देवी मंदिरों में नवरात्रि को लेकर चल रही व्यापक तैयारी, हो रहा रंगरोगन

धमतरी, 24 सितंबर। क्वांर नवरात्रि को लेकर अंचल में जोर-शोर से तैयारी चल रही है। मंदिरों का रंगरोगन, कलश की सफाई, आकर्षक लाईटिंग में समिति के सदस्य जुटे हुए हैं। इसके अलावा सार्वजनिक दुर्गा पंडालों में भी दुर्गोत्सव की तैयारी जारी है। समिति के सदस्य आयोजन को सफल बनाने में जुटे हुए हैं।ग्रामीण क्षेत्र में नवरात्रि दुर्गोत्सव की तैयारी जोरों से चल रही है। शीतला मंदिर, दुर्गा मंदिर के अलावा अन्य देवालयों में समिति के सदस्य नवरात्रि को लेकर व्यस्त हैं। शहर से लगे ग्राम ग्राम देमार के मां महामाया मंदिर में इन क्वांर नवरात्रि को अंतिम रूप देने समिति के सदस्य व्यस्त हैं।

मंदिर समिति के अध्यक्ष दिनेश कुमार साहू ने बताया कि क्वांर नवरात्रि को लेकर तैयारी चल रही है। मां महामाया मंदिर का रंगरोगन किया जा रहा है। इसके अलावा नौ दिवसीय आयोजन की तैयारी में समिति के अन्य सदस्य जुटे हुए हैं। नौ दिनों तक जसगीत, सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे। 26 सितंबर से हो शुरू रहे नवरात्रि के लिए मां महामाया देमार में जोत प्रज्वजन के लिए पंजीयन जारी है। तेल जोत के लिए 11 सौ. एक रुपये व घृत जोत के लिए 15 सौ एक रुपये शुल्क निर्धारित किया गया है। पंजीयन के लिए कुमुदिनी किराना स्टोर व कन्हैया किराना व कंप्यूटर सेंटर से संपर्क कर सकते हैं।

कुरुद में शारदीय नवरात्रि के लिए तैयार हो रही मूर्तियां

नगर सहित क्षेत्र में नवरात्रि दुर्गोत्सव की तैयारी जोरों से चल रही है। कुरुद नगर में परंपरानुसार इस बार भी पूरी भव्यता के साथ माता रानी की प्रतिमा स्थापित कर नौ दिनों तक भक्ति की अविरल धारा प्रवाहित होने वाली है। विभिन्न समिति के सदस्य माता दुर्गारानी के स्वागत में लगे हुए हैं। स्थानीय मूर्तिकार माता दुर्गा की प्रतिमा को आकार दे रहे हैं। मूर्ति देखने बच्चे व समिति के सदस्य मूर्तिकार के पास पहुंच रहे हैं। नवरात्रि दुर्गोत्सव की परंपरा को जीवित रखने के लिए परखंदा निवासी मूर्तिकार भारत चक्रधारी एवं दुलेश पांड़े भी अपनी अहम भूमिका का निर्वहन कर रहे हैं।

पिछले डेढ़ दशक से नयनाभिराम प्रतिमाओं का निर्माण कर इस उत्सव को जीवित रखने वाले चक्रधारी व पाड़े का पूरा परिवार हर साल नवरात्रि दुर्गोत्सव के करीब 5 माह पहले से ही इसकी तैयारियों में जुट जाता है। इनके हाथों बनी मूर्तियों को लेने के लिए तीन माह पहले से ही बुकिंग शुरू हो जाती है। इनकी मूर्तियों की मांग नगर सहित क्षेत्र में रहती है। वे केवल मिट्टी, पैरा, रुई व राखड़ का उपयोग कर मूर्तियां तैयार करते हैं। मूर्तिकारों ने बताया कि मां दुर्गा विसर्जन से नदियों व तालाबों का पानी दूषित न हो इसका पूरा ख्याल मूर्ति निर्माण के समय करते हैं। इनके द्वारा बनाई जाने वाली लगभग 200 मूर्तियों में प्राकृतिक रंगों का ही इस्तेमाल करते हैं।

मांग अनुरूप भी मूर्ति बना दुलेश पांड़े ने बताया कि उनके द्वारा सालभर के त्योहार के लिए प्रतिमाए बनाई जाती है। परिवार केवल माता दुर्गा के लिए या कृष्ण के लिए ही नहीं, बल्कि गौरी-गोरा, तीज, गणेश पूजा जैसे त्योहारों में भी लोगों के लिए प्रतिमाएं बनाते हैं।