आज महानवमी पर माँ सिद्धिदात्री को इन मंत्रों से करें प्रसन्न डॉ एच के सिंह

04 अक्टूबर । अखिल भारतीय मानव कल्याण ट्रस्ट के संस्थापक डॉ. एच के सिंह ने बताया नवरात्र‍ि में नौ दिन तक जगत जननी जगदंबा की विशेष आराधना होती है, जिसमें महा अष्‍टमी और महानवमी का विशेष महत्‍व होता है।

महानवमी के साथ ही नवरात्र‍ि का समापन होता है। नवरात्रि के नौवें दिन माँ सिद्धिदात्री की पूजा का विधान है। सिद्धिदात्री को देवी दुर्गा का नौवा रूप माना जाता है। इसी दिन कन्‍या पूजन भी कराया जाता है। इस दिन हवन व पूजन कार्यक्रम के अलावा रात्र‍ि में नवरात्रि का पारण किया जाता है। मान्‍यता है कि नवमी के दिन माँ सिद्धिदात्री की विशेष उपासना कर कई सिद्धियां प्राप्‍त की जा सकती है। कहा जाता हैं कि भगवान शिव ने भी सि‍द्ध‍ि प्राप्ति के लिए माँ सिद्धिदात्री की विशेष उपासना की थी। आइये जानते हैं माँ सिद्धिदात्री की पूजा और शक्तिशाली मंत्र जाप की विधि।

माँ सिद्धिदात्री की पूजा विधि

ज्योतिषियों के अनुसार, जिस तरह भगवान शिव ने माँ सिद्धिदात्री की तपस्या करके आठ सिद्धियां प्राप्ती की थी, उसी तरह माता की विधि विधान से पूजा और मंत्रों के उच्चारण से अष्ट सिद्धि और बुद्धि की प्राप्ति हो सकती है।

माँ सिद्धिदात्री की पूजा के लिए सर्वप्रथम सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। अच्छे वस्त्र धारण करके माँ की पूजा का स्थल तैयार करें। चौकी पर माँ सिद्धिदात्री की प्रतिमा स्थापित करें और ध्यान करें। माँ सिद्धिदात्री को प्रसाद का भोग लगाएं। माता को फल, फूल आदि अर्पित करें। ज्योति जलाकर सिद्धिदात्री माँ की आरती करें। अंत में माँ सिद्धिदात्री का आशीर्वाद लेते हुए पूजा समाप्त करें।

माँ सिद्धिदात्री के मंत्र

‘ॐ सिद्धिदात्र्यै नम:।’

इस मंत्र को पूजा, हवन, कन्या पूजन के समय जपा जाता है। इससे देवी अत्यंत प्रसन्न होती हैं और सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं।

‘विद्या: समस्तास्तव देवि भेदा:

स्त्रिय: समस्ता: सकला जगत्सु।

त्वयैकया पूरितमम्बयैतत्

का ते स्तुति: स्तव्यपरा परोक्ति:।।’

– स्वर्ग व मोक्ष प्राप्ति के लिए इस मंत्र का जाप करना चाहिए।

‘सर्वभूता यदा देवी स्वर्गमुक्ति प्रदायिनी।

त्वं स्तुता स्तुतये का वा भवन्तु परमोक्तयः।।’

-इस मंत्र जाप से भूमि, मकान की इच्‍छा पूर्ण होती हैं।

‘गृहीतोग्रमहाचक्रे दंष्ट्रोद्धृतवसुन्धरे।

वराहरूपिणि शिवे नारायणि नमोऽस्तुते।।’