छत्तीसगढ़ में परिवार नियोजन में पुरुषों की सहभागिता बढ़ी

रायपुर, 17 सितंबर। परिवार नियोजन सेवाओं के बारे में लोगों में जागरुकता का प्रसार करने सरकार और स्वास्थ्य विभाग द्वारा लगातार पहल की जा रही है। परिवार नियोजन से जुड़ी भ्रांतियों को भी दूर किया जाना जरूरी है।परिवार नियोजन के स्थाई साधन के रूप में महिला नसबंदी की अपेक्षा पुरुष नसबंदी अत्यधिक सरल और सुरक्षित है।

दो बच्चों के जन्म के बीच पर्याप्त अंतर रखने और जब तक बच्चा न चाहें तब तक पुरुष परिवार नियोजन के अस्थाई साधन के तौर पर कंडोम का उपयोग कर सकते हैं। परिवार पूरा होने पर परिवार नियोजन के स्थाई साधन नसबंदी को अपनाकर पुरुष अपनी अहम जिम्मेदारी निभा सकते हैं। परिवार नियोजन में पुरुषों की भागीदारी बढा़ने के लिए ज़रूरी है कि पति-पत्नी आपस में बात करें और नजदीकी शासकीय स्वास्थ्य केन्द्र में जाएं। वहां डॉक्टर से मिलकर परिवार नियोजन के विभिन्न उपायों के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

राज्य शासन के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग में परिवार कल्याण के उप संचालक डॉ. टी.के. टोंडर ने बताया कि पुरूष नसबंदी को लेकर कुछ भ्रांतियां हैं। कुछ लोगों का यह मानना है कि पुरुष नसबंदी से शारीरिक कमजोरी आती है। यह बिल्कुल गलत धारणा है। महिला नसबंदी की तुलना में पुरुष नसबंदी अधिक सरल व सुरक्षित है। पुरुष नसबंदी चंद मिनट में होने वाली एक आसान प्रक्रिया है। यह 99.9 फीसदी प्रभावी है। नसबंदी के तीन माह बाद वीर्य की जांच की जाती है। जांच में शुक्राणु शून्य पाए जाने की दशा में ही नसबंदी को सफल माना जाता है।

राज्य में सबसे ज्यादा पुरुष नसबंदी कर चुके सर्जन डॉ. संजय नवल कहते है कि पुरुष नसबंदी जन्म दर को रोकने का एक स्थायी, प्रभावी और सुविधाजनक उपाय है। यह यौन जीवन को बेहतर बनाता है और गर्भ ठहरने की मानसिक चिंता को दूर करता है। पुरुष नसबंदी एक सामान्य प्रक्रिया है जो शासकीय चिकित्सालयों में निःशुल्क की जाती है। पुरुषों के अंडकोष में एक नलिका होती है जो अंडकोष से शुक्राणु को मूत्रमार्ग तक ले जाने का कार्य करती है। इस मार्ग को रोकने के लिए नसबंदी की प्रक्रिया की जाती है। डॉ. नवल बताते हैं, ‘’पुरुष नसबंदी और स्त्री नसबंदी में किसी एक को चुनना हो तो पुरुष नसबंदी को चुनना बेहतर होगा। पुरुष नसबंदी के लिए अस्पताल में भर्ती होने की भी जरूरत नहीं होती।‘’

परिवार कल्याण के उप संचालक डॉ. टीके टोंडर ने बताया कि नसबंदी करवाने पर पुरुष लाभार्थी को तीन हजार रुपये दिया जाता है जो उसके बैंक खाते में जमा होता है। नसबंदी के लिए चार पात्रताएं प्रमुख हैं – पुरुष विवाहित होना चाहिए, उसकी आयु 60 वर्ष या उससे कम हो और दंपति के पास कम से कम एक बच्चा हो जिसकी उम्र एक वर्ष से अधिक हो। पति या पत्नी में से किसी एक की ही नसबंदी होती है। कोई अशासकीय सेवक, मितानिन, एएनएम या आंगनबाड़ी कार्यकर्ता यदि पुरुष नसबंदी के लिए प्रेरक की भूमिका निभाते हैं तो उन्हें भी 400 रुपये देने का प्रावधान है।

राज्य में पुरुष नसबंदी की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है। वित्तीय वर्ष 2020-21 में 2826 पुरुषों ने नसबंदी करवाई है। वहीं 2021-22 में 4429 पुरुषों ने नसबंदी करवाई। प्रदेश में परिवार नियोजन के अस्थाई साधन अपनाने वाले पुरुषों की संख्या भी बढ़ रही है। वर्ष 2020-21 में 50 लाख 87 हजार कंडोम का उपयोग हुआ जो 2021-22 में बढ़कर 57 लाख 35 हजार तक पहुंच गई है।

नसबंदी के विफल होने पर 60 हजार रुपये की धनराशि दी जाती है। नसबंदी के बाद सात दिनों के अंदर मृत्यु हो जाने पर चार लाख रुपये की धनराशि दी जाती है। नसबंदी के आठ से 30 दिन के अंदर मृत्यु हो जाने पर एक लाख रुपये की धनराशि दिए जाने का प्रावधान है। नसबंदी के बाद 60 दिनों के अंदर जटिलता पैदा होने पर इलाज के लिए 50 हजार रुपए तक की धनराशि दी जाती है।