नियमों को ताक में रखकर बीएमओ के शासकीय निवास पर संचालित हो रही क्लीनिक…

रायगढ़ ,13सितम्बर। सारंगढ़ खंड चिकित्सा अधिकारी डॉ.आर.एल.सिदार (बीएमओ) द्वारा अपने शासकीय निवास पर लगभग विगत 10 वर्षों से निजी क्लीनिक का संचालन किया जा रहा है। क्लीनिक आने वाले ग्रामीणों से मोटी फीस भी वसूली जाती है, भारी भरकम फीस देने के बावजूद भी मरीजों को उचित और योग्य स्वास्थ्य सुविधा मुहैया नहीं कराई जा रही। सारंगढ़ बीएमओ डॉ. आर. एल. सिदार द्वारा नियम कायदों को ताक में रखते हुए अपने निजी क्लीनिक में दो असिस्टेंट रखा गया है। इन दोनों क्लीनिक के कर्मचारियों की ना तो कोई योग्यता है और ना ही कोई डिग्री या डिप्लोमा, क्लीनिक में कार्यरत इन अकुशल असिस्टेंट को अगर झोलाछाप कहें तो आप को समझने में भी सटीक हुआ है। योग्यता न होने के बावजूद इन अकुशल कर्मचारियों के द्वारा क्लीनिक में आए पीड़ित मरीजों का बकायदा चेकअप के बाद इंजेक्शन लगाना, बोतल चढ़ाना, फोड़ा फुंसी ऑपरेशन एवं अन्य शल्य चिकित्सा एमबीबीएस डॉक्टर की भांति करते हैं। इन अयोग्य असिस्टेंट के द्वारा ग्रामीण मरीजों की जान से खिलवाड़ की आ रही है! जोकि नर्सिंग होम एक्ट का खुला उल्लंघन है।

खंड चिकित्सा अधिकारी सारंगढ़ डॉ.आर. एल. सिदार को रहने के लिए सरकारी निवास जारी हुआ है, जहां लगभग पिछले एक दशक से शासकीय निवास में ही क्लीनिक का संचालन किया जा रहा है। नर्सिंग होम एक्ट के नियम कायदों को ताक पर रखकर बीएमओ डॉ.आर. एल.सिदार द्वारा अपने निजी क्लीनिक में दो अयोग्य अस्सिटेंस भी हुए रखे है, जिनकी बदौलत अच्छी-खासी कमाई कर लेते है। बीएमओ डॉ.सिदार के क्लीनिक और हॉस्पिटल चंद कदमों के फासले पर है जिसे मिनटों में तय किया जा सकता है, शायद इसी का अनुचित लाभ उठाते हुए क्लीनिक संचालित कर खूब कमाई करने में लगे हुए है।

सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र की स्थिति बदहाल
सारंगढ़ के कुछ स्थानीय निवासी और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र इलाज के लिए आए कुछ ग्रामीणों ने बीएमओ डॉ सिदार पर यह भी आरोप लगाया है कि बीएमओ क्लीनिक में कमाई करने में लगे रहते हैं। शासन द्वारा स्वास्थ्य केंद्र और डॉक्टरों के ऊपर प्रत्येक महीने लाखों रुपए खर्च करने के बावजूद ग्रामीणों को शासन की स्वास्थ्य सुविधा का सही लाभ नहीं मिल पा रहा। भारी भरकम तन को लेने वाले सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के खंड चिकित्सा अधिकारी ड्यूटी के समय में भी स्वास्थ्य केंद्र में कुछ समय रहने के बाद वापस अपने क्लीनिक को चले जाते हैं, मजबूरी में पीड़ित और बीमार लोग बेहतर इलाज और स्वस्थ होने की आस लेकर भारी भरकम फीस देकर बीएमओ के निजी क्लीनिक में इलाज करवाने को मजबूर हैं। मरीजो का सरकारी स्वास्थ्य केंद्र में इलाज किया जाता तो फीस नही देना पड़ेगा। जबकि सरकार द्वारा जहां आम जनता की स्वास्थ्य सुविधा के लिए लाखों रुपये खर्च कर रहा है, डॉक्टरों को लाखों रुपए तनख्वाह दिया जा रहा है। बावजूद उस हॉस्पिटल का हाल बद से भी बदतर है! जहाँ कई बड़े एम बी.बी.एस डॉ व कर्मचारियों के रहते हुए भी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सारंगढ़ में अव्यवस्थाओं का अंबार है।यह सब स्थिति देखते हुए भी “मजाल है किसी भी आला अधिकारी बीएमओ डॉ.आर. एल. सिदार को कुछ बोल दे” सारँगढ़ समुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पूरी तरह से बदहाल है जिसकी प्रमुख वजह जिम्मेदार अधिकारी का निजी क्लीनिक में व्यस्त रहना है।

गौरतलब हो कि उपरोक्त मामले को लेकर जब हमने सारंगढ़ के खंड चिकित्सा अधिकारी डॉ.सिदार को फोन कर उनका पक्ष जानना चाहा तो उनके द्वारा यह स्वीकार किया गया कि शासकीय निवास में  निजी क्लीनिक का संचालन किया जाता है जो कि स्वास्थ्य विभाग में रजिस्टर्ड है, आगे कहा कि ड्यूटी के समय पर सरकारी अस्पताल में में रहता हूं और ड्यूटी के समय के बाद ही अपने क्लीनिक पर रहता हूं तथा यह भी कबूल किया कि दिन भर उनकी क्लीनिक संचालित होती है। बीएमओ ने आगे बताया कि क्लीनिक में 2 असिस्टेंट रखे हैं जो मेरे मार्गदर्शन में मरीजों का इलाज करते हैं, मतलब ड्यूटी के समय पर फोन के माध्यम से असिस्टेंट का मार्गदर्शन करने पर मरीजों का ट्रीटमेंट किया जाता है। आगे हम ने जैसे ही इन दोनों कर्मचारियों की योग्यता और अनुभव के संबंध में पूछा तो बीएमओ डॉ. आर. एल.सिदार घिग्घी बंध गई, हलक से आवाज निकलना बंद हो गई। हेलो हेलो करने के बाद भी कोई उत्तर ना देते हुए फोन काट दी गई, बीएमओ से बातचीत के कुछ अंश रिकॉर्डिंग के रूप में सुरक्षित हैं। हमारे द्वारा फिर से फोन लगाने पर रिसीव नहीं की गई तथा लगातार कई बार फोन करने के बाद भी फोन नहीं उठाया गया, अधिकारी की व्यस्त समय को देखते हुए हमने 24 घंटा इंतजार भी किया और इस दौरान 15 से 20 मर्तबा उनको फोन भी कर बात करने का प्रयास किया मगर उनके द्वारा फोन नहीं उठाया गया। हमारे द्वारा सारंगढ़ बीएमओ को व्हाट्सएप पर भी मैसेज भेज कर उनका पक्ष जानने का प्रयास किया मगर ना तो वह फोन उठाएं और ना ही वापस कॉल किया। इसी दौरान हमने रायगढ़ जिला के मुख्य चिकित्सा अधिकारी सीएचएमओ से संपर्क कर पुरे मामले की जानकारी दी जिसे सीएचएमओ ने अवैधानिक कृत्य बताया।

वर्जन : एस.एन. केशरी
खंड चिकित्सा अधिकारी को रजिस्टर्ड निजी क्लीनिक संचालन का अनुमति है मगर ड्यूटी के समय में क्लीनिक संचालन नहीं कर सकते तथा उनकी अनुपस्थिति में कोई एमबीबीएस डॉक्टर ही क्लीनिक में मरीजों का इलाज कर सकता है। अगर उनकी अनुपस्थिति में कंपाउंडर द्वारा इंजेक्शन बोतल चढ़ना या और नेगेटिव शल्य चिकित्सा की जाती है तो अवैधानिक कृत्य है, शिकायत मिलने पर कार्यवाही की जावेगी।

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