बलौदाबाजार, 20 सितंबर । उम्र बढ़ने के साथ ही तमाम तरह की बीमारियां शरीर को निशाना बनाना शुरू कर देती हैं। उम्र बढ़ने के दौरान ही मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं भी होने लगती हैं। इन्हीं में से एक प्रमुख बीमारी है बुजुर्गों में भूलने की आदत यानि अल्जाइमर्स- डिमेंशिया है। छोटी छोटी बातों को भूलने को लोग सामान्य समस्या मानकर नजरअंदाज कर देते
हैं। लेकिन मनोविशेषज्ञों का कहना है यदि किसी भी व्यक्ति के साथ ऐसा होता है तो, उन्हें फौरन मनोचिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए।
जिले में भी प्रतिमाह औसतन 3 से 4 भूलने की आदत से ग्रसित मरीजों का इलाज किया जाता है। इस संबंध में सीएमएचओ डॉ.एम. पी. माहेश्वर ने बताया:” शारीरिक रूप से स्वस्थ रहने के साथ ही मानसिक रूप से अपने आप को स्वस्थ रखना जरूरी है। इसलिए यदि कोई वस्तु कहीं रखकर भूल जाना, छोटी बातें भी याद नहीं रहती हैं तो उन्हें चिकित्सकीय परामर्श लेना चाहिए।
जागरूकता से ही इस बीमारी पर नियंत्रण कर सकते हैं। लोगों को इस बीमारी से बचाकर उनके जीवन में खुशियां लाने के उद्देश्य से 21 सितंबर को विश्व अल्जाइमर दिवस मनाया जाता है। दिवस की शुरुआत 21 सितंबर 1994 को एडिनबर्घ (Edinburgh) में एडीआई (ADI’s) के वार्षिक सम्मेलन के उद्घाटन के अवसर पर की गई थी। जिले में मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत हर तरह की मानसिक समस्याओं से ग्रसित लोगों का उपचार किया जाता है।“ इस संबंध में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरो साइंसेज (निमहांस) द्वारा प्रशिक्षित मनोचिकित्सक डॉ. राकेश कुमार प्रेमी ने बताया: “आम तौर पर अल्जाइमर बीमारी वृद्धावस्था में होती है यानि यह 60 साल से अधिक उम्र के लोगों को ज्यादा प्रभावित करता है। जागरूकता के अभाव में अधिकतर लोग मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं को अनदेखा कर देते हैं। अगर सही समय पर मानसिक समस्याओं का उपचार न किया जाए तो शारीरिक स्वास्थ्य पर भी इसका नकारात्मक असर पड़ता है। अल्जाइमर दिमाग के विकार का रूप लेता है और याददाश्त को खत्म करता है।“
उन्होंने आगे बताया: “जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत स्पर्श क्लिनिक के माध्यम से मानसिक समस्याओं का निदान किया जा रहा है। प्रतिमाह 3-4 मरीज अस्पताल आते हैं जिन्हें भूलने की शिकायत होती है। उन मरीजों को दिमाग की कोशिकाओं को संतुलित करने के लिए दवाएं दी जाती हैं। साथ ही उन्हें और उनके परिजनों को काउंसिलिंग भी की जाती है।
दवाओं के सेवन और काउंसिलिंग से रोगियों की याददाश्त और उसकी सूझबूझ में सुधार हो सकता है।”
दिखे यह लक्षण तो फौरन करें चिकित्सक से संपर्क – मनोचिकित्सकों के अनुसार अवसाद, तनाव की वजह से भी लोग चीजें भूलने लगते हैं या उन्हें भूलने की बीमारी घेर लेती है। कमजोर याददाश्त की वजह से लोगों से घुलने मिलने में परेशानी होना, नींद न आना, आंखों की रोशनी कम होना, सोचने और निर्णय लेने की क्षमता प्रभावित होना, अचानक डर जाना, तनाव
में और एकांत में रहना, बार-बार बातों और प्रश्नों को दोहराने की आदत, रोजमर्रा की वस्तुएं भी रखकर भूलना, गुस्सा करना आदि लक्षण दिखे तो फौरन चिकित्सकीय परामर्श लेना चाहिए। नजदीकी स्पर्श क्लिनिक में सम्पर्क किया जा सकता है। नियमित रूप से व्यायाम करने, पोषणयुक्त आहार लेने, सकारात्मक रहने, लोगों से मिलने- जुलने, किताब पढ़ने, संगीत सुनने से इस बीमारी पर काबू पाया जा सकता है।
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