रायपुर। नौ दिनों तक माता की आराधना करने के बाद दसवें दिन दशहरा पर सुहागिनों ने सिंदूर वरण की परंपरा निभाई। अनेक दुर्गा पंडालों में स्थापित प्रतिमा के चरणों पर सिंदूर लगाया। माता से परिवार की सुख, समृद्धि और पति की लंबी उम्र की कामना की। इसके बाद एक दूजे के गालों पर सिंदूर लगाकर अखंड सौभाग्यवती होने की शुभकामनाएं दीं।
शाम को कालीबाड़ी में सिंदूर खेला उत्सव
माना, डब्ल्यू आर एस कॉलोनी, फाफाडीह रेलवे कॉलोनी, बंगाली काली बाड़ी परिसर में बुधवार को पूजा अर्चना की गई। शाम को महिलाओं द्वारा सिंदूर खेला उत्सव मनाया जाएगा। बंगाली संस्कृति के अनुरूप माता को सिंदूर लगाकर महिलाएं एक दूसरे के गालों पर सिंदूर लगाएंगी। नृत्य करके माता को विदाई देंगी। जिस तरह बेटी को ससुराल विदा करते समय उसकी मांग में सिंदूर लगाकर उसके उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हैं, वैसे ही नौ दिनों तक माता को अपने घर, समाज में पूजा, स्वागत करके सिंदूर लगाकर विदा करेंगी। कालीबाड़ी में दोपहर बाद उत्सव प्रारंभ होगा जो शाम तक चलेगा।
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