जांजगीर-चांपा ,22सितम्बर। राज्य शासन की योजनाओं का लाभ मछली पालन करने वाले समूहों को मिल रहा है। शासन के मछली पालन विभाग के अलावा महात्मा गांधी नरेगा, एनआरएलएम, डीएमएफ योजनाओं के संयुक्त प्रयास से मछलीपालन क्षेत्र में बेहतर परिणाम सामने आ रहे हैं। जिले में मछलीपालन के कार्य को समूहों के लिए किया जा रहा है। गौठान में बनाए गए डबरी, तालाब में मछलीपालन के कार्य से जुड़ते हुए स्व सहायता समूह, मछवारा समितियां हाट बाजार में मछलियों को बेचकर स्वरोजगार के साथ आर्थिक रूप से मजबूत बन रहे हैं।
जिला कलेक्टर तारन प्रकाश सिन्हा के निर्देशन में जिले में मछलीपालन के क्षेत्र में महिलाओं, युवाओं, ग्रामीणों को स्वावलंबी बनाने के साथ ही आय में वृद्धि के लिए कार्य किया जा रहा है। जिले की गौठान में अंदर एवं गौठान के समीप तालाब, डबरी का निर्माण महात्मा गांधी नरेगा के माध्यम से कराया गया है। इन तालाबों, डबरियों से ग्रामीणों को रोजगार के अवसर मिले इसके लिए मछली पालन करने वाले समूहों को चायनित कर मछली बीज संचयन का कार्य किया जा रहा है। कृषि के बाद अगर किसी क्षेत्र में बेहतर संभावनाएं है तो वह मछलीपालन के कार्य में है। जिला जहां एक ओर कृषि प्रधान है और सर्वाधिक धान की पैदावार करता है तो वहीं दूसरी ओर जिले में सर्वाधिक तालाब, डबरियां भी हैं। इनमें मछवारा समितियों, स्व सहायता समूहों को जोड़कर मछलीपालन के क्षेत्र में आगे बढ़ाया जा रहा है। जिला पंचायत मुख्य कार्यपालन अधिकारी डॉ. फरिहा आलम ने बताया कि गौठानों में आजीविका गतिविधियों के संचालन को लेकर लगातार कार्य किया जा रहा है। मुर्गीपालन, बकरीपालन के साथ ही समूहों को सब्जी-बाडी के साथ मनरेगा के माध्यम से बनाए गए तालाब, डबरी में मछलीपालन का कार्य कराया जा रहा है। जहां महात्मा गांधी नरेगा के माध्यम से तालाब, डबरी का निर्माण किया जा रहा तो वहीं दूसरी ओर एनआरएलएम के माध्यम से समूहों को लाभ दिया जा रहा है। मछली पालन विभाग से स्पान एवं आवश्यक सुविधाएं, तकनीकी मार्गदशन दिया जा रहा है। शासन की योजनाओं का लाभ संयुक्त रूप से मछलीपालन करने वालों को मिल रहा है। यही कारण है कि मछलीपालन से ग्रामीण जुड़ रहे हैं।
विभाग से दिया जा रहा है सहयोग
मछली पालन विभाग सहायक संचालक एस.एस. कंवर ने बताया कि जिले में गौठानों में बनाए गए तालाब, डबरी में जिला खनिज संस्थान न्याय एवं विभागीय योजना के माध्यम से वर्तमान में 150 तालाब, डबरी में 125 लाख स्पान मत्स्य बीज एवं 11 लाख फंगरलिंग मत्स्य बीज संचयन किया गया है, जिसमें उच्च प्रजाति जैसे कतला, रोहू, मृगल मत्स्य बीज का संचयन करते हुए कार्य प्रगति पर है। उन्होंने बताया कि मछली पालन के कार्य से जलक्षेत्र का सदुपयोग होगा, पौष्टिक आहार ग्रामीणों सहित शहरी क्षेत्रों के लिए प्राप्त हो रहा। इस कार्य से समितियों, समूहों को रोजगार से आय प्राप्त हो रही है।
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