बस्तर अंचल में मलेरिया दर मात्र 0.97प्रतिशत, 80 प्रतिशत लोगों में खून की कमी -टी एस सिंहदेव

रायपुर, 17 सितंबर।स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री टी.एस. सिंहदेव ने संभागीय मुख्यालय जगदलपुर के शासकीय मेडिकल कॉलेज में बस्तर संभाग के सभी जिलों के अधिकारियों की बैठक लेकर स्वास्थ्य सेवाओं की समीक्षा की।स्वास्थ्य मंत्री ने बैठक में कहा कि बस्तर अंचल में विपरीत परिस्थितियों के बीच भी स्वास्थ्य विभाग द्वारा कई उल्लेखनीय कार्य किए गए हैं। इसके लिए सभी अधिकारी-कर्मचारी बधाई के पात्र हैं। उन्होंने कहा कि चीन जैसे देश में मलेरिया पर नियंत्रण के लिए 30 साल लगे, वहीं बस्तर में छह चरणों में ही मलेरिया पर अच्छा नियंत्रण प्राप्त कर लिया गया है। यहां अब इसकी दर मात्र 0.97 रह गई है।उन्होंने बताया कि कहना है कि, बस्तर के 80 प्रतिशत लोगों में खून की कमी है। यह आंकड़ा चिंता का विषय है। छत्तीसगढ़ में बस्तर पहला ऐसा इलाका है जहां के ऐसे हालात हैं।

शुक्रवार को जगदलपुर पहुंचे टीएस सिंहदेव ने स्वास्थ्य सुविधाओं को अधिकारियों के साथ बैठक की और मीडिया से भी चर्चा की ।उन्होंने बताया कि कहना है कि, बस्तर के 80 प्रतिशत लोगों में खून की कमी है। यह आंकड़ा चिंता का विषय है। छत्तीसगढ़ में बस्तर पहला ऐसा इलाका है जहां के ऐसे हालात हैं।

स्वास्थ्य मंत्री ने मीडिया के सामने एक रिपोर्ट दिखाई, जिसमें उन्होंने बताया कि सुकमा जिले के रेगड़गट्टा में अलग-अलग बीमारियों से ग्रामीणों की मौत हुई है। 4 सालों में 54 लोगों के मौत की जानकारी दी गई है। जिसमें 2019 में 7, 2020 में 16, 2021 में 9 और 2022 में 22 लोगों की मौत का आंकड़ा है। साल 2020 और 2022 में मृत्युदर सामान्य से ज्यादा है।

स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने बताया कि, पूरे छत्तीसगढ़ में सबसे दूरस्थ अंचल में बस्तर के गांव बसे हुए हैं। पूरे बस्तर में गांव से लेकर शहर तक की 80 प्रतिशत की आबादी में खून की कमी है। उन्हें एनीमिया है। मंत्री ने कहा कि, शरीर में 11 ग्राम से नीचे खून का होना चिंताजनक है। डॉक्टर्स भी यह मानते हैं कि शरीर में यदि 6 ग्राम के नीचे खून है तो वह घातक है। उन्होंने कहा कि, मैं जगदलपुर के एक अस्पताल गया था। वहां एनीमिया पीड़ित एक बच्चा भर्ती था। जिसके शरीर में केवल 2 ग्राम ही खून था। बस्तर में ऐसे कई केस हैं।स्वास्थ्य मंत्री का कहना है कि, हर 3 से 4 सालों में नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे होता है। यह आंकड़ा उसमें भी दर्ज है।

उन्होंने कहा कि सरकार की तरफ से कोशिश रहेगी की आंगनबाड़ी केंद्रों में, सरकारी राशन दुकानों में मिलने वाले चावल में कुछ ऐसे पोषक तत्व शामिल किए जाएं, जिनमें ज्यादा से ज्यादा पौष्टिक आहार हों। जिससे लोगों में हीमोग्लोबिन की मात्रा 11 से नीचे न हों। श्री सिंहदेव ने वेक्टर जनित डेंगू और जैपनीज इन्सेफिलाइटिस के मामलों की भी समीक्षा की। उन्होंने कोरोना की जांच में किसी भी प्रकार की ढील नहीं लाने के लिए निर्देशित किया। उन्होंने टीबी के मरीजों की पहचान के लिए भी अधिक से अधिक जांच करने के निर्देश दिए।

श्री सिंहदेव ने बस्तर संभाग के सभी जिला अस्पतालों में ओपीडी, आईपीडी एवं डायलिसिस सुविधाओं की भी समीक्षा की।बैठक में संचालक स्वास्थ्य सेवाएं भीम सिंह, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के संचालकविलास संदीपन भोसकर और सीजीएमएससी के प्रबंध संचालक अभिजीत सिंह सहित जगदलपुर मेडिकल कॉलेज तथा बस्तर संभाग के सभी जिलों के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी उपस्थित रहे ।