परंपरा है जो छत्तीसगढ़ की संस्कृति को भित्ति चित्र के माध्यम से प्रस्तुत करती है। इस भित्ति चित्र के माध्यम से प्रकृति व ग्रामीण परिवेश का चित्रण किया जाता है। यह एक पारंपरिक भित्ति चित्र शैली है।
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