नईदिल्ली I नामीबिया से 8 चीतों को लेकर बोइंग का स्पेशल विमान भारत पहुंच चुका है. विमान सुबह लगभग 5 से 6 बजे के बीच ग्वालियर के महाराजपुरा एयरबेस पहुंचा. इसके बाद इन चीतों को हेलीकॉप्टर से कुनो नेशनल पार्क शिफ्ट किया गया. भारत लाए गए चीतों में से पांचों मादा की उम्र दो से पांच साल के बीच, जबकि नर चीतों की उम्र 4.5 साल से 5.5 साल के बीच है. बता दें कि कुनो नेशनल पार्क श्योपुर जिले में स्थित है, जो ग्वालियर से लगभग 165 किलोमीटर दूर है. इन चीतों को नामीबिया से बेहोश कर लाया गया है.
भारत लाने से पहले नामीबिया के जंगलों में इन चीतों को ट्रेंकुलाइज किया गया. बेहोशी का इंजेक्शन दिया गया. इसके बाद इन चीतों का परीक्षण किया गया कि वे बेहोश हुए या नहीं. बेहोश करने के बाद सभी चीतों को फॉरेस्ट हॉस्पिटल लाया गया, जहां वेटनरी डॉक्टरों की टीम ने चीतों का मेडिकल टेस्ट किया. आखों पर पट्टी बांधा गया. भारत रवाना करने से पहले सभी चीतों का फिटनेस चेक किया गया. फिट पाने के बाद हर चीते की गर्दन में सैटेलाइट-जीपीएस-वीएचएफ रेडियो कॉलर लगाया गया. यह इसलिए क्योंकि भविष्य में हर चीते की पहचान की जा सके. इसके बाद इन चीतों को बोइंग के स्पेशल विमान में चढ़ाया गया.
क्रेट्स के अंदर विशेष व्यवस्था
इन सभी चीतों को बड़े ही संजीदगी के साथ भारत लाया गया है. ये सभी चीते अलग-अलग प्रकार के क्रेट्स में नामीबिया से भारत लाए गए हैं. क्रेट्स में कई छेद थे , जिससे कि हाव की आवाजाही हो सके. क्रेट्स के अंदर वो हर व्यवस्था की गई थी, जिससे चीते को किसी भी तरह का परेशानी न हो. क्रेट्स के अंदर रबर के मैट का इस्तेमाल किया गया था.
11 घंटे तक विशेष विमान में सफर किए ये चीते
क्रेट्स की लंबाई और चौड़ाई का भी ख्याल रखा गया था ताकि चीते लेट सकें या फिर खड़े हो सकें. बता दें कि पूरे सफर के दौरान इन चीतों को भूखा रखा गया ताकि फ्लाइट में इनकी तबीयत ना खराब हो जाए. करीब 11 घंटे तक विशेष विमान में ये चीते सफर किए . बोइंग विशेष विमान 16 घंटे तक लगातार उड़ान भरने में सक्षम है और हवा में ही इसमें ईंधन भरा जा सकता है.
गौरतलब है कि देश में अंतिम चीते की मौत 1947 में कोरिया जिले में हुई थी, जो छत्तीसगढ़ में स्थित है. चीते को 1952 में भारत में विलुप्त घोषित किया गया था. ‘अफ्रीकन चीता इंट्रोडक्शन प्रोजेक्ट इन इंडिया’ 2009 में शुरू हुआ था और इसने हाल के कुछ वर्षों में गति पकड़ी है. भारत ने चीतों के आयात के लिए नामीबिया सरकार के साथ समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किया था.
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