स्वास्थ्य विभाग के नोटिस के बाद हरकत में आया संयंत्र प्रबंधन, ठेका श्रमिकों से आठ घंटे से ज्यादा काम नहीं

भिलाई। भिलाई इस्पात संयंत्र में दुर्घटनाओं एवं खामियों को लेकर औद्योगिक सुरक्षा एवं स्वास्थ्य विभाग के नोटिस के बाद संयंत्र प्रबंधन हरकत में आ गया है।प्रबंधन ने ठेकेदारों को सख्त चेतावनी दी है कि किसी भी विभाग में ठेका श्रमिकों को आठ घंटे से ज्यादा काम न लेंवे। नियम का पालन न होने पर ठेकेदारों पर कार्रवाई की चेतावनी भी दी गई है। प्रबंधन ने हर विभाग के प्रमुखों को भी इस पर सख्ती से नजर रखने कहा है।भिलाई इस्पात संयंत्र में 15 हजार से अधिक ठेका श्रमिक कार्यरत हैं। यह ठेका श्रमिक संयंत्र के कमोबेश सभी विभागों में कार्यरत हैं और नियमित कर्मचारियों के साथ सामान्य पाली, प्रथम, द्वितीय एवं रात्रि पाली में भी कार्यरत हैं। वर्तमान में संयंत्र के नियमित कर्मचारियों से भली कहीं ज्यादा संख्या इन ठेका श्रमिकों की है। एक तरह से इन पर निर्भरता अपेक्षाकृत पहले की तुलना में अब कहीं ज्यादा हो गई है। वहीं उक्त ठेका श्रमिक हादसे के शिकार भी हो रहे हैं।भिलाई इस्पात संयंत्र के यूनिवर्सल रेल मिल में बीते 28-29 अगस्त की दरमियानी रात दुर्घटना हो गई थी। विभाग में ओवरहेड क्रेन में लगे बकेट ने पुलपिट (प्रचालन कक्ष) क्रमांक-8 को ठोकर मार दिया था। पुलपिट के भीतर काम कर रहे कर्मचारी अनहोनी की आशंका से जान बचाने तुरंत बाहर की ओर भागे। इस दौरान ठोकर लगने से बीएसपी के एक नियमित कर्मचारी के पैर में गंभीर चोटें आई। इधर पुलपिट एवं उसके भीतर लगा पैनल क्षतिग्रस्त होने के कारण यूनिवर्सल रेल मिल में उत्पादन प्रभावित हो गया था।

संयंत्र के यूनिवर्सल रेल मिल में हुई घटना पर औद्योगिक सुरक्षा एवं स्वास्थ्य विभाग ने गंभीरता दिखाते हुए तीन दिनों तक जांच की गई थी। इसमें संयंत्र प्रबंधन की चूक सामने आई।जहां एक ओर पुलपिट पर कोई चीज टकराने से रोकने के लिए कोई भी बेरिकेड अथवा स्टापर नहीं लगा था। वहीं ओवरहेड क्रेन को आपरेटर करने वाले ठेका श्रमिक से ओवरटाइम कराने की बात भी सामने आई थी। इसके चलते उसे नींद का झोंका आया और दुर्घटना हो गई थी। इसके बाद औद्योगिक सुरक्षा एवं स्वास्थ्य विभाग ने बीएसपी प्रबंधन को नोटिस जारी किया है।इसमें प्रबंधने से 15 दिनों के भीतर जवाब मांगा गया है। पुलपिट के सामने बेरिकेडिंग, स्टापर अथवा लोहे की जाली लगाने कहा गया है। 250 टन क्षमता के दोनों ओवरहेड क्रेन में डेडमैन स्विच लगाने भी कहा है।

ठेका श्रमिकों के कार्य अवधि पर सवाल

औद्योगिक सुरक्षा एवं स्वास्थ्य विभाग ने दुर्घटना की अहम वजह ठेका श्रमिक से दूसरी पाली में भी काम लेने को मानते हुए सवाल उठाए। प्रबंधन को कहा गया कि वह सुनिश्ति करें कि श्रम नियमों का पूरी तरह पालन हो और आठ घंटे से ज्यादा ठेका श्रमिकों से काम न लिया जाए।औद्योगिक सुरक्षा एवं स्वास्थ्य विभाग की नोटिस के बाद संयंत्र प्रबंधन में भी हड़कंप है। प्रबंधन ने अपने सभी विभाग प्रमुखों से कहा है कि ठेका श्रमिकों से आठ घंटे से ज्यादा काम न लेंवे। ठेकेदारों को भी चेतावनी जारी की गई है। कहा गया कि निर्देश का पालन न होने की सूरत में ठेकेदारों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।

हादसे में प्रभावित अधिकांश ठेका श्रमिक

इसी साल मार्च में बीएसपी के स्टील मेल्टिंग शाप-3 में प्लेटफार्म पर रिफ्रेक्टरी ईंट लेकर जा रहे ट्रक को क्रेन ने ठोकर मार दी थी। ट्रक करीब 10 मीटर उंचे प्लेटफार्म से नीचे की ओर लटक गया था। ट्रक में सवार ठेका श्रमिक केवल राम निवासी खुर्सीपार की ट्रक से जमीन पर गिरने से मौत हो गई थी। एक जून को बीएसपी के ब्लास्ट फर्नेस के एसजीपी में वेल्डिंग के दौरान ब्लास्ट हो गया था।एक ठेका श्रमिक राहुल उपाध्याय की मौत हो गई। एक अन्य ठेका श्रमिक 90 फीसद झुलस गया था। तीन जून को बीएसपी के स्टील मेल्टिंग शाप-2 में हाट मेटल में पोरिंग के दौरान ब्लास्ट होने से दो ठेका श्रमिक एवं एक नियमित कर्मचारी झुलस गया था। चार जून को बीएसपी के स्टील मेल्टिंग शाप-2 में हाट मेटल गिरने से आग लग गई थी। हाट मेटल की चपेट में आने से आउटसोर्स कंपनी के तीन ठेका श्रमिक और एक नियमित कर्मचारी झुलस गया था।

इसके बाद नौ जून को बीएसपी के स्टील मेल्टिंग शाप-2 के कनवर्टर क्षेत्र में लोहे का चेन गिरने से ठेका श्रमिक अर्जुन कुमार के सिर में गंभीर चोट आई और उसकी मौत हो गई थी। लगातार हो रहे दुर्घटना को रोकने के लिए प्रबंधन द्वारा बनाई गई टास्क फोर्स कमेटी में भी खामियां निकली। इस वजह से अब सख्ती दिखाई जा रही है।

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