लोकतंत्र की मजबूती के लिए पारदर्शी प्रशासन और सूचना का अधिकार आवश्यक: अनुसुईया उइके

0.राज्यपाल ने किया छत्तीसगढ़ राज्य सूचना आयोग की पुस्तिका ‘‘महत्वपूर्ण निर्णय’’ का विमोचन

रायपुर, 29 सितंबर। राज्यपाल अनुसुईया उइके ने बुधवार को राजभवन में छत्तीसगढ़ राज्य सूचना आयोग के ‘‘महत्वपूर्ण निर्णयों’’ के संकलन पर आधारित पुस्तिका ‘‘महत्वपूर्ण निर्णय’’ का विमोचन किया।उन्होंने कहा कि, लोकतंत्र को जीवंत बनाए रखने के लिए पारदर्शी प्रशासन और आम जनता को प्राप्त सूचना का अधिकार आवश्यक है। इसी से हमारे लोकतंत्र को मजबूती मिलती है। लोकतंत्र में जनता को प्रशासन की हर गतिविधियों को जानने का अधिकार प्राप्त है। इस अवसर पर मुख्य सूचना आयुक्त एमके राउत, पूर्व मुख्य सूचना आयुक्त सरजियस मिंज, राज्य सूचना आयुक्त अशोक कुमार अग्रवाल, मनोज त्रिवेदी, धनवेन्द्र जायसवाल, पूर्व राज्य सूचना आयुक्त एस.के. तिवारी और सचिव छत्तीसगढ़ राज्य सूचना आयुक्त आनंद मसीह, राज्यपाल के उप सचिव दीपक कुमार अग्रवाल उपस्थित थे।

राज्यपाल उइके ने राज्य सूचना आयोग द्वारा महत्वपूर्णय निर्णयों संबंधी संकलन के प्रकाशन की पहल की सराहना करते हुए कहा कि, आमजनों के साथ जनसूचना अधिकारियों को इस संकलन का सर्वाधिक लाभ मिलेगा। प्रदेश में राज्य सूचना आयोग, सूचना का अधिकार से संबंधित सर्वाेच्च संस्था होती है, ऐसे में यह किताब इस विषय में मार्गदर्शक की भूमिका निभाएगा। राज्यपाल ने कहा कि छत्तीसगढ़ प्रदेश में कई आदिवासी बाहुल्य जिले हैं, उन क्षेत्रों में भी विशेष प्रशिक्षण सत्र आयोजित किये जाएं, ताकि वहां के जनसूचना अधिकारियों को नियमों और प्रक्रियाओं की बेहतर जानकारी प्राप्त हो सके। उन्होंने इस पुस्तक को जिला स्तर पर भी उपलब्ध कराने की व्यवस्था करने के निर्देश दिए।

मुख्य सूचना आयुक्त एमके राउत ने छत्तीसगढ़ राज्य सूचना आयोग की स्थापना से लेकर अब तक के कार्य, उपलब्धियों, प्रकरणों की संख्या एवं उनके निराकरण की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि वर्ष 2005 से वर्ष 2022 तक 67 हजार प्रकरण पंजीबद्ध हुए हैं, जिनमें से 56 हजार प्रकरणों का निराकरण किया जा चुका है। किताब में महत्वपूर्ण 136 निर्णयों को शामिल किया गया है। राउत ने बताया कि संभाग स्तरीय और जिला स्तर पर जनसूचना अधिकारी और प्रथम अपीलीय अधिकारियों के लिए कार्यशाला का आयोजन कर सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की विस्तृत जानकारी दी जा रही है। उन्होंने बताया कि अधिनियम की धारा 4 (1)(ख) के तहत् प्रत्येक लोक प्राधिकारी को अपनी कार्यालयीन गतिविधियों को कम्प्यूटरीकृत कर वेबसाईट पर अपलोड करना है ताकि आम जनता विभागीय गतिविधियों की जानकारी आसानी से प्राप्त कर सके और प्रशासन में पारदर्शिता बनी रहे। वेबसाईट में विभागीय जानकारी अपलोड होने से जनता को यह आसानी से उपलब्ध हो जाती है।