JAGDALPUR NEWS : बस्तर दशहरा के पांच दिवसीय सांस्कृतिक कार्यक्रम का हुआ शुभारम्भ

जगदलपुर, 29 सितंबर। बस्तर दशहरा के अवसर पर बुधवार को दंतेश्वरी मंदिर के समक्ष स्थित टाउन क्लब मैदान में पांच दिवसीय सांस्कृतिक कार्यक्रम का शुभारंभ बस्तर सांसद एवं बस्तर दशहरा समिति के अध्यक्ष दीपक बैज द्वारा किया गया। जिला प्रशासन के सहयोग से बादल एकेडमी आसना द्वारा आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रमों के शुभारम्भ के अवसर पर कलेक्टर चंदन कुमार, नगर निगम अध्यक्ष कविता साहू, जिला पंचायत सीईओ रोहित व्यास, अपर कलेक्टर हरेश मंडावी सहित बड़ी संख्या में दर्शक मौजूद थे।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि बस्तर सांसद दीपक बैज ने कहा के बस्तर दशहरा का आयोजन पिछले वर्षों में कोरोना महामारी के कारण नहीं कर पाए थे, इसलिए इस वर्ष छोटे स्वरूप में ही सही, हमने यह आयोजन करने का निर्णय लिया है। इस आयोजन में बस्तर के अलावा छत्तीसगढ़ और भारत के अन्य प्रांतों की भी प्रस्तुति होगी। इस प्रस्तुति का आनंद दशहरा देखने आए हुए सभी ग्रामीण और नगरवासी अवश्य लें, ऐसे आयोजन से बस्तर की प्रतिभाओं को भी आगे आने का मौका मिलेगा। संस्कृति संरक्षण के उद्देश्य से यह कार्यक्रम आयोजित की जा रही है। सांसद ने सभी कलाकारों को और कार्यक्रम आयोजक बादल संस्था के सभी कार्यकर्ताओं को अपनी शुभकामनाएं दीं।

कलेक्टर चंदन कुमार ने कहा कि 75 दिवसीय बस्तर दशहरा की विशेष पहचान है। इसे देखने के लिए देश-विदेश से पर्यटक आते हैं। स्थानीय निवासियों की भी श्रद्धा इस पर्व से जुड़ी हुई है। दशहरा में पूरे अंचल से देवी देवता और ग्रामीणजनों का आगमन होता है। यह पर्व सामाजिक समरसता का प्रतीक है, जिसमें बस्तर की विभिन्न जनजातियों की सहभागिता प्रत्येक रस्मों में विशेष रूप से निश्चित होती है। इस कार्यक्रम में आपको बस्तर की एवं देश की लोक-संस्कृति की झलक देखने को मिलेगी। बादल एकेडमी की स्थापना बस्तर की लोक-संस्कृति के संरक्षण एवं संवर्धन तथा शुद्ध रूप से अगली पीढ़ी तक हस्तांतरण करने के उद्देश्य से किया गया है।

दशहरा के उपलक्ष्य में पांच दिवसीय सांस्कृतिक आयोजन में प्रतिदिन स्थानीय एवं संभाग स्तर के लोकनर्तक दलों की पारंपरिक लोक नृत्यों की प्रस्तुतियाँ दी जायेगी। स्कूली एवं महाविद्यालयीन छात्र-छात्राओं द्वारा शास्त्रीय एवं लोक-संस्कृति पर आधारित प्रस्तुतियाँ, दक्षिण मध्य क्षेत्र नागपुर के माध्यम से सांस्कृतिक दलों द्वारा देश के अनेक हिस्सों की सांस्कृतिक झलक प्रस्तुत की जायेगी तथा विविध कार्यक्रम भी प्रस्तुत किये जायेंगे। इस वर्ष के आयोजन में आपको बस्तर की संस्कृति, छत्तीसगढ़ की संस्कृति के साथ ही भारत के अन्य क्षेत्रों की आंचलिक संस्कृति के भी दर्शन होंगे।

कार्यक्रमों की श्रृंखला में पहले दिन बिस्माल्लाह खान पुरस्कार प्राप्त मोहरी वादक श्रीनाथ और साथियों द्वारा बस्तर के वाद्य यंत्रो का वादन, हरप्रीत कौर द्वारा छत्तीसगढ़ी लोकनृत्य की प्रस्तुति, दरभा के पीलाराम व साथियों द्वारा परब लोकनृत्य की प्रस्तुति, प्रज्ञा योग एवं नृत्य संस्थान धरमपुरा द्वारा हल्बी नृत्य की प्रस्तुति, बास्तानार-करसाड़ के गणेश मंडावी व साथियों द्वारा लोकनृत्य की प्रस्तुति, गांव-मंचल, तेलगांना-लंबाडी के नागार्जुना द्वारा दक्षिण मध्य क्षेत्र के माथुरी नृत्य की प्रस्तुति, बस्तर संगीत महाविद्यालय जगदलपुर द्वारा समूह शास्त्रीय नृत्य की प्रस्तुति, आंध्रप्रदेश के रमेश दक्षिण मध्य क्षेत्र कोगू कोया नृत्य की प्रस्तुति, शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय जमावाड़ा एवं अखंड ज्योति विद्या मंदिर बकावण्ड के छात्र -छात्राओं द्वारा विभिन्न नृत्य की प्रस्तुतियाँ प्रमुख आकर्षण रहे। सांस्कृतिक कार्यक्रमों की ये मनभावन प्रस्तुतियाँ आयोजन के दूसरे दिन भी देखने को मिलेगी। दिनांक 02 अक्टूबर 2022 तक प्रतिदिन शाम 6 बजे से रात 10 बजे तक सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किये जायेंगे।

दूसरे दिन के कार्यक्रमों की श्रृंखला में जगदलपुर की श्रुति सरोज द्वारा कत्थक नृत्य की प्रस्तुति, भैरम डोकरा समिति, नागंलसर जगदलपुर के सोमाराम द्वारा धुरवा लोकनृत्य की प्रस्तुति, सुर श्रृंगार सामाजिक सांस्कृतिक लोक कला मंच द्वारा बस्तर के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियो पर गीत प्रस्तुति, सागर मध्यप्रदेश-बधाई, बरेदी के दीपेश पांडे द्वारा दक्षिण मध्य क्षेत्र के नौरता नृत्य की प्रस्तुति, गांव मंचल, तेलगांना, लंबाडी के नागार्जुना द्वारा दक्षिण मध्य क्षेत्र के माथुरी नृत्य की प्रस्तुति, आंध्रप्रदेश के रमेश द्वारा दक्षिण मध्य क्षेत्र के कोगू कोया नृत्य की प्रस्तुति, हाटपदमुर जगदलपुर के जगत बघेल द्वारा परब लोकनृत्य की प्रस्तुति, जैतापकर, परेल, मुंबई, महाराष्ट्र की शीतल लक्ष्मण द्वारा दक्षिण मध्य क्षेत्र के लावणी, कोली नृत्य की प्रस्तुति, कल्लूराम व साथी द्वारा बस्तर के पारम्परिक गेड़ी लोकनृत्य की प्रस्तुति, दरभा के चैतराम व साथी कलाकारों द्वारा धुरवा लोकनृत्य की प्रस्तुतियां दी जाएंगी।