रायपुर,01 अक्टूबर। वर्तमान सामाजिक व सरकारी परिवेश में वृद्धजन तिरस्कृत महसूस कर रहे हैं। बहुतायत परिवार में वृद्धजनों को बोझ समझा जाता है। वृद्धजनों का जीवन बीमा, मेडिक्लेम नही होता है। रेलवे कन्सेशन सहित अनेक सुविधाएं उपलब्ध नही हैं। आज अंतरराष्ट्रीय वृद्धजन दिवस पर जैन संवेदना ट्रस्ट ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर राष्ट्रीय स्तर पर वृद्धजन संरक्षण आयोग के गठन की मांग की है।
जैन संवेदना ट्रस्ट के महेन्द्र कोचर व विजय चोपड़ा ने कहा कि क्या भारत में वृद्धजन होना गुनाह है ? भारत में 70 वर्ष की आयु के बाद नागरिक चिकित्सा बीमा के लिए पात्र नहीं हैं, उन्हें ई एमआई पर ऋण नहीं मिलता है। ड्राइविंग लाइसेंस नहीं दिया जाता है। उन्हें कोई नौकरी नहीं दी जाती है। इसलिए वे दूसरों पर निर्भर रहते हैं। उन्होंने अपनी युवावस्था में सभी करों का भुगतान किया था। अब सीनियर सिटीजन बनने के बाद भी उन्हें सारे टैक्स चुकाने पड़ते हैं।
भारत में वृद्ध नागरिकों के लिए कोई योजना नहीं है। रेलवे यात्रा पर मिलने वाली 40 फीसदी की छूट भी बंद कर दी गई है। यह एक भयानक और पीड़ादायक बात है। सरकार द्वारा वरिष्ठ नागरिकों के जीवन में किसी भी तरह की परेशानी से बचने के लिए कोई ध्यान नहीं दिया जाता है। सरकार गैर–अन्य योजनाओं पर बहुत पैसा खर्च करती है, लेकिन यह कभी नहीं महसूस करती है कि वृद्धजनों के लिए भी एक योजना आवश्यक है। इसके विपरीत बैंक की ब्याज दरें घटाकर वृद्धजनों की आय कम कर दी है। भारतीय वरिष्ठ नागरिक होना एक अपराध लगता है।
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महेन्द्र कोचर व विजय चोपड़ा ने प्रधानमंत्री को पत्र में लिखा है कि वृद्धजनों के लिए शासकीय, सामाजिक, घरेलू सुरक्षा का समावेश हो। वृद्धजनों को समस्त शासकीय कार्यों में रियायत मिले उनके अनुभव का लाभ लेने का उपक्रम हो जिससे वृद्धजन स्वाभिमान से जीवन यापन कर सकें । जीवन बीमा , मेडिकल बीमा , ड्राइविंग लाइसेंस की सुविधा जीवन पर्यन्त मिले। महेन्द्र कोचर व विजय चोपड़ा ने कहा कि वृद्धजनों के लिए सरकार पूरे भारत में मनोरंजन केन्द्र बनाए जावें जिससे वृद्धजन स्वास्थ्य व बेहतर जीवन जी सकें। वृद्धजनों के बैंक फिक्स डिपाजिट में ब्याज दरों में बढ़ोतरी की जावे । वृद्धजन हमारे राष्ट्र के समृद्ध समाज की धरोहर है उनके भी स्वाभिमान पूर्वक जीवन यापन की ओर ध्यान रखना हमारा राष्ट्रीय दायित्व है।
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