KORBA:आदिवासी विकास विभाग के कोरबा में केंद्रीय मदों के बंदरबाट करने के मंसूबे फिर हुए,नाकाम सचिव तक पहुंची शिकायत

0. 3 दिनों के भीतर 1 करोड़ 43 लाख के टेंडर निरस्त ,विभाग की कार्यशैली चर्चा में ,,आश्रम छात्रावास रेनोवेशन का 92 लाख का टेंडर निरस्त

कोरबा, 01 अक्टूबर । संविधान के अनुच्छेद 275 (1)केंद्रीय सहायता मद से प्राप्त आबंटन की राशि का बंदरबाट करने की कोशिशें हसदेव एक्सप्रेस की प्रमुखता एवं निविदाकारों की सजगता से नाकाम होने के बाद आदिवासी विकास विभाग लगातार टेंडर निरस्त कर रहा है। 51 लाख के निर्माण एवं रेनोवेशन का टेंडर निरस्त करने के बाद गुरुवार को 92 लाख का आश्रम छात्रावास रेनोवेशन का एक और टेंडर निरस्त कर दिया गया। 3 दिनों के भीतर 1 करोड़ 43 लाख का टेंडर अपरिहार्य कारणों का हवाला देकर निरस्त जरूर कर दी गई है ,पर प्रशासनिक महकमे से लेकर विभाग के आला अधिकारी तक विभाग के अफसरों के कारगुजारियों की कुंडली पहुंच गई है। तबादलों के दौर के बीच सीएम आगमन से पूर्व शासन एवं विभाग की छवि बेदाग रखने एक बड़ी विभागीय कार्रवाई के आसार हैं।

आदिवासी विकास विभाग में व्याप्त अनियमितताओं का दौर नहीं थम रहा। विभाग द्वारा 27 सितम्बर को 5 विभागीय आश्रम छात्रावासों ,आश्रमों में लाईब्रेरी कक्ष निर्माण ,सी.सी पैसेज एवं रेनोवेशन कार्य हेतु आमंत्रित निविदा को अचानक निरस्त करने का मामला अभी ठंडा नहीं हुआ है कि गुरुवार को विभाग ने 92 लाख का एक और निविदा आमंत्रण सूचना अपरिहार्य कारणों का हवाला देकर निरस्त कर दी । आदिवासी विकास विभाग द्वारा संविधान के अनुच्छेद 275 (1)केंद्रीय सहायता मद के अंतर्गत प्राप्त आबंटन में 20 सितंबर 2022 को विभागीय आश्रम छात्रावासों ,आश्रमों में लोक निर्माण विभाग में पंजीकृत ठेकेदारों से 01.01.2015 से प्रभावशील दर पर निविदा आमंत्रित की थी।उक्त निविदा की कुल लागत 92 लाख था। रेनोवेशन कार्य हेतु आमंत्रित निविदा को एक बार फिर अपरिहार्य कारणों का हवाला देकर निरस्त कर दिया गया ।

इससे दो दिन पूर्व ही बुधवार को 5 आश्रम ,छात्रावासों के रेनोवेशन लाईब्रेरी कक्ष निर्माण ,सी सी पैसेज के कार्य को निरस्त कर दिया गया था। इस तरह केंद्रीय मदों से प्राप्त 5 करोड़ 95 लाख के आबंटन में से 1 करोड़ 43 लाख का टेंडर अपरिहार्य कारणों का हवाला देकर निरस्त कर दिया गया है। विश्वस्त सूत्रों के अनुसार विभाग द्वारा टेंडर प्रक्रिया में नियमों की अनदेखी कर चहेते फर्मों को कार्य देने की कवायद की जा रही थी। ,जिसकी भनक लगते ही अन्य प्रतिस्पर्धी ठेकेदार कार्यालय आ धमके व आपत्ति जताई। मामला तूल न पकड़े इसलिए धड़ाधड़ निविदा निरस्त किए जा रहे। बहरहाल अफसरों की कार्यशैली की चर्चाएं पूरे प्रदेश में सरगर्म है। प्रकरण में सहायक आयुक्त का पक्ष उनसे पूर्व अनुभव (कॉल रिसीव नहीं करने )के कारण लेना मुनासिब नहीं समझा गया।