भारत में दोपहिया की बिक्री में सुस्ती है वहीं कारों की बिक्री तेजी पकड़ रही है। देखने वाली बात यह है कि कार हो या दोपहिया शुरुआती स्तर खंड में बिक्री सुस्त बनी हुई है। हमारा वाहन उद्योग अपनी पूरे साल की बिक्री का लगभग एक चौथाई अकेले त्योहारी सीजन में हासिल करता है। मोटे तौर पर इस दो महीने की अवधि में जो होता है वह खपत, मांग और बिक्री को चलाने वाली भावनाओं के बारे में महत्वपूर्ण रुझानों को उजागर करता है।
दोपहिया वाहन की बिक्री में सुस्ती क्यों?
दोपहिया वाहनों की बिक्री दबाव में है क्योंकि ,भारत के सबसे बड़े बाजार, ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्र भारी तनाव में हैं। बारिश के असमान वितरण और उच्च मुद्रास्फीति ने ग्रामीणों की इच्छाओं पर अंकुश लगा रखा है। इसके अलावा दूसरी वजह है दोपहिया वाहनों की ऊंची कीमतें। दोपहिया वाहन बनाने वाली कंपनियों ने पिछले 12 महीनों में कीमतों में तेजी से बढ़ोतरी की है। इस कीमत वृद्धि का झटका प्रवेश स्तर के दोपहिया वाहनों के खरीदारों पर ज्यादा लगता है। यह वर्ग कुल दोपहिया उद्योग की कुल बिक्री का 80% से अधिक बैठता है।
यात्री वाहनों की बिक्री में बंपर तेजी की वजह?
डीलरों और वाहन निर्माताओं का कहना है कि इस बार का त्योहारी सीजन एक दशक में सबसे ज्यादा बिक्री का मौका लेकर आएगा। अपना खुद का वाहन होना सुरक्षित है-यह धारणा कोविड-19 के साथ शुरू हुई और यह चाहत अभी तक खरीदारों के मन-मस्तिष्क से बाहर नहीं निकली है। हालांकि, निर्माताओं की तरफ से आपूर्ति में देरी और खरीदारों के पास पैसे की दिक्कत जैसी दो समस्याएं चली आ रही है, जिससे चलते वाहन निर्माताओं के पास कारों के बड़े बकाया ऑर्डर हैं और उनकी प्रतीक्षा अवधि भी काफी लंबी है।
यात्री वाहनों का उत्पादन पटरी पर लौटने लगा
कई निर्माता अपने अब तक के ऊंचे उत्पादन की रिपोर्ट दर्ज करा रहे हैं। प्रीमियम गाड़ियों का प्रचार भी रंग ला रहा है। इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड वेरिएंट सहित नए पावरट्रेन विकल्पों वाले एसयूवी के हाई-ट्रैक्शन ग्रोथ सेक्शन में नए लॉन्च के चलते ग्राहकों की दिलचस्पी अधिक बनी हुई है। कारों का एंट्री-लेवल सेगमेंट फिलहाल दोपहिया वाहनों की तरह सुस्त प्रदर्शन कर रहा है। शहरी और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में अधिक संपन्न ग्राहकों के पास खर्च करने योग्य आय में वृद्धि देखी जा रही है और वे महंगी कारों की खरीद पर खर्च करने को तैयार हैं।
अब तक अच्छा संकेत दे रही है त्योहारी बिक्री
भारत के दक्षिण और पश्चिम में मनाए जाने वाले ओणम और गणेश चतुर्थी ने सितंबर में दोपहिया कंपनियों के लिए हल्के-फुल्के स्तर पर त्योहारी सीजन की शुरुआत की। एलारा कैपिटल के एक विश्लेषण से पता चला है कि महाराष्ट्र में गणेश चतुर्थी की अवधि के दौरान पंजीकरण वित्त वर्ष 2019 के चरम स्तरों से 23% कम रहा। केरल में, ओणम के दौरान दोपहिया वाहनों की खुदरा बिक्री भी वित्त वर्ष 2019 के स्तर से 15% कम रही। लेकिन कारों के लिए कहानी पूरी तरह से अलग है। फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अनुसार, सितंबर माह मे त्योहारी सीजन की शुरुआत में ग्राहकों ने नई कारों की जमकर खरीदारी की। इस अवधि में कारों पंजीकरण वित्त वर्ष 2019 की तुलना में 44% बढ़ा है।
अक्टूबर की बिक्री से लगी है उम्मीद
उत्तर भारत में त्योहारों का मौसम सितंबर के अंतिम सप्ताह में नवरात्रि से शुरू होता है। फाडा के अनुसार, अक्टूबर में ऑटो की खुदरा बिक्री में एक नई ऊंचाई देखने को मिलेगी क्योंकि महीने के 31 में से 24 दिन त्योहारी होते हैं। फाडा ने कहा कि यदि प्रवेश स्तर के दोपहिया वाहनों की बिक्री अच्छा प्रदर्शन करती है या कम से कम निचले स्तर के दोहरे अंकों में बढ़ती है तो पूरे खुदरा ऑटो क्षेत्र में पिछले दो त्योहारी सीजन की तुलना में तेज वृद्धि दर्ज हो सकती है। लेकिन बिक्री यह अभी भी कोविड-19 के पहले के स्तर से पीछे रह सकती है।
[metaslider id="347522"]