बस्तर संभाग में बीजापुर-नारायणपुर जिले के 7 गांवों में 39 लोगों की मौत हुई है। यह दावा खुद इलाके के ग्रामीणों ने किया है। ग्रामीणों ने बताया कि, इलाज के अभाव में पिछले 5 महीनों में एका-एक ग्रामीणों ने दम तोड़ा है। अब भी 50 से ज्यादा ग्रामीण बीमार हैं।
दरअसल, इंद्रावती नदी पार बसे धुर नक्सल प्रभावित गांवों के ग्रामीण किसी बीमारी की चपेट में हैं। 5 महीनों से इलाकों में स्वास्थ्य सुविधा नहीं पहुंची है। बीमार ग्रामीण झाड़-फूंक के सहारे हैं। अब भी 50 से ज्यादा लोग बीमारियों से जूझ रहे हैं। अब इनका एक ही कहना है हम जिंदा रहना चाहते हैं, हमें बचा लीजिए।
बुखार के बाद हाथ-पैर फूल रहा
इलाके के ग्रामीणों ने बताया कि, जो बीमार हैं उनकी चिंता सता रही है। उन्होंने बताया कि पहले बुखार आता है, फिर हाथ-पैर फूलता है। इसके बाद जान चले जाती है। लगातार हो रही मौतों से सभी चिंतित हैं। इलाज नहीं मिलने के कारण अपनों को खोता देख ग्रामीण भी बेबस और परेशान हो चुके हैं।
प्रशासन की पहुंच से दूर हैं गांव
इंद्रावती नदी पार के ये बेहद संवेदनशील गांव हैं। नदी पार कर इन इलाकों में जाना होता है। इलाका नक्सलियों का गढ़ है। ग्रामीण बताते हैं, इन गांवों में शासन-प्रशासन के कोई भी जिम्मेदार अधिकारी नहीं पहुंचते। 5 महीनों से ग्रामीण इलाज के लिए तरस रहे हैं। बारिश के दिनों में नदी उफान पर होने के कारण इलाज के लिए भी नहीं जा पा रहे। गांव में ही सिरहा-गुनिया के भरोसे हैं। ये पहली बार नहीं है, बल्कि सालों से ऐसा ही चला आ रहा है। इस गांव की हालत ये है कि पीने के लिए पानी नहीं है। लोग गंदा पानी पीने को मजबूर हैं।
इन गांवों के इतने लोगों की हुई मौत
ग्रामीणों के बताए अजुसार बीजापुर जिले के मर्रामेटा के 12, पेंटा के 3, पीडियाकोट के 7, बड़े पल्ली के 7 और नारायणपुर जिले के रेकावाया के 10 ग्रामीणों की मौत हुई हैं। इनमें महिलाएं भी शामिल हैं। दो महीने के अंदर मर्रामेटा में – मुन्ना, सुशीला, लाखू वेको, सुकलु मड़काम, मोती पोयाम, बामोन, मडला, सान्नि, आनीस, नाड़गू, गुड्डी और सानको सोढ़ी की मौत हुई है। जबकि, पेंटा में तुली, पोडिया, सोमारी की मौत हुई। रेकावाया पंचायत में कोपा, सोमालु, लखान, भीमा, मंगू, मिटाकी, रामे, कुम्मा, कोटाली, बुधराम की मौत हुई है।
मेडिकल टीम का हुआ गठन- कलेक्टर
इधर, बीजापुर कलेक्टर राजेंद्र कटारा ने बताया कि नदी पार इलाकों में ग्रामीणों की मौत और बीमारी की सूचना मिली है। इन इलाकों के लिए टीम का गठन कर गांव भेजा जा रहा है। उनका यह भी कहना है कि दो महीने से इस तरह की स्थिति निर्मित हुई है और हमें पता नहीं चला। यह संदेहास्पद है। टीम जाकर आएगी, इसके बाद ही वस्तुस्थिति का पता चल सकेगा।
54 लोगों की जान गई
इसके पहले सुकमा जिले के रेगड़गट्टा में 54 लोगों की मौत हुई थी। इसकी जानकारी खुद स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने दी थी। उन्होंने बताया था कि चार सालों में अलग-अलग बीमारियों से ग्रामीणों की जान गई है। जिसमें 2019 में 7, 2020 में 16, 2021 में 9 और 2022 में 22 लोगों की मौत हुई है है। साल 2020 और 2022 में मृत्युदर सामान्य से ज्यादा है।
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