Navratri : शारदीय नवरात्र कल से, गज पर सवार होकर आएंगी मां, इस समय तक कर सकते हैं कलश स्थापना

शारदीय नवरात्र सोमवार से प्रारंभ होगी। इस बार गज पर सवार होकर मां आयेंगी। सूर्योदय से लेकर पूरा दिन भक्त कलश स्थापना कर सकेंगे। रविवार की सायं दुर्गा पंडालों में मां की मूर्तियां स्थापित होंगी। चार अक्तूबर को नवरात्र की पूर्णाहूति के साथ समापन होगा।ज्योतिषाचार्य पं. राकेश पाण्डेय ने बताया कि शारदीय नवरात्र आश्विन शुक्ल प्रतिपदा तिथि 26 सितम्बर दिन सोमवार से प्रारम्भ होगी। प्रतिपदा तिथि पूरा दिन के साथ मध्यरात्रि 3.32 बजे तक है। सोमवार का दिन व उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र प्रातः 7.03 बजे के बाद हस्त नक्षत्र है। इस वर्ष शारदीय नवरात्र नौ दिन का है। सोमवार से प्रारम्भ होकर 4 अक्तूबर दिन मंगलवार को पूर्णाहूति होगी। कलश स्थापना मुहूर्त सूर्योदय से लेकर पूरा दिन कभी भी भक्त करा सकते हैं। इसकी विशेष मुहूर्त सुबह 9.41 से 11.58 बजे तक है।

बताया कि नौ दिन का नवरात्र की सप्तमी तिथि रविवार को सायं 6.22 बजे तक।इसके बाद अष्टमी तिथि प्रारम्भ होगी व मूल नक्षत्र इसी दिन मिल रहा है।…मूलेन आवाहयेत देवि पूर्वाषाढायां पूजयेत उत्तराभे बलिं दद्यात्श्रवणेंन विसर्जयेत। के अनुसार पूजा पंडालों में मूर्ति स्थापना रविवार को माता जी का आवाह्न कर मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा व नेत्र दर्शन होगा। रविवार के दिन भगवती दुर्गा गज (हाथी) पर सवार होकर आ रही हैं, जिसके फल स्वरूप अत्यधिक वर्षा हो सकती है। इससे जन व धन की हानि हो सकती है। अतः सम्पूर्ण मानव जाति को चाहिए कि मां भगवती का ध्यान कर …ऊं जयन्ती मङ्गला काली भद्र काली कपालिनी, दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तुते मन्त्र का मानसिक जप करते रहें व दुर्गा सप्तशती का निष्ठा पूर्वक नित्य पाठ करें। इससे सम्पूर्ण जनमानस का कल्याण होगा। बताया कि कलश स्थापना के बाद मां भगवती का पूजन, षोडशोपचार वा पञ्चोपचार कर दुर्गासप्तशती का पाठ, नवार्ण मन्त्र का जप करें। प्रत्येक सनातन धर्मियों को चाहिए कि इस दिन मंगल ध्वज आदि से घर को सुसज्जित करें।

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