छत्तीसगढ़ के इस मार्ग में मिलती है यमराज के यहां जाने की फ्री लायसेंस ,पलटा मालवाहक वाहन, बढ़ी मुसाफिरों की मुसीबतें ….

जशपुर,12 सितम्बर (वेदांत समाचार)। आदिवासी बाहुल्य जिला जशपुर की प्रमुख सड़कें सिस्टम की उदासीनता की वजह से सिसक रही हैं। पत्थलगांव से अम्बिकापुर राष्ट्रीय राजमार्ग का अधूरा हिस्सा कीचड़ से सराबोर जानलेवा गढ्ढों में तब्दील हो चुका है। जहाँ पत्थलगांव से महज 2 किमी की दूरी पर रविवार को एमपी की एक अनाज वाली मालवाहक वाहन अनियंत्रित होकर पलट गया। जिसकी वजह से न सिर्फ ड्राईवर ,वाहन मालिक वरन आवागमन करने वाले अन्य वाहन चालकों को मुसीबतों का सामना करना पड़ा।रविवार की दोपहर 3 बजे जब यह हादसा हुआ तो हसदेव एक्सप्रेस की टीम उसी वाहन के पीछे पीछे आ रहा था। वाहन क्रमांक MP -21 ,H-0488 की गुड्स वाहन गढ्ढों एवं कीचड़ की वजह से अनियंत्रित होकर पलट गई। हादसे का सुखद पहलू यह रहा कि ड्राईवर की जान बच गई ,पर चोट लगने के बावजूद भूखा प्यासा ड्राईवर वाहन पलटने की वजह से मालिक की लताड़ सुन रहा था।

इधर वाहन पलटने के कारण अन्य वाहन चालकों को परेशानी से जूझना पड़ रहा था। ट्रक का सामान (बोरी में बंद अनाज ) भी गिर गया था। यह हादसा महज एक दुःखद संयोग नहीं है जर्जर बेहाल सड़कों की जिला प्रशासन शासन द्वारा सुध नहीं लेने की वजह से जशपुर से पत्थलगांव तक यहां के बाशिंदों को जर्जर सड़कों से जूझना पड़ता है। रही बात पड़ोसी जिले रायगढ़ की तो यहाँ की सड़कें मानों यमराज के यहां जाने का फ्री लायसेंस दे रही हैं। पत्थलगांव से हाटी तक की सड़कें गढ्ढों में गुम हो गई हैं। जिसकी वजह से न केवल हाल ही में व्यापारी आम जनता को सड़क के सड़क पर उतरकर आंदोलन कर शासन प्रशासन को जगाना पड़ा था।

वरन भेंट मुलाकात कार्यक्रम में पहुंचे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के समक्ष भी यह समस्या प्रमुखता से रखी गई थी। जिसके बाद आम जनता की समस्याओं के त्वरित निराकरण के लिए बेहद संवेदनशील कलेक्टर रानु साहू ने सड़क निर्माण से जुड़े विभागों के अधिकारियों की बैठक लेकर जर्जर सड़क की तत्काल मरम्मत कराए जाने की दिशा में प्राथमिकता से कार्य करने के निर्देश दिए हैं। रायगढ़ जिले की सड़कें तो तेज तर्रार मुखिया के मिलने से आज नहीं तो कल संवर ही जाएंगी। जशपुर जिले की सड़कें कब सुधरेंगी यह तो समय ही जानें। बहरहाल औद्योगिक इकाइयों के मालवाहकों के परिचालन से सडकों का खराब होना कोई आश्चर्य वाली बात नहीं ,हैरानी तो इस बात कि है कि इस क्षमता की सड़कें आखिर कब तैयार होंगीं?निश्चित तौर पर आदिवासी बाहुल्य जिलों की लाचार जनता आज भले ही खामोश हो पर गत वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव में सत्ताधारी दल को कहीं न कहीं जन समस्याओं की यह अनदेखी भारी न पड़ जाए।

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