0.चंद दिनों में हुए खराब,शहर से गांव तक कोरबा के छात्रावासी बच्चे कुएं बोरवेल का पानी पीने मजबूर ,जिम्म्मेदार मौन
कोरबा,12 सितम्बर (वेदांत समाचार)।आदिवासी बाहुल्य कोरबा जिले में आदिवासी विकास विभाग की कार्यशैली एक बार फिर सुर्खियों में है। जिला खनिज संस्थान न्यास से करोड़ों रुपए की आरओ प्लस यूवी टेक्नोलॉजी युक्त वॉटर प्यूरिफिकेशन सिस्टम चंद महीनों में खराब हो गए। शहर से लेकर गांव के छात्रावासों में प्रदाय किये गए वाटर प्यूरिफिकेशन सिस्टम भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया। बेहद खराब गुणवत्ता वाले मशीनों की आपूर्ति कर न केवल शासन के पैसों की बर्बादी कर दी गई वरन जिला मुख्यालय में बैठे आला अधिकारी गारंटी अवधि होने के बाद भी फर्म से करोड़ों की मशीन का सुधार नहीं कर सके। जिसकी वजह से आकांक्षी जिला कोरबा के बच्चे बोरवेल व कुएं का पानी पीने मजबूर हैं।
यहां बताना होगा कि आदिवासी विकास विभाग के माध्यम से जिले में 176 से अधिक आश्रम छात्रावासों का संचालन किया जा रहा है।शासन प्रशासन छात्रावासी बच्चों की सुविधाओं में हर साल बढोत्तरी कर रही है। ताकि वे स्वस्थ रहकर मन लगाकर विद्यार्जन कर सकें। इसी कड़ी में गत वर्ष बिजली पानी की सुविधा वाले अधिकांश आश्रम छात्रावासों में जिला खनिज संस्थान न्यास मद से आरओ प्लस यूवी टेक्नोलॉजी युक्त वॉटर प्यूरिफिकेशन सिस्टम की आपूर्ति की गई थी। प्रत्येक उपकरण के पीछे लाखों रुपए खर्च किए गए थे। ताकि बच्चों को शुद्ध पानी मिल सके। लेकिन उपकरण प्रदाय करने वाले फर्म ने अधिकारियों के साथ मिलीभगत कर ऐसी गुणवत्ताहीन आरओ प्लस यूवी टेक्नोलॉजी युक्त वॉटर प्यूरिफिकेशन सिस्टम की आपूर्ति किया कि वे माह भर भी सुचारू रूप से संचालित नहीं हो सके। शहर से लेकर ग्रामीण अंचलों के आश्रम छात्रावासों में प्रदाय किए गए वॉटर प्यूरिफिकेशन सिस्टम खराब पड़े हैं। जिसकी सुधार को लेकर अफसरों ने कोई संजीदगी नहीं दिखाई । आलम यह है कि बच्चे या तो बोरवेल या फिर नल का पानी पीने मजबूर हैं।फर्म ने अफसरों के साथ मिलीभगत कर शुद्ध पानी देने की शासन की मंशा पर पानी फेर दिया। प्रकरण में पूर्व अनुभवों (कॉल रिसीव नहीं करने)के कारण सहायक आयुक्त आदिवासी विकास विभाग से पक्ष लेना मुनासिब नहीं समझा गया।
कलेक्टोरेट से महज 5 किमी के अंदर संचालित सभी हॉस्टलों के वॉटर प्यूरिफिकेशन सिस्टम खराब ,सुध लेने की अफसरों को फुर्सत तक नहीं
मिल रही सूचनाओं के आधार पर शहर में संचालित छात्रावासों में जाकर प्रदाय किए गए वॉटर प्यूरिफिकेशन सिस्टम का जायजा लिया। जहां बुधवारी में संचालित दोनों प्री एवं पोस्ट मैट्रिक अनुसूचित जाति,जनजाति बालक छात्रावासों में उपकरण खराब मिले। अन्य हॉस्टलों का भी कमोबेश यही हाल रहा। यही नहीं ग्रामीण अंचल के छात्रावासों कोरकोमा ,भैसमा ,श्यांग ,मदनपुर , हरदीबाजार ,पाली , चैतमा ,पसान सहित अन्य हॉस्टलों में प्रदाय किए गए वॉटर प्यूरिफिकेशन सिस्टम खराब होने की सूचना विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त हुई है। हैरानी की बात तो यह है कि शहर में संचालित सभी छात्रावास कलेक्टोरेट से महज 5 किलोमीटर के भीतर संचालित हैं। बावजूद इसके जिले के मुखिया कलेक्टर से लेकर विभाग के अधिकारियों का सुध नहीं लेना समझ से परे है।जब शहर में यह हाल है तो ग्रामीण क्षेत्रों में संचालित छात्रावासों का क्या हाल होगा सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है। अधिकारियों का ऐसा रवैय्या गुणवत्ताहीन उपकरण प्रदान कर डीएमफ के करोड़ों रुपए बर्बाद करने वाले फर्म का हौसला बढ़ा रहा।
ग्रामीण अंचलों में भी बुरा हाल ,करतला में खराब तो कुदमुरा में इंस्टाल तक नहीं हुआ ,कुएं का पानी पी रहे बच्चे
बात करें ग्रामीण अंचलों की पड़ताल में जहां पोस्ट मैट्रिक आदिवासी बालक छात्रावास करतला में प्रदाय किए गए जहां वॉटर प्यूरिफिकेशन सिस्टम खराब मिला तो वहीं कुदमुरा में इंस्टाल तक नहीं हुआ था। कुदमुरा में बोरवेल फेल होने के बाद हॉस्टल की ओर से अधिकारियों को सूचना देने के बाद भी आज पर्यन्त बोरवेल नहीं लगा। जिसकी वजह से जहां लाखों के वॉटर प्यूरिफिकेशन सिस्टम शो पीस बनकर रखा हुआ है वहीं बच्चे कुंए का पानी पीने मजबूर हैं। यहां 5 वर्ष पूर्व 2017 -18 में 29 लाख की लागत से रेनोवेशन का कार्य कराया गया था। लेकिन तत्कालीन समयावधि में इस कार्य मे किस कदर खानापूर्ति बरती गई इसका नजार हॉस्टल में देखा जा सकता है। स्वयं स्टॉफ ने बताया कि भवन में सीपेज होता है ,फर्श उखड़ रहे , टॉयलेट की स्थिति भी दयनीय है।
तो क्या महज कमीशन के लिए की जा रही खरीदी
आदिवासी विकास विभाग द्वारा छात्रावासों में प्रदाय किए गए आरओ प्लस यूवी टेक्नोलॉजी युक्त वॉटर प्यूरिफिकेशन सिस्टम की गुणवत्ता पर ही नहीं विभाग द्वारा प्रदाय किए गए अन्य सामग्री की गुणवत्ता पर भी सवाल उठ रहे। गत वर्ष आश्रम छात्रावासों में करोड़ों रुपए की लागत से प्रदाय किए गए इन्वर्टर सिस्टम के खराब होने की सूचना भी स्वयं अधीक्षकों ने नाम न छापने की शर्त पर बताई है। उन्होंने बताया है कि अधिकारियों के कोपभाजन से बचने भले उन्होंने इसकी सामने आकर शिकायत नहीं कि लेकिन खुद के खर्चों से इसका सुधार कराया। जिसकी राशि आज पर्यन्त नहीं मिली। एक साल में आश्रम छात्रावासों में क्रिकेट कीट ,सहित अन्य सामाग्री भी प्रदाय किए गए हैं। ये सभी सामग्री डीएमफ से क्रय किए गए हैं। बताया जा रहा है इसकी भी गुणवत्ता एवं उपयोगिता संदेह के दायरे में है। विश्वस्त सूत्रों की मानें तो सिर्फ कमीशन के लिए डीएमफ की राशि की बर्बादी की जा रही । जिसमें विपक्ष की खामोशी से अफसरों को बल मिल रहा।
जल्द आने वाले हैं सीएम ,उठेगा सवाल
नवीन जिलों के उद्घाटन के बाद जल्द ही मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का कोरबा आगमन हो सकता है। इसकी अनाधिकृत सूचना अभी से आने लगी है । लिहाजा प्रशासन भी अलर्ट व एक्शन मोड़ पर है। लापरवाह ,गैर जिम्म्मेदार अफसरों पर गाज भी गिर रही है ताकि प्रशासन की सीएम के समक्ष फजीहत न हो। लेकिन शिक्षा एवं आदिवासी विकास विभाग जैसे महत्वपूर्ण विभागों की गम्भीर शिकायतें जिला प्रशासन की मुसीबतें बढ़ा सकती है। जिले के मुखिया तेज तर्रार एवं साफ छवि के हैं ऐसे में आशा की जा सकती है कि इस प्रकरण में जिम्म्मेदारों पर जल्द कार्रवाई की गाज गिरेगी।
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