पितृपक्ष का अंतिम दिन : इन्हें भोजन कराकर करें पितरों को विदा, प्रसन्न होकर देंगे आशीष…

आज पितृपक्ष का अंतिम दिन है, जिसे सर्वपितृ अमावस्या के नाम से जाना जाता है। पितृपक्ष में अमावस्या तिथि का बिशेष महत्व है क्योंकि इस दिन भूले बिसरे पितरों का श्राद्ध कर्म और तर्पण किया जाता है और फिर पितरों को विदा किया जाता है।सर्वपितृ अमावस्या तिथि पर श्राद्ध कर्मकांड प्राचीन काल से होता रहा है। शुद्ध एवं शीतल मन से श्राद्ध कर्म या तर्पण किए जाएं तो पूर्वजों को शांति मिलती है। साथ ही उनका आशीर्वाद सदैव बना रहता है। शास्त्रों की माने तो पितृपक्ष के दौरान पितर धरती पर आते हैं और अमावस्या तिथि को विदा हो जाते हैं।

माना जाता है कि पितरों का संबंध प्रकृति से है। मान्यता यह भी है कि वह किसी न किसी रूप में हमारे सामने जरूर आते हैं। ऐसे में घर आए कोई भी पशु-पक्षी, गरीब-दुखिया आदि का आदर सत्कार करें उन्हें निराश बिल्कुल भी न करें। चलिए किन-किन रूपों में पितर घर आ सकते हैं इनके बारे में जान लेते हैं।

कौआ :
मान्यता है कि सर्वपितृ अमावस्या तिथि पर घर या छत पर आए कौवे को बिना कुछ खिलाए न भगाएं। कौवे को कुछ अनाज के दाने जरूर खिलाएं। इस पर गुस्सा दिखाने या भगा देने से पितर नाराज हो सकते हैं। इससे आपको परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। शास्त्रों में बताया गया है कि पितृ पक्ष के 15 दिन तक पितरण कौवे द्वारा ही अन्न ग्रहण करते हैं। इससे उनके आत्मा को तृप्ति मिलती है। साथ ही परिजनों को उनका आशीर्वाद भी मिलता है। घरों में सुख शांति और सकारात्मकता का प्रवाह होता है।

कुत्ता-गाय :
कुत्ते यम के दूत माने जाते हैं। बता दें कि श्राद्ध पक्ष के दौरान पंचबली भोग लगाए जाते हैं। इस भोग में कुत्ते और गाय के नाम का भी भोग लगाया जाता है। इसलिए सर्वपितृ अमावस्या तिथि पर यदि गाय या कुत्ते घर पर आएं तो इन्हें शुभ माना जाता है। इन्हें अनाज या कुछ भी खाने को जरूर दें। यहां तक कि घर के बाहर भी इन्हें देख कर इनका सम्मान करें। अमावस्या तिथि पर श्राद्ध कर्म करने से पहले गौ माता की सेवा करने से पितर बहुत प्रसन्न होते हैं। वे अपना आशीर्वाद सदैव आप पर बनाए रखेंगे।

गरीब-जरूरतमंद या अंजान :
सर्वपितृ अमावस्या तिथि पर घर आए मेहमान, गरीब, लाचार, बेबस आदि को न दुत्कारें। मान्यता है कि इस दौरान पितृ किसी भी रूप में आपके द्वार आ सकते हैं। ऐसे में उनका सम्मान करें। उन्हें खाना-पीना के साथ उचित दक्षिणा भी दें। इन्हें कभी भी खाली हाथ न लौटाएं। कहते हैं यह पितर द्वारा परीक्षा होती है। इसे अवश्य पूरा करें।