संसाधनों का दोहन हमारी संस्कृति का मूल नहीं : आरके सिंह

नई दिल्ली ,22सितम्बर। नेहरू मेमोरियल संग्रहालय और पुस्तकालय में 21 सितंबर,2022 को अग्नि तत्व- जीवन के लिए ऊर्जा पहल की शुरुआत पर एक समारोह आयोजित किया गया। यह सुमंगलम के अम्ब्रेला अभियान के तहत एक पहल है। पावर फाउंडेशन ऑफ इंडिया ने विज्ञान भारती (विभा) के सहयोग से अग्नि तत्व की मूल अवधारणा के बारे में जागरूकता उत्पन्न करने के लिए समुदायों, शैक्षणिक संस्थानों व संबंधित संगठनों को शामिल करते हुए सेमिनार, कार्यक्रम और प्रदर्शनियों का आयोजन किया। अग्नि तत्व ऊर्जा का पर्याय है और पंचमहाभूत के पांच तत्वों में से एक है।

इस आउटरीच कार्यक्रम ने विषय के जानकारों और विशेषज्ञों के सीखने व अनुभवों पर विचार-विमर्श करने के साथ सभी के लिए एक टिकाऊ भविष्य को लेकर समाधान तलाशने के लिए एक मंच प्रदान किया है। इस पहल में स्वास्थ्य, परिवहन, उपभोग व उत्पादन, सुरक्षा, पर्यावरण और आध्यात्मिकता पर केंद्रित कई महत्वपूर्ण विषयों को शामिल किया गया।

श्री सिंह ने कहा, संसाधनों का दोहन हमारी संस्कृति का मूल नहीं है। हमारी जड़ें सादगी में निहित हैं। हम पर्यावरण के लिए अवचेतन रूप से लाइफ- लाइफस्टाइल जी रहे हैं। हम प्रकृति और उसके विभिन्न तत्वों की पूजा करते हैं। अब हमें पूरे विश्व में इस विचार प्रक्रिया को फैलाना है। माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पहले ही इसकी प्रक्रिया शुरू कर दी है।

अब हमारे सामने दोहरे उद्देश्य हैं- पहला हमें पश्चिम की आंखें मूंदकर नहीं देखना चाहिए। दूसरा, हमें अपने ज्ञान को विकसित राष्ट्रों के साथ साझा करना चाहिए, जिसे हमारे पूर्वजों ने आगे बढ़ाया है। जहां तक ऊर्जा रूपांतरण का सवाल है, भारत एक नेतृत्वकर्ता के रूप में उभरा है।

हमने पेरिस में सीओपी-21 में यह संकल्प लिया था कि 2030 तक हमारी स्थापित विद्युत उत्पादन क्षमता का 40 फीसदी हिस्सा गैर-जीवाश्म से होगा, हमने इसे नौ साल पहले ही यानी नवंबर, 2021 में प्राप्त किया था। हमने संकल्प लिया था कि 2030 तक अपनी अर्थव्यवस्था की उत्सर्जन तीव्रता को 33-35 फीसदी तक कम कर देंगे। अब हम पहले से ही 40 फीसदी पर हैं, हम एक या दो साल में इस लक्ष्य प्राप्त कर लेंगे।

भारत सरकार के विद्युत सचिव आलोक कुमार ने कहा कि लोगों के बीच एक प्रचलित विचार है कि जिम्मेदार ऊर्जा रूपांतरण एक पश्चिमी अवधारणा है। उन्होंने कहा, हमारे प्रधानमंत्री ने हाजिरजवाबी से कहा था कि भारत एक जिम्मेदार देश है, जिसकी जड़ें जिम्मेदार परंपराओं और मूल्यों में निहित है। सुमंगलम का पूरा अभियान यह महत्वपूर्ण संदेश देता है कि हमें जिम्मेदार ऊर्जा खपत की सदियों पुरानी परंपराओं को नहीं भूलना चाहिए। हमारा प्राथमिक ध्यान विद्यालय जाने वाले बच्चों पर होना चाहिए, जिससे उनके मस्तिष्क में टिकाऊ जीवन का विचार उत्पन्न हो सके।

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